फिल्म प्रोडक्शन हाऊस
( ले : – २०४५ )
विनोदकुमार महाजन
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सृष्टि चक्र यह एक ईश्वर का अद्भूत रंगमंच है।
जिसमें अनेक आत्मा देह बदल बदल कर ” अपना अपना रोल ”
निभाते रहते है।
इस सृष्टि चक्र में ईश्वर निर्मित सनातन धर्म ही अंतिम सत्य है।
जो संपूर्ण चराचर में व्याप्त है।
और आज फिरसे सनातन संस्कृती को विश्व के कोने कोने में पहुंचाने के लिए प्रसार माध्यमों का विशेष सदुपयोग करके एक नया इतिहास भी बनाया जा सकता है।
सोशल मीडिया, न्यूज पेपर,किताबे, टिव्ही चैनल के साथ साथ अनेक सांस्कृतिक,सामाजिक फिल्मों का निर्माण करके वैश्विक मानवसमुह के सामने अनेक आदर्शों को पुनर्स्थापीत किया जा सकता है।
जो युगों युगों से सनातन धर्म ने काफी प्रयोग करके,सप्रमाण सिध्द किए हुए है।
अनेक धर्म ग्रंथों की,अनेक विषयों की विविधता, अनेक देवीदेवताओं का,सिध्दपुरूषों का,ऋषीमुनीयों का,साधुसंतों का आशिर्वाद तथा सत्य का परीक्षण करते हुए विज्ञान के आधार पर सत्य साबीत हुए अनेक प्रमाणों को साक्षीभूत रखकर कार्य विस्तार किया जायेगा।
ईश्वर निर्मित सत्य धर्म की पहचान संपूर्ण वैश्विक मानव को करने हेतु तथा अनेक गूढ़ विषयों का यथार्थ परीक्षण – निरीक्षण द्वारा समस्त मानवतावादी समुह,एक ही धागे से जोडने के लिए हमारा वैश्विक अभियान आरंभ हो चुका है।
पंचमहाभूतों का देहतत्व,
सभी सजीवों का एकसमान जीवनचक्र, आहार, निद्रा, भय,मैथून, जन्म – मृत्यु का एकसमान सूत्र तथा बीजारोपण द्वारा सृष्टि का पुनर्उत्पादन का एकसमान सूत्र, सभी में एकसमान आत्मतत्व जो श्वासों द्वारा निरंतर, निराकार ब्रम्ह से जूडा हुवा है,
आत्मा – परमात्मा का मिलन,
नर का नारायण और नारी की नारायणी बनाने की सर्वांगसुंदरता केवल और केवल सनातन धर्म ही सिखाता है।
अनेक यथोचित मनुष्योपयोगी,शास्त्रों का निर्माण,आत्मसंतुलन से लेकर… सृष्टिसंतुलन तक का अनेक बहुपयोगी तथा विस्तृत, विस्तार से विवेचन, विश्लेषण,
जन्म – मृत्यु का रहस्य, पुनर्जन्म इत्यादि अनेक विषयों का विस्तार से विवेचन, विश्लेषण सप्रमाण सिध्द करने की क्षमता केवल सनातन ही रखता है।
विज्ञान देहतत्व तक सिमीत रहता है।
मगर अध्यात्म देहतत्व के बाद का अदृष्य ईश्वरी सिध्दांत भी बताता है,सिखाता है।
और अध्यात्म सनातन धर्म में ही परीभाषीत हुवा है।जो एक अद्भुत शास्त्र भी है।
इसिलए अंतिम सत्य भी सनातन ही है।और संपूर्ण वैश्विक मानवसमुह सह,संपूर्ण सजीवों के कल्याण का एकमेव यही मूलाधार है।
सप्रमाण सश्रद्ध भाव से स्विकारा गया उच्च कोटि का आत्मानुभूति देनेवाला यही एकमेव धर्म है।
और संपूर्ण मानवजाती के कल्याण के लिए बनाया गया यही एकमात्र सत्य धर्म है।और इसका स्विकार सभी मानवसमुह को स्विकारना ही होगा।
और सत्य की अंतिम खोज के लिए निकले हुए हर मनुष्य प्राणी को,ईश्वर निर्मीत अंतीम सत्य तक पहुंचकर, इसका स्विकार तो एक दिन करना ही पडेगा।
और मुझे पूरा विश्वास है की,
एक दिन संपूर्ण विश्व सत्य का स्विकार करके ही रहेगा।
सत्य सनातन का स्विकार करके ही रहेगा।
और यही परिभाषा हिंदुत्व सिखाता है।
इसिलए हर एक को हिंदू धर्म अपनाना ही पडेगा।
और इसी में ही संपूर्ण मानवसमुह को सुख की प्राप्ति होगी।
और वह दिन भी नजदीक है…
जिसमें ….
हिंदुमय विश्व की परिभाषा का सभी मनुष्य समुह स्विकार करके ही रहेगा।
इसीलिए,
हिंदुमय विश्व की शुरुआत हो चुकी है।
आसुरीक सिध्दातों पर चलने वाले सदैव ईश्वरी सिध्दातों का विरोध करते ही रहेंगे।
और ईश्वरी इच्छा के अनुसार उनका सर्वनाश भी हो जायेगा।
जो देवदानव के युद्ध में युगों युगों से चलता आया है।
और भविष्य में ऐसे हाहाकारी आसुरीक सपत्तीयों का नाश भी कुछ दिनोंबाद ईश्वरी इच्छा से ही होनेवाला ही है।
हमारे कार्य विस्तार के लिए, काफी मात्रा में कार्यकर्तांओं की फौज अनेक देशों में बनानी पडेगी।
प्रसार माध्यम जैसे प्रभावी माध्यम से करोंडों लोगों को विश्वस्तर पर ,अनेक देशों में,( अनेक भाषाओं में प्रचार, प्रसार करने से ) रोजगार की उपलब्धी भी होगी।और इसके साथ ही अनेक नवोदित प्रतिभासंपन्न लेखक,दिग्दर्शक, निर्माता, संवाद लेखक,गीतकार, अभिनेते जैसे व्यक्तियों को आगे आने का मौका भी मिलेगा।
और सांस्कृतिक कार्य भी तेजीसे आगे बढेगा।
हमारा देश अनेक मौलिक तथा प्रतिभावान व्यक्तियों से भरा है।ऐसे प्रतिभावान व्यक्ती अगर विश्व के कोने कोने में पहुंचकर हमारी विरासत को आगे फैलाएंगे तो हमारे देश का नाम भी रौशन होगा।और उस व्यक्ती का भी।
और …
विश्व गुरू भारत
की संकल्पना भी तेजीसे अग्रेषित होगी।
हमारे वैश्विक संगठन द्वारा,
अलग अलग देशों में,अलग अलग विषयों पर आधारित ,हर क्षेत्र के लिए अलग टीम बनाई जायेगी।और उसी टीम द्वारा विविध वैश्विक जटील समस्याओं पर मंथन करके,उपरोक्त विषय का हल ढूंडा जायेगा।
जैसे की ग्लोबल वाँर्मींग के लिए,
जल संपदा के लिए,
गौरक्षा के लिए,
पेड जंगल संवर्धन और संरक्षण,
जीवजंतू संवर्धन और संरक्षण,
हिंसामुक्त समाज निर्माण,
मानवता प्रेमी सुसंस्कृत समाज निर्माण,
बढती आबादी तथा बढता हिंसाचार,
जैसे अनेक मुद्दों पर विस्तार से कार्य आगे बढाया जायेगा।
हर देश में,हर शहर
में गुरूकुल निर्माण तथा गौशाला का निर्माण किया जायेगा।
विषमुक्त खेती,आरोग्य सुविधा,
सुसंस्कृत शिक्षा प्रणाली के लिए
रामायण तथा भगवत् गीता अध्ययन।
हर जगहों पर होमहवन तथा यज्ञों के लिए प्रोत्साहन।
शुध्दीकरण प्रक्रिया के लिए आरंभ होगी।
और फिल्म प्रोडक्शन हाऊस
यह संपूर्ण स्वतंत्र तथा अलग विषय रहेगा।
जिसमें अनेक देशों का अलग अलग तरीकों से अवलोकन करके,वहाँ की स्थिती का अवलोकन करके,प्रभावी प्रसार माध्यमों द्वारा,समाज परिवर्तन के लिए, वैचारिक क्रांती के लिए तथा सत्य और सत्य सनातन तथा ईश्वरीय सिध्दांतों को हर एक व्यक्ती तक पहुंचने के लिए,व्यक्ती तौर पर जागृती के लिए, अनेक सांस्कृतिक फिल्मों का निर्माण किया जायेगा।
हमारे देश में फिल्म इडस्ट्री में अनेक व्यक्तियों ने व्यावसायिक यश प्राप्त किया था।
राजकपूर, व्हि.शांताराम, देवआनंद, मनोज कुमार जैसे अनेक दिग्गजों ने इस क्षेत्र को व्यापक तथा सर्वसमावेशक बनाया था।
मराठी में भी सचिन पिळगावकर,महेश कोठारे, दादा कोंडके, सुषमा शिरोमणी जैसे निर्माताओं को व्यापक जनाधार मिला था।
दक्षिण में भी अनेक फिल्म निर्माताओं ने इतिहास बनाया है।
अपेक्षित सामाजिक परिणाम के लिए,
कथा,पटकथा, संवाद लेखन,गीतरचना,संगीत, गायन,अभिनय, निर्मीती, दिग्दर्शन,फोटोग्राफी जैसे अनेक महत्वपूर्ण विषयों पर सुक्ष्म अवलोकन करके फिल्मों का निर्माण होगा तो यश सौ प्रतिशत पक्का है।
हमारे वैश्विक संगठन की टीम बन गई है।और रजीस्ट्रेशन की प्रक्रिया आरंभ हो गई है।
रजिस्ट्रेशन पूरा होने के बाद संन्माननीय प्रधानमंत्री मोदिजी को विस्तृत योजना बताकर,मोदिजी का संपूर्ण सहयोग और मार्गदर्शन प्राप्त होगा ऐसी आशा करते है।
मोदीजी द्वारा हमें अनेक देशों के राष्ट्रप्रमुखों का यथोचित सहयोग हमारे वैश्विक कार्य वृध्दि के लिये प्राप्त होगा,ऐसी आशा है।
हमारे वैश्विक संगठन में ईश्वरी इच्छा से नौ सदस्यों को नियुक्त किया गया है,जो अपने अपने क्षेत्र में अपराजीत है।
नौ अंक भी शुभ होता है जिसमें पूर्णत्व भी है।
नवरात्र, नवदुर्गा, नवरत्न,नवनाथ, नवग्रह, नवनाग,नवरंग,नवरस इ.
संयोग से मेरा जन्म भी नवमी का,( खंडेनवमी,शस्त्र पूजन ) है।
【 विजयादशमी से पहले 】
इसिलिए नवदुर्गा तथा माँ सिध्दीदात्री की विशेष कृपा के कारण,विविध विषयों में रूची व ध्येयासक्ती भी है।
इसीलिए नवदुर्गा,माँ सिध्दीदात्री तथा ईश्वर हमारे संकल्पित वैश्विक कार्य को गती देने में सहायक होंगे ऐसी अपेक्षा करते है।
कार्य सफलता के लिए बहुमात्रा में धन की जरूरत भी लगेगी।
जिसकी आपूर्ति धन की देवी माता महालक्ष्मी अवश्य पूर्ण करेगी।
क्योंकि हम सभी आखिर उसी की ही तेजस्वी संतान है।और बेटों को आशिर्वाद देकर कार्य सफल बनाना यह भी उस ममतामयी माँ का ही दाईत्व है।और मुझे भी कोल्हापुर निवासी माता महालक्ष्मी ने वरदान भी दिया है।
कार्य सफलता हेतु मैंने अनेक सालों तक पंढरपुर तथा आलंदी में चौबीस साल कठोर तपस्या भी की है।और अनेक देवीदेवताओं के और सिध्दपुरूषों के आशिर्वाद तथा वरदहस्त भी प्राप्त हुए है।
यह संपूर्ण लेखन भी माता सरस्वती तथा ईश्वरी इच्छा से ही संपूर्ण हुवा है।मैं तो उनके आदेशानुसार लिखने वाला हुं।
ईश्वर ने सभी सजीवों का पालकत्व मनुष्य प्राणीयों पर सौंपा है।इसका आदर करते हुए,
सभी सजीव एक ही ईश्वर की संतान है,ऐसा समझकर, उन सभी की रक्षा के लिए भी हम सभी आज वचनबद्ध होते है।
हरी ओम्
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