Mon. Sep 16th, 2024

माँ,तेरी बहुत याद आती है

Spread the love

माँ,तेरी बहुत याद आती है

———————————-
हिम्मत बढाने के लिए,
हौसले बुलंद करने के लिए,
आत्मविश्वास बढाने के लिए,
उच्च मंझील तक पहुंचाने के लिए,
मानसिक आधार देने के लिए,
कठोर संघर्ष की घडी में थके हारे मन को दो प्रेम के शब्द देने के लिए,
माँ,तेरी बहुत याद आती है।
तेरी बहूत याद आती है।

तेरे कंधे पे सर रखकर, मुसिबतों की भयंकर घडी में,भरपेट रोने के लिए,
माँ,तेरी बहुत याद आती है।
मेरी गलतीयों पर भी प्रेम के चार शब्दों से समझाने के लिए,
माँ,तेरी बहुत याद आती है।

जब मैं दो साल का बच्चा था,
तभी तुने देहत्याग किया
और मरने के बाद भी साक्षात देह धारण करके,
मुझे साक्षात दर्शन दिया।
और सर पर हाथ रखा।
और मेरे सद्गुरू के गोद में मुझे रखकर तु ओझल होती गई,
नजरों से सदा के लिए,
दूर हटती गई।
और मेरे सद्गुरू ने ही आजतक माँ जैसा पवित्र, स्वर्गीय ईश्वरी प्रेम दिया।
मगर अब तो सद्गुरू का भी देहावसान हो गया।

तो दुख के दो आँसू बहाने के लिए,
कहाँ जगह ढुंड लूं माँ,
कहाँ जगह ढुंड लूं।
आँसू पोंछनेवाला प्रेम का सहारा कहाँ ढुंड लू माँ,कहाँ ढुंड लूं।

जीवन का संघर्ष भयंकर है।
मंझील तक पहुंचने का रास्ता भी आसान नही है।
ऐसे में दो शब्द ममता के देनेवाले तेरे सहारे को कहाँ ढुंड लूं माँ,
कहाँ ढुंड लूं।

मोदिजी के माँ का वात्सल्य पूर्ण हाथ आज भी उनके सर पर होता है,
शक्ती बढाने के लिए,प्रेरणा देने के लिए।

ऐसी शक्ती बढाने का वात्सल्य पूर्ण हाथ ,प्रेरणा देनेवाला हाथ,
कहाँ से ढुंड लावूं माँ।
कहाँ से ढुंड लावूं।

अकेले लडते लडते थक हार जाता हुं।
फिर भी हिम्मत रखकर मंझील की ओर एकेक कदम बढाता हुं।

और आखिर में आसमान में मेरी माँ का और मेरे सद्गुरू का साया देखता हुं,
और फिर थके हारे उदास मन को,
बडी उम्मीद से शांत करता हुं।
और एकेक कदम निश्चल होकर आगे बढता हुं।

फिर भी माँ,
तेरी बहुत याद आती है।

हरी ओम्

विनोदकुमार महाजन

Related Post

Translate »
error: Content is protected !!