*सुखी जीवन के लिए ?*
*मंत्र , तंत्र और यंत्र ??*
✍️ लेखांक २६०९
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सनातन संस्कृति में
अनेक ऋषीमुनियों ने , सिध्दपुरूषों ने , महात्माओं ने अनेक प्रकार के संशोधन किए हुए है !
वह भी केवल तर्क संगत ही नहीं , बल्कि वैज्ञानिक कसौटियों पर भी खरे उतरने वाले , आश्चर्यजनक , हर युग में प्रभावशाली रहनेवाले , सप्रमाण अनेक प्रयोग किए गये है !
योग, प्राणायाम ,आयुर्वेद जैसे अनेक अद्वितीय संशोधन भी तो सनातन धर्म की , सभी के कल्याण के लिए , दी हुई देन तो है ही !
समस्त मानवसमुह के लिए , यह एक अद्भुत वरदान है !
सभी के सुखों का , सभी सजीव सृष्टि का कल्याण का विस्तृत मार्ग सनातन धर्म में सिखाया – बताया जाता है !
*इसीलिए सनातन धर्म महान* *है !*
मंत्र ,तंत्र और यंत्र यह भी एक सनातन धर्म की विश्व कल्याण तथा मानवकल्याण की ईश्वर निर्मित अद्भुत देन है !
*फिर भी सनातन धर्म के* *विरुद्ध अपप्रचार क्यों ?*
*वह भी जानबूझकर ??*
इससे प्रदत्त और ईश्वर निर्मित सनातन धर्म पर खरोंच भी नहीं आयेगी !
बल्कि सनातन धर्म के विरूद्ध अपप्रचार करनेवालों के , नौटंकीबाज मुखौटे एक दिन जरूर सामने आकर रहेंगे !
खैर !
अनेक अद्भुत और अनाकलनीय रहस्यों का संगम और उसका सप्रमाण , विस्तृत विवेचन मतलब सनातन धर्म !
अनेक धर्म ग्रंथ तथा उसीमें उध्दृत अनेक मंत्र , तंत्र और यंत्र यह भी एक विश्व कल्याण की , हमारे पुरखों की आश्चर्यजनक देन है !
इसीलिए बिना अभ्यास किए , सनातन धर्म के विरुद्ध , निरंतर जहर उगलना भी केवल ईश्वरी सिध्दांतों के विरुद्ध ही नहीं तो , आसुरीक शक्तीयों को बल देनेवाला तथा हैवानियत को बढावा देनेवाला , विनाशकारी और गलत कदम है !
मंंत्रों में कितनी अद्भुत शक्ति तथा वरदान होता है – यह भी अब सप्रमाण सिध्द होता जा रहा है !
विशेषत: गुरूमंत्र में अद्भुत और अलौकिक शक्तीयों का भंडार होता है !
जिसने भी इसका सप्रमाण अनुभव किया हुवा है , उसका केवल यह जीवन ही धन्य होता है , ऐसा नहीं तो , जन्म जन्मांतर का कोट कल्याण हो जाता है !
जो चाहिए वह सबकुछ प्राप्त करने की अद्भुत और अलौकिक शक्ति गुरूमंत्र में होती ही है !
तंत्र मार्ग भी एक वरदान है और अनेक अद्भुत एवं अलौकिक शक्तीयों का भंडार है !
सात्विक साधना में , विशेषत: मंत्रशक्तीयों पर बल दिया जाता है !
मगर अघोर साधनाओं में अनेक प्रकार की जटिल तांत्रिक क्रियाओं द्वारा , इक्छीप्त साध्य करने का
मार्ग अवलंबित किया जाता है ! इसकी साधना भी अत्यंत खडतर होती है !
इसमें पूर्णत्व हासिल करना तथा अनेक सिध्दियां प्राप्त करना भी आसान नहीं होता है !
स्मशान साधना , प्रेत साधना जैसी अनेक साधनाओं द्वारा ,
लौकिक तथा पारलौकिक सुखों की प्राप्ति की जाती है !
सात्विक साधना में , केवल , गुरूमंत्र जाप से ही , अनेक सिध्दियां प्राप्त होती है ! तथा लौकिक , अलौकिक ,पारलौकिक सुखों की प्राप्ति हो जाती है !
मंंत्र , तंत्र की तरह , यंत्र साधना भी अनेक सिध्दयों के लिए , वरदान दे सकती है !
मगर सभी साधनाओं के लिए , उसके पूर्णत्व के लिए , और ब्रम्ह शक्तीयों से एकरूप होने के लिए ,
गुरु की , गुरु के
मार्गदर्शन की , गुरूदीक्षा तथा गुरूमंत्र की सख्त जरूरत होती ही है !
उसके लिए , गुरु चरणों पर सबकुछ समर्पित तथा सबकुछ नौछावर करने की हमारे अंदर क्षमता , योग्यता तथा समर्पण भाव चाहिए !
तभी गुरु कृपा हो जाती है !
और आज के भयंकर मायावी बाजार में , असली गुरू की प्राप्ति तथा गुरु की पहचान अत्यावश्यक होती है !
मंत्र दिक्षा हो , शक्तिपात दिक्षा हो , हठयोग दिक्षा हो , अथवा अघोर साधना की दिक्षा हो….
गुरु की आवश्यकता होती ही है !
गुरूबिन नहीं ज्ञान !!
मनुष्य जन्म में , जो चाहिए वह साध्य करने के लिए , नरदेह के कल्याण के लिए , तथा मोक्षप्राप्ति के लिए भी , सद्गुरु चरणों में सदैव समर्पित रहना अत्यावश्यक ही नहीं बल्कि , सदैव हितकारी होता है !
मंंत्र ,तंत्र और यंत्र हमारे लिए केवल वरदान ही नहीं है तो , सभी सुखों का भंडार है !
मगर मनुष्य प्राणी , इससे काफी दूर जा रहा है !
और यही सभी के दूखों का तथा वैश्विक समस्याओं का मूल कारण है !
इसिलिए आज संपूर्ण विश्व को सत्य की और सत्य का ज्ञान देनेवाले , सत्य सनातन धर्म की सख्त जरूरत है !
जब वैश्विक मानवसमुह इसपर गहन अध्ययन करेगा , इसपर विस्तृत विवेचन करेगा तो उसके समझ में यह जरूर आयेगा की सत्य सनातन धर्म ही अंतिम सत्य है !
जो सभी सिध्दीयों कि ओर , आत्मकल्याण कि ओर , विश्वकल्याण कि ओर तथा ईश्वर कि ओर और मोक्ष कि ओर जाता है ,
यही एकमात्र अंतिम सत्य है !
बाकी सब ?
भूलभुलैय्या और एक भ्रम तथा आभास है !
मगर इसके लिए ?
वैश्विक स्तरपर मार्गदर्शन करनेवाला तथा सभी को उसी दिशा में ले जानेवाला ,
एक….
शक्तिशाली गुरु चाहिए !
इसिलिए ?
चलो सत्य कि ओर !
चलो सत्य सनातन धर्म कि ओर !
चलो उजाले कि ओर !
चलो ईश्वर कि ओर !
चलो आत्मकल्याण कि ओर !
अंधियारा छोडो !
प्रकाशमान बनो !!
तेजस्वी ईश्वर पुत्र बनो !!!
।। सद्गुरू आण्णा माऊली कि त्रिवार जयजयकार
हो ।।
।। श्रीकृष्ण: शरणं मम् ।।
।। हरी ओम् ।।
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*विनोदकुमार महाजन*