हम आत्मा बेचने वाले नहीं है !
✍️ २१८०
विनोदकुमार महाजन
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कुछ लोग…
कहते है,
हिंदुत्व के लिए इतना लिखते हो !
दिनरात एक करते हो !
क्या हिंदुत्व तुम्हें दस – बीस करोड़ देता है ?
मोदी – योगी के लिए,
बिजेपी के लिए निरंंतर लिखते हो !
क्या मोदी – योगी ,बिजेपी तुम्हें
बीस – पच्चीस करोड़ देती है ?
आर.एस.एस.के लिए लिखते हो !
क्या आर.एस.एस.तुम्हें बीस – पच्चीस करोड़ देती है ?
और भी कहते है,
हमारे यहाँ आओ !
हमारे लिए लिखो !
पैसा कमाओ !
मालामाल बन जाओ !
लाखों – करोड़ों कमाओ !
ऐश की जींदगी जीओ !
तत्व, सिध्दांत छोड दो !
आखिर पैसों से ही दुनियादारी चलती है !
हम सभी सनातनीयों का,कट्टर हिंदुत्ववादियों का,एक ही उत्तर रहेगा….सदैव…
नहीं चाहिए हमें ऐशोआराम की जींदगी ! ना ही हम इमान बेचनेवाले है ! और नाही हमारी पवित्र आत्मा बेचने वाले है !
भूके रहेंगे, प्यासे रहेंगे !
मगर हिंदुत्व और हिंदुत्ववादी पार्टीयों के लिए, हिंदुत्ववादी सामाजिक संगठनों के लिए, आजीवन तक प्रचार – प्रसार करते रहेंगे !
आत्मा की आवाज सुनकर,
ईश्वरी कार्यों के लिए, जीवनभर के लिए, हिंदुत्व से जुडे रहेंगे !
राजऐश्वर्य छोडकर, सिध्दांतों के लिए,
बनवास स्विकारने वाले,
रामजी हमारे आदर्श है !
सत्ता और संपत्ति के लालची,
हम जयचंद नहीं है !
हम,
राजे शिवाजी,
राजे संभाजी,
महाराणा प्रताप,
पृथ्वीराज चौहान,
बाजीराव पेशवा,
की तरह,
हिंदुत्व के लिए,
सबकुछ समर्पित करनेवाले है !
सिध्दांतों पर चलना ही जीवन है !
पशुपक्षी भी ईश्वरी सिध्दांतों के ही अनुसार जीते है !
और हम तो इंन्सान है !
तो हम ?
रास्ता कैसे भटकेंगे ?
हरी ओम्
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