अजब गजब……
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अट्टल गुनहगार,
नामचीन गुनहगार,
कारागृहों में बंद
होकर भी….
अंदर से
चुनाव लडते है…
लाखों मतों से
आराम से
जीत के आते है…
कमाल है जनता की…
नामचीन गुनहगारों को
लाखों मतों से
जीताकर लाते है….
सरपर लेकर नाचते है…
अजब गजब के लोक
अजब गजब का लोकतंत्र
अजब गजब का कलियुग
कारागृहों में बंदी बनकर
रहते है….
और सुसंस्कृत समाज को
जोर का झटका धिरे से
लगाकर….
हाहाकार भी मचाते है
और हाहाकारी समाज की
शक्तियां भी बढाते है….
और सज्जन शक्तियों को
त्राही माम् बनाते है…
लोकतंत्र के नामपर
चलनेवाला तमाशा
कब बंद होगा ?
कौन बंद करेगा ?
हाहाकारी समाज को
कौन नियंत्रित कर देगा ?
सब अजब गजब…
सब अजब गजब…
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विनोदकुमार महाजन