भगवा है हमारी, आन – बान – शान !!!
( लेखांक : – २१२८ )
विनोदकुमार महाजन
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एक ही प्रण है हमारा !
भगवे के लिए जीना !
भगवे के लिए ही मरना !
भगवा ( न ) का भगवा है
हम सभी हिंदुओं की
आन – बान – शान !
सौभाग्य का प्रतीक है ,
भगवा !
स्वाभीमान का प्रतीक है ,
भगवा !
बैराग्य का प्रतीक है ,
भगवा !
उगते सूरज का रंग भगवा !
डूबते सूरज का भी रंग भगवा !
साधुसंतों का प्यारा है भगवा !
भगवान का भी प्यारा भगवा !
प्यारे हिंदू साथीयों,
विश्व में फैले हुए भगवान के
भगवे के प्यारे साथीयों,
मानवता प्रेमी साथीयों,
भगवा है हमारा…
भगवा है मेरा – तुम्हारा !
भगवा है हम सभी का !!!
नरदेह का उद्देश्य समझो !
भगवान के लिए ही सारा
जीवन समर्पित कर दो !
भगवान का प्यारा है…
भगवा हमारा !
क्यों ” इधर – उधर ”
भटक रहे हो ?
भगवे के ” विरूद्ध ”
आचरण भी कर रहे हो ?
समझो…जानो !
कौन अपना है और
कौन पराया ?
भगवान के भगवे को
बदनाम करनेवालों का
साथ देंगे ? या फिर
भगवे की आन – बान – शान
बढाने वाले संगठन का
जी – जान से साथ देंगे ?
चाहे वह संगठन सामाजिक हो
अथवा हो राजनैतिक हो!
अगर हिंदुत्व को बचाना है
और आगे भी बढाना है…
तो केवल और केवल
भगवे को स्विकारने वालों
का ही स्विकार करो !
भगवा हाथों में लेकर,
भगवान से जुड जाना
यही हमारे जीवन का
उद्दीष्ट है !
और भगवान के भगवे की
शान बढाना ही
हम सभी का दाईत्व है !
उठो साथीयों, जाग भी जावो !
” इधर – उधर ” भटकना
बंद करो !
भगवे से नाता जोडो !
भगवान से नाता जोडो !
हम तो…
” मानवतावादी भी
है…सभी पर पवित्र प्रेम करनेवाले भी है !
सभी में एकसमान आत्मतत्व देखकर… सभी में ईश्वर का ही
अंश देखकर…
सभी जीवों का कल्याण भी
चाहने वाले है !!! ”
मगर…
मेरे प्यारे साथियों,
अगर हम सभी पर पवित्र
ईश्वरी प्रेम करनेपर भी
अगर…
हमें ही उध्वस्त करने का,
हमारे मठ मंदिरों को गीराने का,
हमारे संस्कृति को उध्दस्त
करने का,
हमारे आदर्शों को समाप्त
करने का…
सपना अगर कोई देखता है,
हमारे प्रेम की कीमत करने के
बजाए,
हमारा ही अस्तित्व समाप्त
करके,हमारे संस्कृति का
नामोनिशान मिटाने का
अगर भयंकर षड्यंत्र द्वारा,
दिनरात प्रयास करता है…
हमारे साथ धोखाधड़ी,
कपटनिती करता है तो…?
ऐसे बेईमान, गद्दारों के साथ,
हम कैसे प्रेम कर सकते है ?
ऐसे गद्दारों को हम
कैसे क्षमा भी कर सकते है ?
इसीलिए सभी मानवता प्रेमीयों
सभी भगवान के भगवा प्रेमीयों
जाग जावो !
जाग जावो !!!
भगवे को समाप्त करने की
रणनीति बनाने वालों का
साथ सदा के लिए छोड दो ?
” विनोदकुमार की तेजस्वी, बाणी का
ईश्वरी सिध्दांतों का,
स्विकार करो !
स्विकार करो !!! ”
और…???
भगवे का साथ देनेवालों से,
आजीवन रीश्ता जोडो !
नौटंकीबाजों का रीश्ता तोडो !
हमारे साथ धोकाधड़ी
करनेवालों का साथ छोडिए !
हमें,हमारी संस्कृति को,
हमारे धर्म को बदनाम, बरबाद
करनेवालों का साथ छोडिए !
हमारे खिलाफ षड्यंत्र करनेवालों का साथ छोडिए !
और तन – मन – धन से
भगवान के भगवे से
नाता जोडिए !
इसी में हमारा कल्याण है !
इसीमें हमारे भावी पिढी
का भी कल्याण है !
इसीमें ही हमारे नरदेह का भी
सार्थक है !
भगवे से नाता जोडना ?
मतलब ईश्वर से नाता जोडना !
तो बोलो…?
हमें ईश्वर से नाता जोडने वाले
चाहिए ?
या फिर मिठी मिठी बातें करके,
हमें फँसाके,
ईश्वर से नाता तोडऩे वाले चाहिए ?
आपको आखिर कौन चाहिए ?
हमारा संन्मान बढाने वाले ?
हमारी आन – बान – शान बढाने वाले चाहिए ?
या फिर ” नौटंकी ” करके,
हमें फँसाने वाले चाहिए ?
आपको आखिर कौन चाहिए ?
देव ? या दानव ?
सत्य ? या असत्य ?
हैवानियत ? या ईशत्व ?
हाहाकार ? या शांती ?
बरबादी ? या प्रगती ?
हमें आखिर क्या चाहिए ?
यह हमपर ही निर्भर है !
जीवन का कल्याण ?
या फिर जीवन की बरबादी ?
सही निर्णय जीवन का
कल्याण करेगा !
गलत निर्णय जीवन
बरबाद कर देगा !
ऊठो तेजस्वी ईश्वर पूत्रों !
ऊठो तेजस्वी वीरपूत्रों !
हमारे वैश्विक धर्म बचावो
आंदोलन से जीवन भर के
लिए नाता जोडो !
आसुरों से नाता तोडो…
ईशत्व से नाता जोडो !!!
हर हर महादेव !
जय श्रीराम !
भगवान श्रीकृष्ण की जय हो !
हरी ओम्
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