दुःखी न हो ये मन मेरे,
दौर गूजर यह जायेगा।
रौनक होगी गाँव शहर मे,
दोर वही फिर आयेगा।
खुल जायेगे मंदीर सारे,
भजन कीर्तन हो पायेगे।
ढोल नगाड़े घंटी संग,
आरती फिर कर पायेगे।
चोकी होगी जागरण होगे,
माँ का दरबार सजायेगे।
खुल जायेगे विधालय,
बच्चे फिर पढ पायेगे।
पढाई होगी जी भरकर,
दोस्तों संग मंज मनाऐगे।
खेलेगे कुदेगे हम,
फिर शौर मचाऐगे।
फिर आयेगे मंगल मूहर्त,
व्याह शादी रचायेगे।
झुमेगे नाचेगे हम,
डीजे फिर वही बजाएंगे।
गूंजेगी शहनाई घरों मे,
पकवान वही खायेगे।
सज जायेगे बाजार सभी,
फिर शापिंग करने जायेगे।
मौज करेगे फिर से हम,
मन चाहे चीजे खायेगे।
सैर सपाटे होगे खुब,
अछे दिन फिर आयेगे।
हर घर लौटेगी खुशीया,
जीवन सुखमय हो जायेगा।
करो प्रभु से विनती यह,
वह किरपा बरसायेगा।
दुख विपता टल जायेगी,
दौर फिर वही आयेगा।
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*मनोज सिंह रावत*
*RSS प्रचारक*
*नागपुर महाराष्ट्र*
🙏🙏🙏
संकलन : – विनोदकुमार महाजन