Thu. Nov 21st, 2024

२०२४ का चुनाव जीतने की तगड़ी रणनीति !!!

Spread the love

२०२४ का लोकसभा चुनाव जीतने की रणनीती !!!
[लेख के सभी विषयों पर …
तुरंत अमल होगा ऐसी आशा करता हूं 🙏 ]

( लेखांक : – २०९६ )

विनोदकुमार महाजन
———————————
२०२४ का लोकसभा चुनाव जीतने की बिजेपी की और मोदिजी की रणनीती लगभग तय है !
लगभग अगले १.५ साल में और भी जबरदस्त रणनीती बनानी होगी ! जीसके कारण बिजेपी को ३७५ -४०० के बीच लोकसभा की सिटें मिल सकेगी !

अगर आज भी चुनाव होते है तो भी मोदी लहर के कारण आज भी बिजेपी ३५० सिटें सौ प्रतिशत पार हो ही सकेगी !

२०१९ का लोकसभा चुनाव विश्लेषण मैंने किया था ! जीसमें बिजेपी को ३५० से जादा सिटें मिलेगी ऐसा मैंने चुनाव के लगभग ६ महिने पहले मैंने मेरे लेख में लिखा था ! और इसका विश्लेषण भी किया था !

अब बिजेपी को २०२४ के लिए, अगले १.५ साल में विपक्ष की रणनीती देखकर जीत के लिए एक जबरदस्त तगड़ी रणनीती बनानी ही होगी ! जीसमें सभी मुद्दों पर विचार विमर्श होना अत्यावश्यक है !

सबसे पहले महत्वपूर्ण बात है…
भारतीय समाज रचना एवं मतदाताओं की मानसिकता पर गहरा अध्ययन – चिंतन – मनन करना होगा !

इस लेख में इसपर विस्तृत चर्चा करते है !

भारतीयों का इतिहास हम देखेंगे तो ऐसा लगता है की,चंचलता का स्वभाव हमेशा समाजमन में दिखाई देता है !

मुगल, अंग्रेज जैसे भयंकर अत्याचारीयों ने बर्बर अत्याचार करने के बाद भी,भारतीयों के मन में अत्याचारीयों के प्रती घृणा – नफरत कम दिखाई देती है ! और उल्टा अत्याचारीयों के प्रती सहानुभूति की भावना बनाने के लिए, अनेक सालों का प्रयास, कुछ विपरीत शक्तियों द्वारा निरंतर जारी है !

तथा हमारे समाज की मानसिक गुलामी की मानसिकता के कारण…
राष्ट्र निर्माण के कार्यों को अपेक्षित गती देने के लिए…समाज मन की उदासीनता और जागरूकता का अभाव ,के कारण अनेक बाधाएं तथा रूकावटें देखने को मिलती है !

सत्तालोलुप जयचंदों का बाधक शक्तियों को,भरपूर सहयोग और साथ भी देश विकास में बाधा का विषय है!
ऐसे ही अनेक कारणों द्वारा हमारे ही समाज मन द्वारा राष्ट्र हित सर्वोपरि का गुप्त विरोध भी बारबार दिखाई देता है !

अच्छे – बुरे कार्यों का प्रभाव भारतीय समाज के मानस पर,मनोमस्तिष्क पर, कम दिखाई देता है !

अन्यथा, अत्याचारीयों के पाप के कलंक,इतिहास के उनके बर्बर ,भयंकर अत्याचार तथा उनके ही शहर, गली,गांव को दिये गए नाम जैसे अत्याचार भुलने की भयंकर बिमारीयाँ हमारे समाज में दिखाई देती है !

उलटा,सत्वशून्य,स्वाभिमान शून्य लाचार समाज द्वारा ही अत्याचारीयों का अंधानुकरण हमारे ही समाज मन द्वारा किया हुवा दिखाई देता है !

यह सब क्या दर्शाता है ?
अत्याचारी चाहे कितना भी भयंकर अत्याचार करें,इसका जादा प्रभाव समाज मन मानस पर और मन:पटल पर दिखाई नहीं देता है !

परिणाम स्वरुप महापुरुषों की विडंबना तथा विटंबना, देवी देवताओं का अपमान, संस्कृति का अध:पतन और अत्याचारीयों का उदात्तीकरण करने में हमारे समाज को दिक्कत नहीं आती है !

मन बुध्दि द्वारा यथोचित समय पर उचित निर्णय लेने की क्षमता और शक्ति भी समाज मन में कम दिखाई देती है !
इसीलिए अनेक बार राष्ट्र द्रोहियों का तथा अत्याचारीयों का उदात्तीकरण भी,समाज सहर्ष से स्विकार करता आया है !

इसिका परिणाम स्वरूप गलत विचार धारा वाले व्यक्ति, समुह,लोग अनेक सालों तक सत्तास्थान पर बैठकर अदृश्य रूप से सामाजिक शोषण करते आये है !
और हमारा समाज मूकदर्शक तथा अंध बनकर यह सब अत्याचारीयों का विनाशकारी तमाशा बिनदिक्कत स्विकारता आया है !

अनेक सालों की मानसिक गुलामी के कारण सही गलत का फैसला लेने में समाज असमर्थ दिखाई देता है !

दुसरी भयंकर बिमारी तथा सामुहिक – सामाजिक आदत भी यह है की,फ्री के लालच में आकर खुद कि आत्मा और आत्मसंन्मान तक बेच डालने की अनेक सालों की गंदी आदत भी समाज को लग गई है !

इसीलिए यहाँ पर सावरकर जी, सुभाषचंद्र बोस, बाजपेई जैसे महात्माओं को जल्लोष से और सहर्ष स्विकारने के बजाय… उन्हीं को और अनेक महापुरुषों को भी यहाँ उपेक्षित किया जाता है ! अथवा गंदी राजनीति के कारण…ऐसे प्रयास करनेवालों को सदैव, बारबार दुर्लक्षित किया जाता है ! दुर्लक्षित भी किया गया है !

और इसिलिए यहाँ पर जयचंदों की अनेक सालों से चलती दिखाई देती है !
गुप्त रूप से खुद का,खुद के संस्कृति का सर्वनाश करनेवालों का स्विकार हमारे देश द्वारा अनेक बार किया हुवा है, दुर्दैव से हमें यह दिखाई भी देता है !
मगर इसके लिए हर एक की जागृती की आवश्यकता है !

सामाजिक – सामुहिक शक्ति निर्माण करके बुराइयों पर प्रहार करना और कल्याणकारी लोग,व्यक्ति का साथ देना, इसिलए आजतक संभव नहीं दिखाई देता है ! ( मोदिजी का अपवाद छोडकर )

मोदिजी का गहन अध्ययन, विस्तृत चिंतन,सामाजिक मानसिकता का अभ्यास… मोदिजी द्वारा किया गया है, यह हमें उनके अनेक महत्वपूर्ण निर्णयों द्वारा दिखाई देता है !
जीत की विस्तृत रणनीति बनाने में मोदिजी में संपूर्ण क्षमता हमें दिखाई देती है !

इसिलए षड्यंत्रकारीयों की,अनेक बार की करारी हार करने में मोदिजी अनेक बार सक्षम दिखाई देते है !

फिर भी… ऐसा होने के बावजूद भी…
” दिल्ली की ”
फ्री की सामाजिक लालसा,
अथवा,
” पश्चिम बंगाल में ”
खेला होबे ,
की भयंकर काट की रणनीति तथा राजनीति बनाने में असफलता क्यों दिखाई देती है ?यह भी चिंतनीय विषय है !

मोदिजी को…
ईश्वरी वरदान होने के बावजूद भी ?
मोदिजी की…
जीत की जबरदस्त रणनीति और व्यूहरचना होने के बावजूद भी ?

मतलब साफ है !
स्वाभिमान शून्य लाचार समाज !
आत्मचेतना मरा हुवा समाज !
फ्री में आत्मा बेचने वाला विनाषकारी लालची समाज !
खुद का सर्वनाश खुद के हाथों से ही करनेवाला विनाषकारी,विचार शून्य, आत्मघाती समाज !

इसी भयंकर मानसिकता तथा बिमारियों के कारण हमारा समाज अनेक बार हारता हुवा दिखाई देता है !
बारबार पिछे हटता हुवा समाज दिखाई देता है !
बारबार भागनेपर मजबूर होनेवाला, सत्वशून्य, स्वाभिमान शून्य, लाचार समाज दिखाई देता है !

अनेक बार भयंकर अपमानित होनेपर भी,क्षतीग्रस्त होनेपर भी,हारने पर भी…
यह समाज आत्मचिंतन अथवा बारबार का हार का कारण खोजने के बजाय… अनेक बार शरणागति स्विकारकर,खुद का सर्वनाश कर देता है !

और अब २०२४ चुनाव में इसी सभी मुद्दों का विचार करके,यथायोग्य निर्णय लेने ही होंगे !
मोदिजी, योगीजी, अमीत शाहजी,मोहन भागवतजीजैसे अनेक दिग्गजों को ऐसे अनेक मुद्दों पर,बारबार सामुहिक चिंतन, मनन,अध्ययन करके,
जीत की तगड़ी रणनीति तो बनानी ही पडेगी !

क्योंकि यह केवल हार जीत का सवाल नहीं है !
यह तो अस्तित्व का प्रश्न है !
यह लडाई किसी भी हालत में जीतनी ही होगी !

तभी भविष्य उज्ज्वल रहेगा !
अधर्म का अंधेरा सदा के लिए हटेगा !

अन्यथा ???
सबकुछ अंधकार मय है !

विपक्ष की रणनीति, अनुभव भयंकर है !
सदियों से शातिर दिमाग द्वारा हमारे ही समाज को समाप्त करने की चाल गहरी है !
और हमारा समाज चौबीसों घंटे निंद में है !
निद्रीस्त है !
समाज की आत्मघाती और विनाषकारी निद्रा है ये !

विरोधियों ने यह समाज की विनाषकारी निद्रा भाँप ली है !
और इसीलिए अनेक रहस्यमयी,गुप्त एजंडे चलाकर, समाज तोडऩे की,अंदरूनी साजिश गहरी है !

” अंदर का शत्रु और
बाहरी शत्रु ” एक है…संगठित भी है और अभ्यासपूर्ण विवेचन और गुप्त रणनीति द्वारा आगे बढने की लगातार तथा जोरों की कोशिश में है !

उन्हें पता है, फ्री का लालची… आत्मघाती समाज कम दामों पर बिक सकता है !

और यही सबसे कमजोर नस है देश की और देशवासियों की !
और भविष्य में इसी कमजोर नस को पकडकर ,इसपर ही जोर देकर, विपक्षियों द्वारा जीत की रणनीति बनाई जायेगी !

इसकी तोड़, शक्तिशाली काट हमें,अभी,इसी वक्त ढुंडनी ही होगी !
तभी भविष्य में यश दिखाई देगा !

अन्यथा यह धूर्त दिमाग वाले शातिर लोग…
दिल्ली… पंजाब… पश्चिम बंगाल…राजस्थान की तरह
भूलभुलैया बनाकर, समाज को फँसाने के लिए माहिर दिखाई देते हैं !

फ्री में बिकने वाला समाज,
राष्ट्रीय नवनिर्माण के कार्यों में अनेक बाधाएं उत्पन्न कर सकता है !

यह सब देखकर, भाँपकर…
मोदिजी ने भी तगड़ी रणनीति बनाने की शक्तिशाली योजना भी अगर बनाई है …
तो भी…

एक महत्वपूर्ण बात ध्यान में रखकर ही आगे कदम बढाने होंगे !

देश का चारों तरफ का संपूर्ण विकास, हर एक भारतीयों का,वैयक्तिक आर्थिक विकास इसपर भी ध्यान केंद्रित किया जा रहा है !
ता की मतदाता भविष्य में भ्रमित ना हो !
इसके साथ ही समाज का मरा हुवा, आत्मतेज ,आत्मसंन्मान,
स्वाभिमान जगाने का भी यथासंभव प्रयास अनेक मार्गों द्वारा किया जा रहा है !
राममंदिर निर्माण, काशी, उज्जैन मंदिरों का भव्यदिव्य निर्माण…
यही दिखाता है कि, संभ्रमीत और विघटित समाज इसी माध्यम द्वारा सशक्त होकर, एकजूट हो जाए !

मगर…
अगर…
हमारे समाज को अथवा समाज के किसी घटक को
ऐसी विनाषकारी आदत लग गई है की…
मोदिजी अगर इनको…
सोने का राजमहल भी बना देंगे…तो भी….???

उसी मोदिजी के ही बनाए हुए राजमहल में रहकर,
अगर…
फ्री का लालच,
चंद रूपयों का लालच भी कोई देता है…
अथवा फ्री का लोलीपोप कोई दूर से भी फेंकता है…
तो…
वही लोलीपोप पाने के लिए वही,मोदिजी ने बनवाए हुए, राजमहल में रहनेवाले लोग…
फ्री के लिए…
फिर से भागमभाग करेंगे !

कृतघ्न लोग,बिकाऊ लोग और ऐसी भयंकर प्रजाति आज भी भारी मात्रा में देश में दिखाई देती है !

ये तो मोदिजी को भी भूलेंगे !
उनके ऐतिहासिक कार्य को भी भूलेंगे !

और दोनों हाथ उपर करके,
” उपरवाले ने दिया ! ”
ऐसा ही बोलेंगे !
मेरी आँखों से मैंने देखा है, और कानों से सूना है ऐसा !

तो…?
भरौसा कैसा करें ?
और किसपर करें ?

समाज के कुछ घटक इतने सत्वशून्य बने है…
यही है फ्री का… आत्मा बेचने वाला लालची समाज !

फ्री के लालच में ऐसे लोग दुबारा ,फिरसे किसी राष्ट्र द्रोही को भी सर्वोच्च सत्तास्थान पर विराजमान करेंगे !

क्या यह सब सत्य है ?
हमारे दुर्दैव से यह सत्य ही है !

और इसकी मजबूत काट तो ढुंडनी ही होगी !
कानूनन शक्तिशाली काट !
इसीलिए अनेक महत्वपूर्ण निर्णय तो २०२४ से पहले तो लेने तो होंगे ही ! और इसपर तुरंत अमल भी करना होगा !

जैसे ?
आप जानते है !

क्योंकि ” नामुमकिन को मुमकिन बनाने वाला…”
सर्वोच्च सत्तास्थान आज भी
” हमारे ही हाथ में है ! ”

जरूरत है योग्य समय पर सही निर्णय की !

फ्री का लोलीपोप और इसपर निर्भर रहकर, दुकानदारी करनेवालों की दुकानदारी तो सदा के लिए बंद करनी ही होगी !
करनी ही चाहिए !

तभी देश बचेगा !
धर्म बचेगा !
संस्कृति बचेगी !

फ्री के रेवडी बंटोरने वालों का संपूर्ण बंदोबस्त करना जरुरी ही नहीं, अत्यावश्यक भी है !
संपूर्ण कानूनी तौर पर !

ऐसी जबरदस्त शक्तिशाली रणनीति बनानी पडेगी की,ऐसे कुटिल लोग भी धाराशायी हो और लोगों को,समाज को भ्रमित भी ना कर सकें !

चारों तरफ से ( वैचारिक हमले करके हल्लाबोल करके, समाज मन को भ्रमित करने वाले )आग लगाकर देशवासियों को भ्रमित करके,देश बरबाद करनेवालों का सदा के लिए तुरंत बंदोबस्त अत्यावश्यक है !

और २०२४ की जबरदस्त जीत के लिए ऐसा सख्त कदम अत्यावश्यक भी है !

हर हर मोदी
घर घर मोदी

नमो नमो ( न.नरेंद्र, मो.मोदी )
नमो नमो

हरी ओम्
🙏🙏🙏🕉🕉🕉🚩🚩🚩

Related Post

Translate »
error: Content is protected !!