यह लोकतंत्र था ?
या झोटिंगशाही ???
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आजादी के बाद,
सुभाष बाबू, सावरकर, शास्र्तीजी जैसे अनेक प्रखर राष्ट्रप्रेमियों को किसिने जानबूझकर प्रताडित किया ?
अगर हाँ तो क्यों ?
अनेक साधुसंतों पर,गुणवंतो पर,राष्ट्रप्रेमियों पर अत्याचार क्यों हुवा ?
उनको प्रोत्साहित करने के बजाए,हतोत्साहित क्यों किया गया ?
सत्य को,सत्य सनातन को,ईश्वरी सिध्दांतों को दबाने की क्यों कोशिश की गई ?
एक उदाहरण,
जब कश्मीरी पंडितों पर ( वास्तव में हिंदुओं पर )
जघन्य अत्याचार हो रहे थे,तो सरकार मौन,शांत और तटस्थ क्यों थी ?
कश्मीरी हिंदुओं का तत्कालीन सरकार ने रक्षण क्यों नही किया ?
जब जनता के रक्षण के लिए सरकार होती है ?
अत्यारियों को खुलेआम छूट क्यों मिली,किसने दी ?
कश्मीर में अत्यारियों के खिलाफ तुरंत सख्त कानूनी कार्रवाई क्यों नही हो सकी ?
हिंदु संस्कृति को,मंदिरों को,देवी देवताओं को बदनाम करने का षड्यंत्र क्यों किया गया ?
आजादी के बाद संपूर्ण देश में विविध प्रकारों से.हिंदुओं का दमन,उत्पिडन जानबूझकर क्यों किया गया ?
बस्स….युं ही पुंछ लिया।
देश उत्तर जानना चाहता है।
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय हिंदु समाज इसका योग्य उत्तर चाहता है।
अपेक्षा करता हुं,
उत्तर मिलेगा।
भारतीय संविधान के तहत सभी नागरिकों को सत्य जानने का अधिकार मिला है।
संविधान के अनुसार प्रश्न का सही उत्तर मिलना आवश्यक है।
और उत्तर नही मिला तो मैं एक जागरूक भारतीय नागरिक के अनुसार सिर्फ़ इतना ही कहुंगा,
“यह सचमुच में लोकतंत्र ही था,या झोटिंगशाही ?”
हरी ओम।
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विनोदकुमार महाजन।
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