“राक्षसों “को प्रेम से
कभी भी जीता नही
जा सकता है !
बल्कि, राक्षसों का संहार,
अस्त्र और शस्त्रों से ही
किया जा सकता है !
वह भी विनाविलंब !!
तभी ” संपूर्ण शांती ”
संभव होती है !
अन्यथा ???
हाहाकार, तबाही, बरबादी !
” संपूर्ण धरती के ” महाभयानक
राक्षसों का ” सर्वनाश “…
” तुरंत ” कौन करेगा ???
” कौन करेगा ???? ”
विनोदकुमार महाजन