नतदृष्टों का सामना !
✍️ २१६७
विनोदकुमार महाजन
मोदिजी,
आप किसीको कितना भी फ्री में
चाहे जीवनभर के लिए
राशन भी दें दो…सारी सुखसुविधा भी दें दो…
फिर भी समाज में
कुछ नतदृष्ट,बेईमान, नमकहराम
ऐसे भी होते है…
जो..
” मतदान ..विरोधियों को ही… ” करेंगे…
फिर भी…
” नवराष्ट्र निर्माण के लिए…” एकेक कदम,
बडे हिम्मत से आगे बढाना ही
होगा…
जो आप निरंंतर आगे बढा भी रहे है !
हर हर महादेव