*ईश्वर कहाँ है ❓*
✍️ २६१७
ईश्वर कहाँ है ?
ईश्वर का धधगता तेज कहाँ है ??
वो तो हमारे अंदर ही है !?
ईश्वर का सारा चैतन्य , तेज , धधगती ज्वाला भी हमारे अंदर ही है !
फिर भी हम ? हतोत्साहित ,
गलीतगात्र , नामोहरम , तेजोहीन क्यों ?
क्यों ?? ❓⁉
राम भी हमारे अंदर है !
कृष्ण भी हमारे ही अंदर है !
धधगता नारसिंह भी हमारे अंदर है !
परशूराम भी हमारे अंदर ही है !
धर्म रक्षा के लिए
रावणदहन करनेवाले
राम अब बनना है !
मुरली की धून बजाने वाला , सुदर्शन चक्र धारी श्रीकृष्ण बनकर , सगामामा कँस , दुष्ट दुर्योधन , शकुनी जैसे अधर्मीयों का नामोनिशान ?
मिटाना है !
सदा के लिए !
धधगता लाव्हा बनकर , नारसिंह बनकर , उन्मादी , हैवानी हिरण्यकशिपु का भी संहार करना है !
सिध्दांतों के लिए , माता रेणुका का का भी…
सर …??? करनेवाला
चिरंजीव परशु धारी परशुराम भी बनना है !
धर्म संकट गहरा है !
अधर्म का अंधेरा भयानक है !
अधर्मीयों का उन्माद विनाशकारी है !
धरती माता भी पाप के भय से थरथर काँप रही है !
सजीव सृष्टि मुसिबतों में है !
सृष्टि चक्र भी असंतुलित है !
तो चलो ….
फिर से रामकृष्ण बनते है !
नारसिंह परशुराम बनते है !
कल्कि बनकर पाप का कलंक मिटाते है !
अधर्मीयों का नाश करके ,
ईश्वर की धरती फिर से खुशहाल बनाते है !
कृष्णशिष्टाई का समय समाप्त हुआ है !
” पांडवों का ” अज्ञात वास भी समाप्त हुआ है !
रामायण हुआ !
महाभारत भी हुआ !
अब घनघोर ” कलंकायन ”
होगा !
असुरों का मर्दन होगा !
रणकंदन ” भयंकर ” होगा !
भयमुक्त समाज होगा !
” रामराज्य ” फिरसे धरती पर आयेगा !
क्योंकि ??
अयोध्या में अब स्वयं राम
विराजमान हुए है !
जय जय श्रीराम !
जय जय श्रीकृष्ण !
नारसिंह भगवान की जय !
परशुराम की जय !
कल्कि भगवान की जय !!
*विनोदकुमार महाजन*