मुझपर प्रेम करनेवाले सभी मित्रों का आभार।
( लेखांक २००७ )
विनोदकुमार महाजन
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माँरीशस के मेरे परम मित्र
श्री हेमंत पंड्याजी ने मुझे अभी फोन किया था।
मेरे एक लेख के विषय के बारें में उन्होंने चर्चा की।
उनके साफ ह्रदय में मेरे लिए कितना उच्च कोटी का प्रेमभाव है,यह उनकी बातों से ही मेरे समझ में आ रहा था।और इस बात पर आनंद भी मिल रहा था।
अनेक देशों में , लगभग पच्चीस – तीस देशों में हेमंत जी के अच्छे रिश्ते है।
वहाँ के अनेक व्हाटसअप ग्रुपपर मेरे अनेक लेख हेमंत जी डालते है यह मेरा परम सौभाग्य है।
मेरे लेख पढकर उनके ग्रुप के अनेक महात्मा हेमंत जी से मेरे बारें में पुछताछ करते है,मेरे साथ बाते करने के लिए पूछते है…
ऐसा हेमंत जी ने मुझे जब बताया तो मुझे हर्षोल्लास हो गया।
इसके साथ ही संन्माननीय अमीत शाहजी तथा उनके बेटे से भी हेमंत जी के बहुत अच्छे रिश्ते है।
मेरे अनेक लेख अमीत शाहजी तथा उनके बेटे को हेमंत जी भेजते है..यह भी मेरा परम सौभाग्य है।
मुझे माँरीशस में आने के लिए हेमंत जी हमेशा आमंत्रण देते रहते है।
ईश्वर कहाँ है ?
मुझपर हमेशा पवित्र तथा निरपेक्ष प्रेम करनेवाले देशविदेशों के अनेक मित्रों में मुझे ईश्वर का ही रूप दिखाई देता है।
बिएनएन तथा सिएनएन टिव्ही चैनल के डायरेक्टर श्री.अजयकुमार पांडेय जी भी मेरे अनेक लेख उनके अनेक मित्रों को निरंतर भेजते रहते है।
उनके देशविदेशों के अनेक मित्र भी मुझे मिलने के लिए, बोलने के लिए सदैव उत्सुक रहते है ,ऐसा पांडेय जी कहते है तो यह भी मेरा परम सौभाग्य है।
छत्तीसगड के राजासाब से भी अजयकुमार जी के अच्छे रिश्ते है।राजासाब भी मेरी हमेशा याद करते है यह भी मेरा सौभाग्य है।
मेरे लेखों द्वारा , मुझपर पवित्र प्रेम करनेवाले, देशविदेशों से अनेक मित्र मुझे मिल गये यह भी मेरा परम सौभाग्य है।
ऐसे अनेक मित्रों का ईश्वरी प्रेम मिलने के लिए प्रभू का ही आभार।
हरी ओम्