जीवन संघर्ष !!
जितना कार्य बडा
उतनी मुसिबतें भी
जादा होती है !
इसिलिए हम सभी ध्येयवादीयों को
जीवन कि कठोर एवं
कठिन लढाई बडी
हिम्मत से लडनी चाहिए !
तभी जीवन कि सभी परिक्षाएं
सौ मे से सौ गुण
प्राप्त करके उत्तीर्ण
हो जाती है !
अनेक कठोर
अग्नीपरीक्षाएं , सत्वपरीक्षाएं उत्तीर्ण
होनी पडती है !
अनेक सालों तक
अग्नि में तपना और
जलना पडता है !
नरकयातनाएं , मृत्यु यातनाएं सहनी
पडती है !
अनेक सर्पदंशों पर
और अनेक जहरीले प्यालों पर विजय प्राप्त
करनी पडती है !
जहर के अनेक सागर भी
पार करने पडते है !
बिना थके , बिना हारे !
चौबिसों घंटे !
ईश्वर भी….??
युंही विजय नहीं देता है !
अनेक रूकावटें , थकान
पार करके अंतिम मंजिल तक पहुंचना होता है !
अनेक सिध्दियां ,यशप्राप्ती
ईश्वर प्राप्ति ; ईश्वर युंही नहीं देता है !
आसान नहीं है ,
अंतिम उद्दीष्ट तक पहुंचना !
हथौड़े के कठोर घाव
सहने के बाद ही
मुर्ति को आकार आता है !
ऐसा ही ध्येयवादीयों का
जीवन होता है !
तभी हाथों से
महान ईश्वरी कार्य
संपन्न हो जाता है !
सभी महान आत्माओं को ,
पवित्र ईश्वरी आत्माओं को ,
धरतीपर देह धारण
करने के बाद ,
ऐसी भयंकर ,भयानक
परीक्षाएं उत्तीर्ण
होनी ही पडती है !
ब्रम्हस्वरूप, दत्तस्वरूप ,
मेरे सद्गुरु आण्णा कि
परम कृपा के कारण मैं
आज सभी कठोर परीक्षाएं
उत्तीर्ण हो गया हूं !
और सनातन धर्म का
वैश्विक कार्य बडी तेजी से
मेरे हाथों से आरंभ
हो रहा है !!
गतिमान वैश्विक कार्य !!!
हरी ओम्
विनोदकुमार महाजन