🙏🏻हरि🕉️तत्सत🙏🏻
🙏🏻आओ ध्यान करें 🙏🏻
आज जिसको भी समझाओ कि ध्यान किया करो ध्यान करने से हम अनंत ऊर्जा के स्रोत से जुड़ जाते हैं और वहां से ऊर्जा ग्रहण कर हम अपने दिन भर के क्रियाकलाप बिना थकावट सुचारू रूप से कर सकते हैं, ध्यान करने से मस्तिष्क को गहन विश्राम मिलने के कारण हमारा मस्तिष्क अत्यधिक दक्षता के साथ कार्य करता है! ध्यान योग से कर्म करने में कुशलता आती है! कहते हैं
योगा: कर्मसु कौशलम्
यह कर्म करने का बड़ा ही प्यारा सूत्र है! जो लोग कहते हैं कि व्यस्तता के चलते हैं ध्यान करने का वक्त ही नहीं, उनको यह जरूर समझने योग्य है की यदि दो समूहों को सब्जी काटने दी जाये,अब एक समूह तुरंत हीं सब्जी काटना शुरू कर देता है और दूसरा चाकू में धार लगाने लगता है अब देखने वालों को यह भ्रम हो सकता है की जो समूह धार लगा रहा है वह वक्त
बर्बाद कर रहा है लेकिन ऐसा नहीं धार लगाकर काटने वाला समूह बिना धार लगाकर काटने वाले समूह से पहले सब्जियाँ काट लेता है यही कर्म करने की कुशलता है जो ध्यान से आती है!
आज हमारी जिंदगी ऐसी हो गयी है जैसे इक गिलहरी को एक शेर अपने यहाँ यह कहकर काम पर रख लेता है कि काम पूरा हो जाने पर वह उसको एक बोरी भरकर अखरोट देगा! गिलहरी सब छोड़कर दिन रात एक कर के काम करती रहती हैं, बरसों बरस बीत जाते हैं, फिर एक दिन शेर उसको एक बोरी अखरोट देकर विदा कर देता है! गिलहरी ने यह सोच कर रात दिन मेहनत की थी कि एक दिन आराम से बैठकर बोरी भर अखरोट खाएगी पर यह क्या अब तो अखरोट खाने के लिए दांत घिस चुके थे! यही हमारा हाल है सोचते हैं यह काम हो जाए फिर आराम से बैठकर भजन पूजन ध्यान करेंगे यह और हो जाए वह और हो जाए और आखिर में होता यह है कि या तो हमारा शरीर इस लायक नहीं रहता कि हम ध्यान साधना कर कर पाए या बीमारियां हमें इस तरह घेर लेती हैं कि हम मृत्यु शैया पर हो जाते हैं और गिलहरी की तरह अखरोट सामने रखे होने के बावजूद भी खा नहीं पाते! जरा सोचो क्या तिजोरियाँ भरने के लिए हमारा जन्म हुआ है! कर्म करना पैसा कमाना बुरा नहीं पर इतनी भी भागदौड़ हमारे जीवन में ना रहे कि हमारे पास अपने स्वयं के लिए दो घड़ी वक्त भी ना हो!याद रखना गया वक्त वापस नहीं आता और यह जो मनुष्य तन मिला है यह भी सात जन्मों के पुण्य कर्म इकट्ठे होने पर मिलता है क्या इसे यूं ही व्यर्थ गंवा दोगे! कहते हैं सुबह का भूला यदि शाम को घर आ जाए तो उसे भूला नहीं कहते अभी तक जितना वक्त गवां दिया तो गवां दिया अब और नहीं
आओ उठो !जागो!! बाहर बारिश हो रही है अपने पात्र को सीधा रख दो अभी तक जन्मों-जन्मों से हमने अपने पात्र को उल्टा रखा हुआ है जिसके कारण शीतल जल बरसता रहा पर हम खाली के खाली रहे, आओ भर लें
अपने आप को परमात्मा रूपी शीतल फुहार से ,आओ भर लें अपने आप को परमात्मा के मधुर स्वरों से गालें कुछ प्रेम के तराने ले लें वह इकतारा जिसे बजाकर मीरा कृष्ण की हो गई! हम शुद्ध बुद्ध उन्मुक्त हैं, आओ अपने प्राण पंछी को आजाद करें….
आओ ध्यान करें….
🙏🏻हरि🕉️तत्सत🙏🏻
संकलन : – विनोदकुमार महाजन