Thu. Nov 21st, 2024

स्वामी विवेकानंद जी और दूर्दम्य आत्मविश्वास !!!

Spread the love

सफलता का रहस्य
स्वामी विवेकानंद
( ले : – २१३२ )✍️✍️✍️

संकल्पना : – विनोदकुमार महाजन,
सौजन्य : – रामकृष्ण आश्रम, नई दिल्ली
———————————
सफलता के लिए स्वामी विवेकानंद जी के सर्वेश्रेष्ठ विचार आचरण में लायेंगे, तो विश्व की कौनसी शक्ति है…जो हमें यशस्विता नहीं मिलने देगी ???

विवेकानंद विचार 👇👇👇

सफलता का रहस्य !!!
सफलता प्राप्त करने के लिए अटल धैर्य और दृढ इच्छाशक्ति चाहिए !
धीर व्यक्ति कहता है,
” मैं समुद्र पी जाऊंगा, मेरी इच्छा से पर्वत के टुकड़े टुकड़े हो जायेंगे ! ”
इस प्रकार का साहस और इच्छा रखो,कडा परिश्रम करो,तुम अपने उद्देश्य में निश्चित सफल हो जाओगे !

एक विचार लो,उसी विचार को अपना जीवन बनाओ — उसी का चिन्तन करो,उसीका स्वप्न देखो और उसीमें जीवन बिताओ !
तुम्हारा मस्तिष्क, स्नायु,शरीर में के सर्वांग उसी विचार से पूर्ण रहें !
दूसरे समस्त विचारों को त्याग दो !यही सिध्द होने का उपाय है, और इसी प्रकार महान आध्यात्मिक व्यक्तित्व उत्पन्न हुए है !

हमें अनन्त शक्ति, अनन्त उत्साह, अनन्त साहस तथा अनन्त धैर्य चाहिए !
केवल तभी महान कार्य सम्पन्न होंगे !

हम जितने शान्तचित्त होंगे और हमारे स्नायु जितने संतुलित रहेंगे, हम जितने ही अधिक प्रेमसम्पन्न होंगे — हमारा कार्य भी उतना ही अधिक उत्तम होगा !

जिनमें सत्य,पवित्रता और निस्वार्थता विद्यमान है, उन्हें स्वर्ग, मर्त्य एवं पाताल की कोई भी शक्ति क्षति नहीं पहुंचा सकती !इन गुणोंके रहनेपर चाहे समस्त विश्व ही किसी व्यक्ति के विरूद्ध क्यों न हो जाये,वह अकेला ही उसका सामना कर सकता है !
— स्वामी विवेकानंद

अगर दिनरात पागलों की तरह ध्येयपूर्ती के लिए हर कदम,हर पल आगे बढते रहेंगे — तो कामयाबी हासिल होकर रहेगी !

मन का आत्मविश्वास यह बहुत बडी उपलब्धि तथा ईश्वरी वरदान होता है !

अगर हिंदुराष्ट्र निर्माण और अखंड भारत के लिए हम दिनरात मेहनत करते रहेंगे तो —
हमारे लिए संपूर्ण विश्व में असंभव कुछ भी नहीं है !!!
— विनोदकुमार महाजन
दि : – २१/१२/२०२२

Related Post

Translate »
error: Content is protected !!