*जी हाँ मैं मोदिभक्त हूं*
*अंधभक्त हूं !!*
✍️ २४७६
*विनोदकुमार महाजन*
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चमचे ?
कौन चमचे ? कैसे चमचे ? किसके चमचे ?
मोदिभक्तों को अंधभक्त कहने वाले चमचे !
राष्ट्रप्रेमीयों से नफरत करनेवाले ,चौबीसों घंटे विनावजह जलनेवाले चमचे !
मोदिजी का नाम लेते ही पागलों जैसी हरकतें करनेवाले चमचे !
इन चमचों का मोदिजी का गतीशील विकास नहीं दिखाई देता है ! मोदिजी का प्रखर राष्ट्रप्रेम नहीं दिखाई देता है !
मोदिजी का त्याग , तपस्या , ईश्वरी निष्ठा , देश को आगे ले जाने के लिए , चौबीसों घंटे मोदिजी के अथक प्रयास नहीं दिखाई देते है !
सिर्फ और सिर्फ जलते रहना !
मोदिजी का नाम सुनते ही पागल हो जाना !
” *हिंदुद्रोही हिंदू “*??
ऐसे विनाशकारी प्रजाति का आखिर इलाज भी क्या है !
देश के गतीशील विकास कार्यों में भी ऐसे चमचे रोडे अटकाएंगे ! जातीपाती में आपसी कलह – द्वेष – मत्सर फैलायेंगे ! समाज में नफरत का जहर फैलायेंगे !
मगर एक बात भी पक्की है की ,
जैसे जैसे चमचों की जलन बढती जा रही है…वैसे वैसे मोदिजी की लोकप्रियता भी बढती जा रही है ! तमाम भारतीय समाज मोदिजी के पिछे अपनी सारी शक्ति खडी कर रहा है ! और भारतीय समाज तेज गति से एक भी हो रहा है !
इसीलिए हमें अगर कोई *मोदिभक्त कहें अथवा*
*अंधभक्त कहें*
हमें यह भी मंजूर है !
उल्टा इसी में ही हमारा अभिमान भी है !
मोदिजी को कोई कहता था ,
” *चौकीदार चोर है “*
तो पूरा देश मोदिजी के प्रेम के प्रति यही कहने लगा…
” *मैं भी चौकीदार ! “*
अब एक *चाराचोर* एक बात कह गया कि ,
” *मोदिजी का परिवार कहाँ है “*?
*तो पूरा का पूरा , सारा का सारा*
देश कहने लगा….
” *मैं भी मोदिजी का परिवार “*
तो चमचों
विनावजह कबतक जलते रहोगे ?
मोदिजी के *धधगते ईश्वरी तेज से* कबतक नफरत करते रहोगे ? और इससे मोदिजी जैसे *युगपुरुष पर* क्या फर्क पडेगा ?
**जिस महात्मा पर खुद ईश्वर ही* *पवित्र प्रेम करता है*
*उस पवित्र आत्मा का तुम क्या* *बिगाडोगे ?*
अभी भी सुधर जाव चमचों !
अभी भी वक्त हाथ में है !
राष्ट्रप्रेमीयों के साथ खडे हो जाव !
व्यर्थ का द्वेष – मत्सर – नफरत – जलन – विनावजह का लफडा
सदा के लिए त्याग दो !
*और ?*
*मोदिभक्त बनो !*
*जीवन का कल्याण होगा !*
*मैं भी चौकीदार !*
*मैं भी मोदिजी का परिवार !*
*मैं ही मोदिभक्त हूं !*
जी हाँ
मैं भी सच्चाई की हमेशा की जीत के लिए , मैं भी जरूर *अंधभक्त भी हूं !*
*जय जय श्रीराम*
*हर हर महादेव*
🚩🚩🚩🪷🕉