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चैतन्यमय समाज के लिए

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जिस देश में भगवतगीता
जैसा तेजस्वी धर्मग्रंथ है
और भगवान श्रीकृष्ण जैसी
तेज:पूज और अष्टपैलू
देवता है उसी देश की इतनी
भयंकर दुर्दशा क्यों ? यहाँ का
समाज तेजोहिन ,गलितगात्र
क्यों ? और कैसे ??
चलो उठो , हर एक का तेज
जगाते है.!!

विनोदकुमार महाजन

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