सच्चे महापुरुषों को ना
मान की अभिलाषा होती है
ना धन की , बल्की देव , धर्म
और देश के लिए ही ऐसे
पुण्यात्माएं अपना जीवन
बिताते है , ईश्वराधिष्टित समाज निर्माण के लिए ही
ऐसे दिव्यात्मे अपना जीवन
संपूर्ण रूप से झोंक देते है !
झोपडी में रहकर और दालरोटी खाकर भी ऐसे
पुण्यपुरूष संतुष्ट रहते है !
जय श्रीकृष्ण !!
विनोदकुमार महाजन