*असली रिश्तेनातें कौनसे ?*
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लौकिक अर्थों से हमारे
रिश्तेनातें , खून के होते है !
जो इसी जन्म से संबंधित होते है !
मगर अलौकिक में हमारा
असली रिश्तेदार खूद ईश्वर
होता है , जो जन्म जन्मांतर
तक साथ रहता है !
जब ईश्वर से अटूट रीश्ता
जूड जाता है तब ? खून के
रिश्तेनातों से संपूर्ण संबंध विच्छेद हो जाता है !
ईश्वर से नाता साधता है वही
साधू होता है और साधू
स्थितप्रज्ञ होकर ,
विश्वोध्दार में ही अपना संपूर्ण जीवन बिताता है !
*जय जय रामकृष्णहरी !!!*
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*विनोदकुमार महाजन*