क्यों ? ” सैतानों ” की सहायता कर रहे हो ???
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” तुम्हारे ” बीच रहेंगे,
बिजनेस – कारोबार करेंगे !
तुम्हारा ही पैसा हडपेंगे !
और तुम्हे ही ” समाप्त ” करने का महाभयंकर षड्यंत्र…
दिनरात करेंगे !
अजब गजब की प्रजाती है ये तो !
” आधा ” अधूरे ज्ञान से है आज
पूरी दुनिया हैरान !
विश्वासघात,बेरहमी, बर्बरता का
महाभयानक क्रौर्य !
” तुम्हारे ही बीच रहेंगें…तुम्हारा ही धन,जायदाद हडपेंगे !
और तुम्हारा ही नामोनिशान मिटा देंगे !
तुम्हें ही काटने का,नेस्तनाबूद करने का…खेल खेलते रहेंगे ! ”
पहचानो कौन ???
और तुम ???
मूर्ख, बेवकूफ…” उनकी ” ही
झोलीयाँ दिनरात भरते रहेंगे !
तो…?
ईश्वर भी ” तुम्हें ” कैसे बचायेगा ?
नादान बनकर दिनरात फिरते है मारे मारे….
और ” विनाशकारी सैतानों की ”
झोलीयाँ भरते रहते है…
” भागनेवाले असहाय बेचारे ! ”
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विनोदकुमार महाजन