Mon. Sep 16th, 2024

कुरुक्षेत्र पर !!!…!

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अर्जुन ने कुरूक्षेत्र पर
विचलित होकर और
रोते हुए एक ही प्रश्न
किया था….
” यह तो सारे मेरे है ! ”

तब मैंने कहा था…
” विचलित न होकर ध्यान अचूक लक्ष की ओर देकर…”

” मारो…!!! ”

यही ” मेरे भगवत् गीता का ”
सार है !

” हे अर्जुन…
आज फिरसे…
विचलित न होकर,
ध्यान अचूक लक्ष की ओर
देकर… ”

” मैं…”

” बांसुरीवाला कन्हैया नहीं,
अपितु …
सुदर्शन चक्र धारी…
श्रीकृष्ण…
फिरसे दोहराता हूं….”

” मारो…..? ”

यही भगवत् गीता का
सार है !

सोचो,समझो,जानो….
” जागो….”

समय….
” कुरूक्षेत्र…”
का है…
और ” लक्ष ”
निर्धारित है !

हरी ओम्

विनोदकुमार महाजन
🕉🕉🕉🚩

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