मनोविज्ञान और निसर्ग के चमत्कार !
✍️ २२३७
विनोदकुमार महाजन
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आध्यात्मिक व्यक्ति मनोविश्लेषण कर सकता है, मगर मनोवैज्ञानिक, आध्यात्मिक विषयों में रूची दिखाने वाला ही होगा इसका कोई भरौसा नहीं होता है !
इसिलिए, यह दोनों विषय संपूर्णता अलग अलग होते है !
मनोविज्ञान यह एक अलग विषय है !
और चमत्कार ?
यह विषय संपूर्णतः अलग है !
मनोविज्ञान चमत्कारों को नहीं मानता है ! बल्कि, चमत्कारों को मनोविज्ञान , एक आभास के दृष्टिकोण से देखता है !
इसीलिए, मनोविज्ञान को अनेक प्रकार के मर्यादाओं में ही रहना पड़ता है !
जैसे ? ब्रम्हांड में घटित होनेवाली अनेक प्रकार की,आश्चर्यजनक तथा चमत्कारिक घटनाओं को और उसके सटीक विश्लेषण करने में मनोविज्ञान को अनेक प्रकार की मर्यादाओं में रहकर ही, विश्लेषण करना पडता है !
इसिलिए अनेक प्रकार के चमत्कार तथा चमत्कारिक घटनाओं का यथायोग्य विश्लेषण करने में मनोविज्ञान असमर्थ होता है !
अनेक प्रकार की आश्चर्यजनक, अनाकलनीय, अविश्वसनीय,अद्भुत घटानाएं हमेशा हमारे आसपास घटीत होती रहती है ! और हम उस घटनाओं को, अचंभित नजरों से देखते रहते है !
पिशाचों का वास्तव्य और उनके अस्तित्व का अनुभव करना, यह भी एक आश्चर्यजनक घटनाओं में से एक है !
मूलतः पिशाच होते है क्या ?
और अगर होते है तो,पिशाचों कैसे होते है ?
यह गूढ विषय है !
और ऐसे अनेक प्रकार के गूढ विषयों का, यथोचित विश्लेषण करना, मनोविज्ञान को अथवा मनोवैज्ञानिकों को संभव होता नहीं है !
अनेक प्रकार के गूढ विषयों का विश्लेषण उच्च कोटि की आध्यात्मिक शक्तियों द्वारा करना ही संभव होता है !
जैसे ?
किसी व्यक्ति की मृत्यु होने के बाद भी,वह व्यक्ति फिरसे, वही मानवी देह धारण करके,हमें दर्शन देता है ? तो ऐसी घटानाएं एक आश्चर्य का ही विषय होता है ! यह एक गूढ विषय है, और गूढ विषयों का अनुभव करने के लिए, उच्च कोटि की आत्मानुभूति ही चाहिए ! और ऐसी आत्मानुभूति साधारण व्यक्तियों को होती नहीं है !इसीलिए साधारण व्यक्ति, ऐसे गूढ विषयों को थोतांड के नजरों से ,अथवा अंधविश्वास के नजरों से ही देखते है !
और इसमें उनका दोष भी नहीं है !
गूढ विषयों का आकलन करने की क्षमता, उनके दिमाग में होती ही नहीं है !
इसिलिए समाज में अनेक गूढ विषयों के प्रती अनेक प्रकार के मतभेद, मतमतान्तर देखने को मिलते है !
गूढ विषय हमेशा कुतुहल के विषय होते है !
मगर मनुष्य प्राणियों की जिज्ञासा, ऐसे विषयों में जादा होती है !
पशुपक्षीयों के साथ बातें करना, अथवा पशुपक्षीयों की भाषा समझना ,अथवा मनुष्यों की वाणी से, पशुपक्षीयों से संवाद करना, ऐसे गूढ विषय साधारण व्यक्तियों के समझने के बाहर के होते है !
मगर यह वास्तव है !
मेरे अनेक लेखों में मैंने ऐसे अनेक विषयों पर विस्तृत से विवेचन, लेखन किया है !
मगर साधारण व्यक्तियों के नजरों से, ऐसी विचित्र घटनाओं का कोई महत्व ही नहीं होता है !
इसिलिए चमत्कार तथा चमत्कारिक घटनाओं के बारे में, साधारण व्यक्ति विश्वास नहीं रखता है ! और ऐसे अनेक गूढ विषयों को, मनोविज्ञान से जोडकर, अपने मन को संभ्रम में रखता है !
और इसी विषय को अंतिम सत्य के रूप में देखने में असमर्थ होता है !
नितदिन की भयंकर भागदौड़ की वजह से,ऐसे विषय, अनेक व्यक्तियों के लिए, केवल मनोरंजन के ही विषय होते है ! अपने बुध्दीचातुर्य के अनुसार, इसका अंजाम देता रहता है !
अनेक सालों से,अनेक सिध्दपुरूषों ने,हटयोगीयों ने अनेक प्रकार के,मन को द्वीधा स्थिति में डालने वाले और आश्चर्यजनक चमत्कार दिखाये है ! और साधारण मनुष्य जब ऐसे चमत्कार अपनी आँखों से देखता है तो,हक्काबक्का सा रह जाता है !
क्या यह सत्य है ?
ऐसी उसकी धारणा बन जाती है !
ऐसे ही गूढ विषयों में से,
पिशाचों का अस्तित्व यह भी एक गूढ विषय है ! और पिशाच कैसे होते है,इसपर विस्तृत विवेचन करने के लिए,एक स्वतंत्र लेख लिखना पडेगा !
जो स्वानुभव पर आधारित रहेगा !
लाश को जींदा करना, यह विषय भी,अनाकलनीय तथा साधारण मनुष्य प्राणियों के दिमाग के बाहर का विषय है !
उनके बुध्दी में नहीं बैठने वाला विषय है !
मगर हमारे अनेक सिध्दपुरूषों ने अपनी अद्भुत शक्तियों द्वारा, ऐसे चमत्कार भी किए है !
संत ज्ञानेश्वर जी ने,
भैंसों से भी वेद बुलवाये थे !
और निष्प्राण दीवार को भी चलाया था !
क्या यह चमत्कार ही था !
आधुनिक विज्ञान और मनोविज्ञान के लिए, आव्हानात्मक था !
ऐसे चमत्कारों के लिए, इनके पास कुछ भी उत्तर नहीं होते है !
मेरा कल का लेख पढते समय,अनेक मान्यवरों के मनोमस्तिष्क में,यह प्रश्न जरूर आया होगा की,
गौमाता स्त्री की आवाज में कैसे बोल सकती है ? यह भी एक संशोधनात्मक विषय है !
अनाकलनीय भी है और अद्भुत भी है ! और गूढ भी है !
मगर इसकी गहराई नापने के लिए, केवल और केवल कोई महासिध्दयोगी अथवा हठयोगी ही,इसकी जड तक पहुंच सकता है ! साधारण व्यक्तियों के लिए, यह केवल हँसी मजाक का,अथवा मनोरंजन का ही विषय हो सकता है !
मेरे जीवन में ऐशी अनेक अद्भुत तथा अनाकलनीय घटनाओं का सिलसिला लगातार ,अनेक बार,शुरू रहता है !
कोई विश्वास भी नहीं करेगा, ऐसी अनेक अद्भुत, अनाकलनीय, अविश्वसनीय घटानाएं मेरे जीवन में घटित होती रहती है !
मगर इसका प्रत्यक्ष प्रमाण क्या है ?
दिव्य अनुभुतीयाँ और आत्मानुभूति यह विषय खुद को अनुभव करने के होते है !
फिर भी किसी व्यक्ति का आश्चर्यजनक और उस व्यक्ति का संपूर्ण परीवर्तनीय जीवन ही,इसका प्रत्यक्ष प्रमाण होता है !
इसीलिए ऐसे गूढ और गहन विषय, ” प्रयोगशाला ” में जाँच के विषय नहीं होते है !
और नाही तर्कशास्त्र अथवा मनोविज्ञान के विषय होते है !
उच्च कोटि की श्रद्धा, विश्वास, प्रेम और ईश्वर के प्रती संपूर्ण समर्पित भाव ही ऐसे अनाकलनीय विषयों का, विस्तृत विवेचन करने में सक्षम होते है !
पिशाच बाधित व्यक्तियों का भयंकर जीवन और उस व्यक्ति को होनेवाली भयंकर पीडा, ऐसी घटनाओं का प्रत्यक्ष प्रमाण हो सकता है !
मगर आधुनिक विज्ञान अथवा मनोविज्ञान पिशाच बाधित व्यक्तियों को,अलग नजरों से ही देखता है !
उसे या तो पागल घोषित करता है, अथवा मनोरूग्ण !
मगर वास्तव तक पहुंचने में, संपूर्ण रूप से असमर्थ होता है !
पिशाच बाधित व्यक्तियों का और मनोरूग्ण, पागलों का,पागलपन के दौरे पडने वालों का आचरण बिल्कुल अलग होता है !
मगर दोनों विषयों में, विक्षिप्तता तो दिखाई देती ही है !
मगर इस विषय का संपूर्ण तथा यथोचित ज्ञान रखने वाला व्यक्ति, अथवा आध्यात्मिक व्यक्ति,मनोविज्ञान को दूर हटाकर, ऐसी अचंभित करनेवाली घटनाओं की ओर देखता है !
और इसपर अपनी दैवीय शक्तीयों द्वारा काबू भी पा सकता है !
जानेमाने डाँक्टर भी ऐसे विषयों में , कुछ समझ नहीं सकते है ! मगर एक सच्चा आध्यात्मिक जानकारी रखने वाला,मगर पहुंचा हुवा व्यक्ति, ऐसी अनेक अद्भुत घटनाओं का हल निकालने में, सक्षम रहता है !
ईश्वर का पुर्णावतार अथवा अंशावतार जब धरती पर, मानवी देह धारण करके आते है,तब भी उनके जीवन में, ऐसी अनेक अद्भुत, अनाकलनीय तथा आश्चर्यजनक ,अविश्वसनीय घटनाओं का सिलसिला लगातार जारी रहता है !
अथवा ऐशी अनेक घटानाएं ऐसे व्यक्तियों के जीवन में सदैव घटती ही रहती है !
इसके अनेक आश्चर्यचकित करनेवाले प्रमाण भी हमें अनेक बार, समाज में, इर्दगिर्द क्षदेखने को जरूर मिलते ही है !
इसके लिए हमारी आँखें खुली होनी चाहिए !
ईश्वर और ईश्वर ने बनाया हुवा संपूर्ण ब्रम्हाण्ड भी अनेक आश्चर्यजनक तथा चमत्कारिक घटनाओं से भरा हुआ है !
साधारण व्यक्तियों के समझने के संपूर्ण बाहर का यह विषय है !
ऐरेगैरों का यह काम नहीं !
पैदा होना और एक दिन मर जाना, यही उनके जीवन का अंतिम मकसद होता है !
खावो,पिवो ,ऐश करो !
जीवन समाप्त !
मर्यादित जीवन !
मर्यादित और संकुचित जीवनप्रणाली !
ऐसे गूढ विषयों का आकलन होने के लिए दिव्यानुभूतीयों की,दिव्यज्ञान की,दिव्यचक्षुओं की ही जरूरत होती है !
और ऐसी दिव्य शक्तियां करोड़ों में…एकाध के पास ही होती है !
अन्यथा ?
अंगूर खट्टे ही होते है !
जीवनभर के लिए !
खैर !
अगला गूढ विषयों का लेख…
” भूतों से दोस्ती ! ”
हरी ओम्
🙏🙏🙏🙏🙏