*जलबीन मछली ?*
✍️ २५५१
( बोधकथा )
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एक थी मछली !
स्वच्छ समंदर में आनंद से विहार करनेवाली !
अमृतसागर में मस्त होकर रहनेवाली !
मगर ?
एक लहर आ गई !
विनाशकारी लहर !
और उस आनंदी मछली को सागर के किनारे पर ले गई !
लहर वापिस गई !
गहरे समंदर में एकरूप हो गई !
निष्पाप मछली को समंदर के किनारे अकेला छोडकर …
जलबीन तडपने के लिये …
अनेक सालों तक…
समंदर किनारे पर भटकने के लिए ,मौजमजा करने के लिए…
अनेक लोग आते थे…
हँसीमजाक करते थे !
तडपती हुई , अकेली , अनाथ मछली की ओर भी देखते थे….
और…चले जाते थे !
उस बेचारे मछली को , कर्मगति से तडपती मछली को …
ऐसा लगता था…
कोई तो भी देवदूत आयेगा..
उस जलबीन तडपती मछली को अपने हाथ में लेकर ,
गहरे समंदर में छोड़ देगा…
फिर से आनंद से विहार करने के लिए….
मगर
अनेक साल बितते गये
मछली तडपती रही !
ना समंदर में वापिस जा सकती थी !
और…?
ना ही उसकी मृत्यु होती थी !
तडप और तडप !
कर्मगति का फेरा !
ईश्वर भी उस निष्पाप , निष्कलंक मछली को ना तो समंदर में पहुंचाने के लिए सहायभूत होता था !
ना मृत्यु देता था !
कर्म गति के उल्टे फेरे के आगे ईश्वर भी क्या करेगा ?
अनेक सालों तक यह सिलसिला चलता रहा !
मछली तडपती रही !
जलबीन !
फिर भी जीवित रही !
केवल तडपने के लिए !
और…?
एक दिन चमत्कार हुआ !
एक बहुत बडी विशालकाय लहर आ गई !
मछली तक !
और उस तडपती , अकेली ,अनाथ , निष्पाप मछली को….
फिरसे….
समंदर में वापिस ले गई !
आनंद से विहार करने के लिये !
जीवन भर के लिए !
दयालु ईश्वर ने…
उस मछली को एक शक्तिशाली वरदान भी दिया !
अनेक जन्मों तक…
स्वच्छ समंदर में , ईश्वर के अमृतसागर में आनंद में विहार करने का….
आज वह मछली अकेली रहती है ! आनंद से विशालकाय समंदर में , आनंद से विहार करती है !
विशालकाय मछली !
तडपानेवालों की यादें ह्रदय में रखकर !
ठीक ऐसा ही मनुष्य जीवन है दोस्तों !
मेरा क्या ! तुम्हारा क्या !
सुख कम , दुख जादा !
जलबीन मछलियों की तरह तडपते रहने का !
कर्मगति के भयंकर जाल में फँसकर तडपते रहने का !
मगर मैं तो ?
सद्गुरु कृपा से , ऐसे भयंकर पीडादायक कर्मगति के जाल से छूट गया मित्रों !
जन्म जन्मांतर का कल्याण हो गया !
यही मोक्ष है !
यही स्वर्ग भी है !
यही स्वर्गीय आनंद भी है !
स्वच्छंद आनंदी जीवन !
आनंदाचे डोही , आनंद तरंग !
आप सभी का भी जीवन भी ठीक ऐसा ही मस्त , स्वस्थ , आनंदी ,स्वच्छंद बनें ,
आपपर भी सद्गुरु की और दयालु ईश्वर की कृपा…
जन्म जन्मांतर तक बनी रहे
यहीं दयालु ईश्वर से प्रार्थना !
हरी ओम्
*विनोदकुमार महाजन*
🩷🌹🪷🙏🕉🚩