यह तस्वीर देखकर आपको क्या लगता है ?
किसने आजादी दिलाई थी ?
आजादी का असली नायक कौन ?
और आजादी का श्रेय किसने लिया ?
अब आप सभी पाठकों को एक प्रश्न ?
आजादी का असली नायक समझकर आप चुपचाप बैठेंगे ?
दूसरा प्रश्न
क्या आपके अंदर खून है ? और यह खून अत्याचार के खिलाफ खौलता है ?
अगर आपके अंदर का खून खौलता है,आपके अंदर अत्याचार के विरुद्ध आग लगती है….
तो….
आप जींदा हो।
और अगर इतना भयंकर अत्याचार सुनकर भी आपका खून नही खौलता है,अथवा आपके अंदर आग नही लगती है…
तो आप एक जींदा लाश हो।और जींदा लाश कभी भी देश में अथवा वैश्विक स्तर पर…
क्रांती की लहर कतई नहीं ला सकते।
यहां तो जींदा लोगों का और जींदादिल व्यक्तीयों का ही काम है।
और इतिहास में भी उन्हीं का नाम लिखा जायेगा।
जींदा लाश अथवा मुर्दे ऐसे ही जींदगी भर सडे रहेंगे, पडे रहेंगे।
और जींदा लोगों को भी पिडा तथा नरकयातना ही देंगे।
इसीलिए मरे हुए लोगों से दूर रहकर, संपूर्ण विश्व स्तर पर और राष्ट्र में क्रांती की लहर लाते है।
सत्य की जीत करते है।
गुनहगारों के,मुजरीमों के असली चेहरे देशवासियों को …
और दुनियावालों को दिखाते है।
इसीलिए चलो,अंदर का ईश्वरी तेज जगाते है।
देव,देश और धर्म के लिए…
क्रांती की लहर लाते है।
हरी ओम्
विनोदकुमार महाजन