Thu. Feb 20th, 2025

प्रभु तु कहाँ है ??

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*कहाँ से आती है ?*
*इतनी शांति ??*
✍️ २६०७

❓🕉❓🕉❓🕉

महाभारत में….
भगवान श्रीकृष्ण का पात्र बडा ही आश्चर्यचकित करनेवाला है !

कृष्ण का संपूर्ण जीवन ही संघर्षों से भरा हुवा है और फिर भी परमशांति का भंडार है वह परमात्मा !?

भगवान श्रीकृष्ण के , अवतार कार्य समाप्ति के समय में सारे यादव , आपस में लडने लगे और यादवकुल का संपूर्ण नाश हो गया !?
इतना ही नहीं तो ….??
सोनेकी द्वारका भी अंत में समुद्र में डुबोनी पडी !??

फिर भी भगवान श्रीकृष्ण ?
निश्चल , शांत मौन और स्थितप्रज्ञ ??
कहाँ से आती है इतनी शांति , स्थितप्रज्ञता , शांति का भंडार ??

साधारण मनुष्य प्राणी छोटी छोटी घटनाओं से विचलित होता है , टूट जाता है , हताश – निराश हो जाता है ?

और ?
खुद का अवतार कार्य भी एक साधारण व्याध के बाण से समाप्त होनेवाला है , यह ज्ञात होकर भी ?
सदैव हास्यमुख ??

क्योंकि यह ईश्वर है !
इसकी सारी सृष्टिरचना , लीला भी अगम्य , अगाध होती है !
सबकुछ आश्चर्यजनक !
हमारे समझने से बाहर !

कुछ अद्भुत घटनाओं को भी गौर से देखीए !

पैठण के महान संत
एकनाथ महाराज जी के साथ भगवान श्रीकृष्ण स्वयं श्रीखंड्या जैसा पाणक्या बनकर ,देहरूप से गुप्त रूप में रहता था , इतना बड़ा आश्चर्य ? ईश्वर के प्रति प्रेम, निष्ठा, श्रद्धा थी एकनाथ महाराज की ?
इतना बड़ा श्रेष्ठत्व ??

और फिर भी….?
उनका खुद का बेटा ?
हरीपंडित ? एकनाथ महाराज जी के साथ विनावजह झगडा करके , दस सालों तक ? काशी को चला जाता है ? और फिर भी एकनाथ महाराज स्थितप्रज्ञ ?

है ना आश्चर्य ?

दूसरा एक उदाहरण !
स्वामी विवेकानंद जी के गुरु , रामकृष्ण परमहंस जी के साथ , माता महाकाली भी गुप्त रूप से रहती थी , उनके हाथों से खाना भी खाती थी !

फिर भी अंत समय में रामकृष्ण परमहंस जी को रक्त का कँन्सर हो गया ?

रामदास स्वामी जी के साथ
स्वयं हनुमान रहता था ,
फिर भी रामदास स्वामी ,
भयावह और विनाशकारी ,
अस्मानी सुल्तानी को नहीं रोक पाये ?
और उन्हें भी कहना पडा ?
” तुझा दास मी व्यर्थ जन्मास आलो ? ”

शिवाजी महाराज जी को स्वयं भवानी माता ने प्रकट होकर , भवानी तलवार दी थी !
फिर भी शिवाजी महाराज दिल्ली नहीं जीत सके ? संपूर्ण भारत में हिंदवी स्वराज्य स्थापित करने का उनका सपना भी अधूरा ही रह गया ?

ईश्वरी सिध्दांतों पर चलने वाले सावरकर , सुभाष बाबू जैसे अनेक महात्माओं को भी आजादी के पहले भी और आजादी के बाद भी ?
उपेक्षा , अपमान ही सहना पड़ा ?

यह कैसी तेरी रचना है प्रभु ??

सत्य का और धर्म का रखवाला स्वयं ईश्वर होता है ? तो भी आज ? भी ?
सत्य ? धर्म ? और धर्मावलंबी क्यों तडप रहे है ?

।। धर्मों रक्षति रक्षितः।।
यह अद्भुत ईश्वरी सिध्दांत होकर भी….
संभाजी महाराज ,
गुरू गोविंद सिंह ,
महाराणा प्रताप ,
पृथ्वीराज चौहान ,
बाजीराव पेशवा ,
जैसे महान वीरों का ….?
धर्म रक्षा के समय ही अंत क्यों और कैसे हुवा ?

प्रभु
यह कैसी तेरी रचना है ?
समझने से बाहर है सबकुछ ?

आज वर्तमान समय में भी
इतनी भयंकर विनाशकारी धर्म ग्लानि होकर भी ,
सृष्टिनियंता ईश्वर ?
स्थितप्रज्ञ , मौन और शांत कैसे है ?

हरदिन गौलोक से आनेवाली ,उसके ही गौमाताओं के खून की नदियां संपूर्ण विश्व में बह रही है ?
तो भी ईश्वर स्थितप्रज्ञ क्यों है ?

प्रभु
ऐसा भयंकर , भयावह अधर्म आँखों से देखा नहीं जाता है ?
सबकुछ असह्य है
तो भी परम दयालु परमात्मा ,
भक्तों की रक्षा के लिए , प्राणीमात्र की रक्षा के लिए ,
तु दौडकर क्यों नहीं आता है ??

सत्य तडपतडपकर मर रहा है ? फिर भी सत्य का रखवाला स्वयं भगवान होकर भी ?
ईश्वर चमत्कार क्यों नहीं दिखा रहा है ?
उसके अद्भुत और आश्चर्यजनक शक्तीयों का अदृश्य भंडार कहाँ है ?

ऐसे अनेक अनसुलझे प्रश्नों का उत्तर भी ?
स्वयं ईश्वर ही दे सकता है ??

।। हरी ओम् ।।
।। हरी ओम् ।।
।। हरी ओम् ।।

❓⁉🚩❓⁉🚩

*विनोदकुमार महाजन*

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