Thu. Nov 21st, 2024

अपनों के लिए चिंता और गुस्सा…एक ही शिक्के के दो पहलु

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*अपनों के लिए.*
*चिंता हृदय में होती है,*
शब्दों में नहीं!
और अपनों के लिए.
गुस्सा शब्दों में होता है
हृदय में नहीं!

*बस यही एक अटूट प्रेम की परिभाषा होती हैं।*
——————————–
*🙏स्नेह वंदन🙏*
*प्रातः अभिनंदन*
🌷🌷
जय श्री राम
🙏🙏
———————————-
संकलन : – विनोदकुमार महाजन

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