
*क्या तंत्र से जीवन* *बरबाद हो सकता है ??*
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तंत्र मार्ग…एक जबरदस्त शक्तिशाली अदृश्य शक्तियों का अदृश्य जगत…!
क्या सचमुच में ऐसी तांत्रिक शक्तिमान और अदृश्य क्रियाएं होती है ?
जी हाँ !
जैसे ?
हमारा आत्मा अदृश्य है , हमारी श्वास भी अदृश्य है , इसी प्रकार से ब्रम्ह शक्तियां भी अदृश्य है , जिसे निराकार ब्रम्ह भी कहते है !
क्या तांत्रिक क्रियांओं द्वारा मनुष्य जीवन में असंभव को संभव में बदला जा सकता है ?
जी हाँ !
क्या तंत्र मार्ग वास्तव में होता है ?
जी हाँ !
स्मशान विद्या यह एक तंत्र मार्ग की महत्वपूर्ण शाखा है !
मंत्र शक्तियों द्वारा भूत , पिशाच्च , प्रेतों को वशीभूत करके , अनेक प्रकार के अच्छे बूरे कार्य किए जाते है !
क्या मैंने खुद कभी भूत देखे है ?
जी हाँ !
और मैंने ईश्वर भी देखा है !
तो यह अदृश्य शक्ती होकर भी दृश्य में कैसे दिखाई देती है ?
कुछ समय के लिये पंचमहाभूतों का आधार लेकर अनेक चित्र विचित्र प्रकार के आकार धारण करना !
क्या किसीका जीवन तांत्रिक क्रियांओं द्वारा बरबाद किया जा सकता है ?
जी हाँ !
अदृश्य शक्तियों द्वारा किए गये अदृश्य कार्य इसका प्रमाण है !
कैसे ?
किसी का हंसता खेलता जीवन अचानक बरबाद हो जाना !
जबरदस्त चल रहा धंदा अचानक बैठ जाना !
घरेलू विवादों से संपूर्ण घर परीवार बरबाद हो जाना !
घर में अनेक सदस्यों को अनेक बिमारीयों के साथ अनेक सालों तक जूंझते रहना !
आर्थिक परेशानीयों का निरंतर सामना करना !
कोर्ट कचहरी के मामले बढना !
मन निरंतर बेचैन अस्वस्थ रहना !
बूरे सपने आना !
सपनों में भूत पिशाच्च,सांप बिच्छू दिखाई देना !
निरंतर पागलों जैसी हरकते करना !
असंबद्ध बडबड करते रहना !
हमेशा मन अशांत रहना अथवा हमेशा लडाई झगडे की भावना रखना !
ऐसे अनेक प्रकार के अनेक कारण हो सकते है जो साबित करते है की , जरूर कोई तांत्रिक क्रियाएं कर रहा है !
विशेषतः अमावस्या और पौर्णीमा को जादा तकलीफे बढना !
अनेक बार अपघात होना !
साथ में ग्रहदशा का प्रभाव है तो और भी परेशानियां बढती रहती है !
पितृदोष , पुर्वजों का शाप , कालसर्प योग होगा तो ? अतिभयावह जीवन !
मृत्यू भी अच्छी लगने लगती है !
कितना भी जप तप करें , कोई फायदा या प्रभाव दिखाई नहीं देता है ?
तो तांत्रिक ऐसे समय में देवता बंधन भी करते है !
कलियुग में सात्विक साधना अथवा सात्विक मंत्र साधना से शक्तिशाली तंत्र साधना होती है !
तंत्र साधना अच्छे और बूरे कर्मों के लिये भी की जाती है !
अघोरी साधू , नागा साधू , नाथपंथी साधू तांत्रिक क्रियांओं के लिये माहीर समझे जाते है !
मगर आज की घडी में तांत्रिक भोंदू साधू बनकर ठगने का धंदा भी बहुत तेज है !
ऐसे ही लोगों के कारण सच्चे साधू बदनाम होते है !
असली तांत्रिक साधू बहुत विरला होते है !
जो समाज से दूरीयां बनाकर रहते है !
पिशाच्च भी अच्छे और बूरे दोनों प्रकार के होते है !
जीवन बरबाद करनेवाली अदृश्य तांत्रिक क्रियांओं का कोई इलाज भी है या नहीं ?
है इलाज जरूर है !
इसके लिए असली तांत्रिक साधू ही चाहिए !
और उसकी भी पहचान होनी चाहिए !
तंत्र को केवल शक्तिशाली तंत्र ही काट सकता है !
और नवनाथ सांप्रदाय अथवा नाथपंथी साधू जो होते है यही इसकी असली काट होती है !
क्योंकी नाथपंथ केवल और केवल विश्व कल्याण के लिये ही कार्य करता है ! और इसके तंत्र और मंत्र की शक्तियों को देवीदेवताओं का भी वरदान है !
और नवनाथ चिरंजीव होने के कारण आज भी अदृश्य रूप से संपूर्ण धरती पर जनहितार्थ भ्रमण करते रहते है !
गुरू दत्तात्रेय की उपासना भी तांत्रिक क्रियांओं को समाप्त करने के लिये महत्वपूर्ण होती है !
क्योंकी गुरू दत्तात्रेय ने ही नवनाथों को वरदान दिया हुवा है !
दत्त उपासना से संपूर्ण जीवन भी बदल सकता है !
मगर गुरूकृपा के बिना दत्त कृपा भी असंभव होती है !
इसिलिए हर एक के जीवन में सद्गुरू की आवश्यकता होती है !
मेरे सद्गुरू आण्णा ने मुझसे खडतर तपश्चर्या करवाकर ,प्रत्यक्ष गुरू दत्तात्रेय की कृपा मुझपर की गई है !
जो वैश्विक कार्य तथा वैश्विक सनातन संस्कृती को विश्व के कोने कोने में पहुंचाने के लिये महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी !
और यह वैश्विक कार्य का दौर भी आरंभ हो गया है !
मेरे सद्गुरू आण्णा की कृपा से संपूर्ण ब्रम्ह ज्ञान और गुह्य ज्ञान मुझे प्राप्त हो गया है !
इसिलिए मेरा जीवन भी अब…👇👇👇 ऐसा ही बन गया है…
*महासिध्दयोगी हूं मैं !!*
मेरे सद्गुरू आण्णा ने मुझे
महासिध्दयोगी बनाया !
जहाँ भी मैं जाऊंगा , जहाँ भी मेरे पैर लगेंगे , वहां सब का कल्याण होगा , परम मंगल ही होगा !
किसी को दूरसे भी आशिर्वाद दूंगा तो भी उसका कल्याण ही होगा !
मगर कहां जाना है और नहीं जाना है यह मेरी इच्छा है !
आसुरीक वृत्तीयों को टालकर ईश्वरी सिध्दांतों के लिये कार्य करना ही परमहितकारी होता है !
उच्च सात्विक और निरपेक्ष प्रेमभाव , श्रध्दा , भक्ति और विश्वास और सब्र इसका फल हमेशा मिठा ही होता है !
सद्गुरू आण्णा की जय !
अवधूत चिंतन श्री गुरूदेव दत्त !
गुरू गोरखनाथ की जय !
अलखनाथ बापू की जय !
योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण की जय !
*आदेश*
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*योगी बर्बरनाथ ( बापू )*
( *विनोदकुमार महाजन )*
३०/११/२०२५
*दत्त नवरात्र*
