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पतिपत्नी विवाद

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*पति पत्नी विवाद , विसंवाद* *कारणमीमांसा और* *उपाय !!*

✍️ २७२६

*विनोदकुमार महाजन*

👫 🤔🤫🤦‍♂️🙊

भारतीय संस्कृती विश्व में सबसे महान है !
क्योंकी हमारे संस्कृती में सभी प्रकार की समस्याओं का यथोचित हल निकालने के लिए अनेक प्रकार के आध्यात्मिक साधनाओं का यशस्वी उपाय बताया जाता है !

पति पत्नी का रीश्ता भी हमारे संस्कृती में महान समझा जाता है !

इसिलिए पति पत्नी को लक्ष्मी नारायण का दर्जा दिया जाता है !

मगर सचमुच में क्या पति पत्नी में लक्ष्मी नारायण जैसा उच्च कोटी का प्रेमभाव , दोनों तरफ से आदर्श आचरण , आदरभाव ,स्नेहभाव तथा विश्वास सचमुच में होता है ?
यह मुलभूत प्रश्न है और इसपर आज हम विस्तृत चर्चा करने का प्रयास करेंगे !

पति पत्नी जीवन रथ के दो पहिया है !
और सृष्टि पुनरुत्पादन के ईश्वरीय कार्यों में दोनों का योगदान भी अत्यंत महत्वपूर्ण होता है !

बिजारोपण किया और काम हो गया ऐसा नहीं है !

इसमें दोनों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है !
और दोनों के उच्च कोटी के प्रेमभाव से संपूर्ण जीवन भी आनंदित हो उठता है !
और यही संस्कार अगली पिढी में भी परिवर्तीत होते है !

इसीलिए सुखी वैवाहिक जीवन के लिए , दोनों का एक दुसरे के प्रति उच्च कोटी का प्रेमभाव , स्नेह , समर्पण , आदर महत्वपूर्ण होता है !

मगर अनेक बार ऐसा होता है कि ,
जीवन रथ के दो पहीयों में से एक पहिया खराब निकलता है…
और ?
जीवन का संघर्ष आरंभ हो जाता है !

पत्नी पति को देवता मानकर उसकी पूजा करती है
मगर पति ऐयाशी निकलता है…
पत्नी के प्रेमभाव , मन , दुखदर्द , पीडा को समझता ही नहीं है तो…
पत्नी ?
अंदर ही अंदर नितदीन दुखी रहने लगती है !
इसपर भी पती ध्यान नहीं देता है तो…?

अनायासे ही संघर्ष बढता है और परिणाम ?
घटस्फोट तक आ जाता है !

अब नाणे की दूसरी बाजू भी देखते है….
पति अपने पत्नी पर जी जान से दिनरात प्रेम करता है , हरसमय उसके सुखदुख में साथ देता है…

मगर….?
दुर्दैव से….
उस पत्नी को पति के ईश्वरीय और सच्चे प्रेम के बारे में कुछ लेना देना ही नहीं होता है तो ?
आंतरिक कलह बढता रहता है और
एकदिन जरूर स्फोट होता है….
और दोनों में उग्र संघर्ष आरंभ होता है !

इसिलिए दोनोँ तरफ से प्रेमभाव तो चाहिए ही चाहिए !
अन्यथा ?
जीवन भर के लिए , दुखी मन से किया हुवा समझौता ही रहता है !

अनेक परिवार ऐसे है की ,
कभी पति में दोष होता है तो अनेक परिवार ऐसे भी है कि , अनेक बार पत्नी में भी दोष होता है !

और जब दोनों में से किसी एक में दोष होता है तो ?
समन्वय कैसे होगा ?
मन का ही मीलन नहीं हुआ तो तन का मीलन कैसी प्रजा उत्पन्न करेगी ?

इसीलिए सुसंस्कारित समाज निर्मिति के लिए , तथा आदर्श समाज रचना के लिए , दोनों का मनोमिलन भी अत्यावश्यक होता है !

वर्तमान समय में , विशेषत: शहरों में ,
पति पत्नी दोनों कमाने के लिए , घर के बाहर निकलते है !
ऐसी स्थिति में मानसिक थकान , टेंशन , परेशानियों का सामना , यह सब संभव है !
इसी से दोनों में चिडचिड , किरकिर भी हो सकती है !
ऐसे समय में सांमजस्य बहुत महत्वपूर्ण होता है !

मगर हरबार एकतरफा सामंजस्य भी अनेक गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है !

दोनों में उच्च कोटि का सामंजस्य सुखी परिवार का एक अदभूत वरदान है !

एक तरफा सामंजस्य हमेशा घातक होता है !

कई देशों में स्रियों में जादा स्वातंत्र्य के कारण जटिल समस्याएं उत्पन्न हो गई है !
तो अनेक देशों में स्त्री को गुलाम बनाकर , अनेक बेडियों में जखडकर रखा है !

मगर हमारे सनातन धर्म में दोनों को समसमान दर्जा देकर , ईश्वरी अधिष्ठान के तहत एक पवित्र धागे में बांधकर रखा है !

मगर ऐसा लगता है कि ,
अब यह पवित्र धागा भी धिरे धिरे ढीला पडता जा रहा है !
क्यों….???

सुखी परिवार के लिए अनेक आध्यात्मिक साधनाएं भी बताई गई है !
मगर इसका विश्लेषण करूंगा तो लेख और लंबा हो जायेगा !
इसीलिए लेख को यहीं पर विराम देता हूं !

उपाय योजना का ऊर्वरीत विषय किसी अगले लेख में !

शुभं भवतू
कल्याण मस्तू

तबतक के लिए….
*जय श्रीकृष्ण*

🙏🙏🙏🙏🙏

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