*हम सभी तो केवल निमित्त मात्र* ??
✍️ लेखांक २५३८
विनोदकुमार महाजन
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( सभी को झकझोर करनेवाला और हिंदुत्ववादियों को तेज गति से जगाने वाला महत्वपूर्ण लेख सभी को पढना ही होगा ! )
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सृष्टिकर्ता ईश्वर की रचना बडी अजीबोगरीब होती है !
वह ईश्वर केवल धरती का अथवा पृथ्वी का ही संचालन करता है , ऐसा नहीं है !
तो संपूर्ण ब्रम्हांड का संचालन अद्भुत , अदृश्य और अतर्क्य ईश्वरी शक्ति द्वारा किया जाता है !
जैसे ?
सूरज का उगना और अस्त होना !
हर एक सजीव का जन्म और मृत्यु !
सूर्योदय और सूर्यास्त क्या हमारी इच्छा से होता है ?
हमारा जन्म भी हमारी इच्छा नहीं है , और नाही हमारी मृत्यु भी हमारी इच्छा से होती है !
सबकुछ आश्चर्यजनक ईश्वरी चमत्कार दिखाई देते है !
अनंत कोटि ब्रम्हांडनायक !!
फिर भी छोटासा मगर अहंकारी मनुष्य प्राणी कहता है कि…
” मैंने ऐसा किया , मैंने वैसा किया ! ”
खैर !
वैश्विक सनातन हिंदू धर्म भी खुद ईश्वर ने ही बनाया है !
और सनातन हिंदू धर्म अनादि अनंत भी है !
फिर भी…कुछ हिंदू ही सनातन धर्म को हमेशा निचे दिखाने की कोशिश करते रहते है !
राक्षस लोग ? असुर लोग ?
धर्म भ्रष्ट लोग ?
ही धर्म संकट निर्माण कर रहे है !??
दूसरा महत्वपूर्ण मुद्दा…
सदियों से भागनेवाले ,निष्क्रिय
स्वार्थी हिंदू….?
जरा सोच प्राणी…
तू क्यों पैदा हुवा है ?
ईश्वर ने तुझे हिंदू धर्म में ही जन्म क्यों दिया है ?
मतलब ??
अहंकार और अज्ञान की भी सिमाएं होती है !
सर्वनाश की खाई सामने दिखाई देने पर भी….
जो नहीं जागता है ?
उसे कौन बचायेगा ?
शब्द कडवे है
मगर सत्य है !
और कडवी बात हमेशा
हितकारी होती है !
( कडवा बोलना , मगर सत्य बोलना मेरी आदत है !
क्या करें ? )
एक समय था
जब संपूर्ण विश्व पर केवल और केवल हिंदुओं का ही राज था !
सनातन धर्म का ही राज था !
और आज ??
विश्वपटल पर एक भी हिंदू राष्ट्र नही है !??
और सबसे महत्वपुर्ण बात यह है की , हमें इससे भी कुछ …
जी हाँ…
कुछ भी दुखदर्द नहीं है !
कुछ भी लेनादेना नहीं है ?
हमारी मस्ती में हम चूर है !
आपसी कलह ,जातीयता , स्वार्थ , मोह ,अहंकार का बाजार ही सजा हुवा है !
अंदर बाहर धर्म संकट !
विनाशकारी धर्म संकट !
भयंकर धर्म संकट !
और ?
निद्रिस्त , निष्क्रिय हिंदू ?
आश्चर्य है ना साथीयों ?
हमारे देवीदेवताओं को , हमारी संस्कृति – सभ्यता को , हमारे आदर्श धर्म को , हमारे साधुसंतों को , महापुरुषों को….
चौतरफा बदनाम किया जा रहा है …
और हम ??
बेफिकर….!
सब कमाल ही कमाल !
कहाँ है हमारा स्वाभिमान ?
कहाँ है हमारा आत्मतेज ?
कहाँ है हमारा अन्याय के प्रती धधगता ईश्वरी तेज ?
कहाँ है हमारा आत्मसंन्मान ?
सबकुछ भूल गये ?
पुर्वजों का पराक्रम भी हम भूल गए ?
खावो , पिवो ,ऐश करो ,मजे करो ! और मरे पडो !
हमारी संस्कृति ,धर्म ,आदर्श गये भाड में !?
ऐसी ही साधारणतः धारणा और मानसिकता बन गई है ना ?
चारों ओर असंवेदनशीलता !
धर्म के प्रति उदासीनता !
सामाजिक सौहार्द के प्रती
नैराश्यता !
और उपर से ?
मैं ही बडा का दंभ ?
छोडिए ना भाईयों ऐसी विनाशकारी बाते !
देव , धर्म और देश के लिए
मरमिटना ना सही…
कम से कम जागरूक होकर संगठित तो बनो !
सत्य ,मानवता ,संस्कृति और धर्म बचाने के लिए…
संगठित और शक्तिशाली बनो !
और ??
बनना ही पडेगा !
चारा ही नहीं बचा है !
नहीं तो ?
भगवान श्रीकृष्ण का ,
भगवान श्रीराम का ,
छत्रपती शिवाजी महाराज का ,
नाम लेना भी यहाँ मुश्किल हो जायेगा !
अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश में ठीक ऐसा ही हो रहा है ना ?
और हिंदुस्तान के अनेक राज्यों में भी ?
क्योंकि चारों ओर अधर्म का अंधेरा बहुत तेजी से बढ रहा है !
और हम हिंदू ?
अपने ही अहंकार में मस्त ?
अरे मेरे प्यारे भाई यह पंचमहाभूतों का देह भी तेरा नहीं है !
कब छोडना पडेगा ?
पता नहीं है !
फिर भी अहंकार क्यों ?
धर्म के प्रति उदासीनता क्यों ?
कितने दिनों तक ?
साथीयों,
हम सभी तो ईश्वरी इच्छा से यहाँ आये है !
धरती पर !
ईश्वर का कार्य करने के लिए ! हिंदू धर्म का कार्य करने के लिए !
ईश्वर निर्मित वैदिक सनातन धर्म का वैश्विक कार्य करने के लिए !
जी हाँ दोस्तों !
तो किडे मकौड़े जैसा व्यर्थ का जीवन जीने में क्या मजा है !?
पैदा होना और ?
एक दिन मर जाना !?
सोचो !
ऐसा नारकिय जीवन जीने से तो ? मृत्यु भी अच्छी होती है !
यह बात तो पक्की तय है की , हमारा यह पंचमहाभूतों का देह निमित्त मात्र है !
मिट्टी का देह एक दिन मिट्टी में ही मिल जायेगा !
कर्ता करविता ईश्वर है !
और हमारे हर श्वासों का वह ईश्वर साक्षी भी है !
हम तो निमीत्तमात्र !
अगर हमारे हाथों से सनातन धर्म का वैश्विक कार्य संपन्न होना है तो , वह ईश्वर ही हमसे उसका वह कार्य पूरा करके ही लेगा !
हम कौन होते है ?
फिर भी मित्रों ?
हमारे अंदर भी ईश्वर ने दि हुई चेतना भी होती है !
आत्मतत्व होता है !
हमारे अंदर आत्मा होती है !
और वही आत्मा हमारे हर अच्छे बूरे कार्य का साक्षीदार होती है !
और जब हमारी यह निराकार आत्मा…
सो…अहम्…
द्वारा निराकार ब्रम्ह से जूड जाती है तो ?
हम भी ब्रम्हस्वरूप बन जाते है !
और हमारी असली पहचान हमें होती है !
व्यर्थ का रोना गायब होता है ! स्वार्थ मोह गायब होता है ! मेरा तेरा गायब होता है !
और चारों ओर ?
केवल ईश्वर ही ईश्वर दिखाई देता है !
यही दिव्य शक्ति है !
जब दिव्य नेत्र खुलते है तब ,
दिव्य शक्ति भी प्राप्त होती है ! सभी भेद मिट जाते है !
संपूर्ण सजीवों में एकसमान आत्मतत्व दिखाई देने लगता है ! और वही एकसमान आत्मतत्व भी ईश्वर स्वरूप दिखाई देता है !
हमारे अंदर की चेतना ?
हमें चौबीसों घंटे अदृश्य , अद्भुत , अनाकलनीय ईश्वरी शक्ति कि ओर खिंच कर ले जाती है !
और हमारे दाईत्व को बता देती है !
अरे…
हम तो ईश्वरी कार्य के लिए ,
हम तो हिंदुत्व के कार्य के लिए ,
हम तो परम कृपालु …
परम दयालु…
ईश्वर की असीम कृपा से ,
वैश्विक सनातन धर्म का कार्य करने के लिए ,
ही धरती पर आये है !!
यह अंतिम सत्य भी समझ में आता है !
और खुद ईश्वर ने ही हमें धरती पर इसी कार्य के लिए ही भेजा है …???
तो…???
हम व्यर्थ का जीवन क्यों जी रहे है ??
निरर्थक ??
किडे मकौड़े जैसा ??
जन्म लेना और ?
मर जाना ?
हरगिज नहीं !
ऐसा नहीं होना चाहिए !
मेरा , तुम्हारा , हम सभी का जन्म ही कुछ अच्छा कर दिखाने के लिए ,
कुछ भव्यदिव्य कर दिखाने के लिए ,
ईश्वर का कार्य करने के लिए ही हुवा है तो ??
सनातन धर्म का प्रचार – प्रसार करने के लिए ही हुवा है तो …??
व्यर्थ का रोना क्यों ?
संगठित बनकर, शक्तिशाली बनकर, एक शक्तिशाली वज्रमुठ बनाकर,
अधर्म के खिलाफ ?
शक्तिशाली प्रहार करते है !
चलो उठो साथीयों !
हम सब एक होते है !
जातीय वाद का विनाशकारी जहर भुलते है !
हमारे अंदर की दिव्य चेतना जगाते है !
ज्योत से ज्योत जलाते है !
भेदभाव ,मतभेद भूलकर ,
ईश्वर के कार्य के लिए ,
संपूर्ण समर्पित होकर ,
क्रांतिकारी वैश्विक अभियान तेज करते है !
हर एक के अंदर का दीपक जलाते है !
हर मनुष्य प्राणी को ,
सनातन धर्म का महत्व समझाते है !
हम सब मिलकर
ईश्वर का वैश्विक कार्य आरंभ करते है !
ईश्वर को आनंदित करते है !
हम भी आनंदित हो जाते है !
पशुपक्षियों से भी नाता जोडते है !
उनसे भी दिव्य प्रेम करने लगते है !
सभी ईश्वर की संतान !
उसके सभी संतानों को जीवन आनंद से जीने का अधिकार भी दिया है
उसी दयालु ईश्वर ने !
उन सभी सजीवों को भी आनंदित ,
हम सब मिलकर करते है !
पशुहत्या बंद करते है !
गौमाता की हत्या का जमकर विरोध भी करते है !
और उसके आशिर्वाद से ,
संपूर्ण धरती माता भी हरी भरी करते है !
अरे…
उसी गौमाता का दूध तो हमनें भी पिया है ना ?
तो…??
कसम गौमाता की खाकर कहते है की ,
गौमाता की रक्षा हम करेंगे !
राक्षसों से धरती माता को भी बचायेंगे !
चलो उठो वीरपुत्रों !
चलो उठो तेजस्वी पुत्रों !
चलो उठो धरती पुत्रों !
चलो उठो ईश्वर के पुत्रों !
चलो उठो गौमाता के पुत्रों !
धरती माता है हमें पुकारती !
गौमाता है हमें पुकारती !
हमारे अंदर का धधगता ईश्वरी तेज है हमें पुकारता !
कितने दिनों तक ??
मुर्दाड मन से ??
मुर्दे जैसे पडे रहेंगे ??
कितने दिनों तक ??
हर एक श्वास ??
व्यर्थ गवाएंगे ??
कितने दिनों तक ??
मरे हुए मन से जियेंगे ??
कितने दिनों तक ??
पैसों के पिछे ??
भागते रहेंगे ??
कितने दिनों तक ??
सुख संपत्ति ,धनवैभव के
झूठे मायाजाल के पिछे ??
भागते रहेंगे ??
कितने दिनों तक ??
आपस में लडते झगडते रहेंगे ??
कितने दिनों तक ??
व्यर्थ का , निरर्थक जीवन ??
गँवाते रहेंगे ??
चलो उठो तेजस्वी ईश्वर पुत्रों !
खुद को पहचानो !
खुद का कार्य पहचानो !
और…??
तेजी से वैश्विक क्रांति अभियान के लिए खुद को समर्पित कर दो !
कैसे ??
ईश्वर के पवित्र चरण कमलों पर , संपूर्ण समर्पित भाव से…सनातन हिंदू धर्म का वैश्विक कार्य आरंभ करते है !
( इसी विषय पर आधारित मेरे हजारों लेख निचे की मेरी दो वेबसाइट ओपन करके आप सभी पढ सकते है….
1 ) globalhinduism.online
2 ) globalhinduism.in
वैश्विक क्रांति का आगे का रास्ता खुद ईश्वर ही दिखायेगा !!
हम सभी को !!
हरी बोल !!
जय श्रीकृष्ण !!
जय जय श्रीराम !!
हर हर महादेव !!
*जागो !!!*
*सोचेंगे तो बचेंगे !!!*
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