आजादी के बाद दो व्यक्तियों ने..
———————————
साथीयों,
आजादी कैसे मिली यह हम सभी को पता है।मगर आजादी के बाद कुछ व्यक्तियों ने देश को गुमराह करके सत्ता हासिल की।भयंकर, महाभयानक षड्यंत्र द्वारा बडे शातीर दिमाग से आसुरी सिध्दांतों को बढावा दिया।और उपर से भगवान भी बन बैठे।
क्या भयानक दिमाग लगाया है ना साथीयों , देश को संस्कृति मुक्त समाज बनाने का ?
तौबा तौबा।महाभयानक षड्यंत्र।
और हम ?
भोलेभाले बनकर, उनको देवता बनाकर, उनकी पूजा करते रहे।उनके पुतले खडे करते रहे।
वह हमारे बरबादी का नियोजन करते रहे।और हम मुर्ख बनकर उनकी पूजा करते रहे।
क्या यह हमारा दोष है ?
या हमारे भोलेपन का ?
यह हमारा दोष नहीं है।उनकी भयानक शतरंजी चाल का दोष है।
और दुर्देव से लुटेरे, आक्रमणकारियों के नाम स्वाभिमान से गली शहरों को हम देते है।और
दो….
महाभयानक, शतरंज की चाल चलनेवालों के पुतले खडे करके,उनकी पूजा भी करते है।
मगर जब सत्य ,हकीकत, असलियत, नकली मुखौटे समाज मन को समझ में आयेंगे
तब…
यही हमारा आदर्श समाज ऐसे नौटंकीबाजों के पुतले पर थुकेगा।
समझ गये ना ईश्वर बन बैठे वह महान हस्तियां ?
हाय तौबा….
उनकी गहरी चाल का भयंकर जहरीला फल आज हम भुगत रहे है।
मजबूरन।
ऐसी महाभयानक समस्याएं देश में बन रही है की,उनका हल निकालना या ढूंडना भयंकर मुश्किल हो रहा है।
हम तो तेजस्वी ईश्वर पूत्र है।हार मानेंगे नही।हल जरूर निकालेंगे भी।
और जितेंगे भी।
क्योंकि जीत हमेशा सत्य की होती है।
ईश्वरी सिध्दांतों की होती है।
क्योंकि सत्य का रखवाला खुद ईश्वर होता है।
और शायद हमारे संपूर्ण जीत का समय भी ईश्वरी इच्छा से ही
नजदीक ही आया होगा।
हरी ओम्
——————————-
विनोदकुमार महाजन