दिल बेचारा….
——————————-
दिल….
ह्रदय….
हर सजीवों का प्राणवायु का स्थान….
इंन्सानों का ह्रदय सबसे जादा संवेदनशील..
उसमें भी दो प्रकार…
एक कोमल ह्रदयी और पाषाण ह्रदयी।
पाषाण ह्रदयी इंन्सानों का वर्णन क्या और कैसे करें ?
एक समय पाषाण भी पिघल जायेगा
मगर पाषाण ह्रदयी इंन्सान ?
चाहे कुछ भी हो…
नही पिघलेगा।
क्रौर्य का जीता जागता नमूना।
केवल पुरूष ही पाषाण ह्रदयी होते है ऐसा नही है।अनेक औरते भी भयंकर क्रूर तथा पाषाण ह्रदयी होती है।
अब देखते है…कोमल ह्रदय वाले..
अर्थात दिलवाले व्यक्ति के बारे में।
दिलखुलास,हास्यमुख,सभी पर सदैव पवित्र प्रेम करने वाले।सभी का भला सोचने वाले।
मगर दुर्देव से दिलवाले अर्थात कोमल ह्रदय वाले लोग बहुत ही कम मिलेंगे।दिलवाले लोगों की एक खासियत होती है की..।ऐसे व्यक्ति बारबार धोके खाने के बाद भी….
सभी पर पवित्र, दिव्य,निष्पाप प्रेम ही करते रहते है।
पाषाण ह्रदयी व्यक्तियों द्वारा बारबार प्रताड़ित, अपमानित होने पर भी कोमल ह्रदय वाले अर्थात दिलवाले व्यक्ति सदैव…
दिलदार…. ही रहते है।
बेचारा दिल…
और बेचारे दिलवाले।
दोस्ती करेंगे तो किससे करें ?
पत्थरदिलवालों से दोस्ती करेंगे तो रोने कै सिवाय नशीब में कुछ नही हासिल होगा।
और दिलवाले,दिलदार, सदाबहार, प्रसन्नमुख व्यक्ति तो मिलते नही।मिलते है तो बहुत कम।लाखों में एक।
ढुंडे तो कहाँ ढुंडे…दिलवाले व्यक्ति ?
दिलवालों से दोस्ती जीवन में आनंद देती है,और पत्थरदिलवालों से दोस्ती दुख देती है।
इसीलिए दोस्ती करनी ही है तो दिलवालों से करों।पत्थरदिलवालों से नही।
मगर नशीब में जादा तो पत्थरदिलवालों ही मिलते है….बेरहम….।
दिलवाले मिलते ही नहीं।
तो क्या करें ?
मस्त.कलंदर बनके प्रभु का गुनगान किजिए।प्रभु से भक्ति किजिए।
इंन्सानों से कम और प्रभु से जादा नाता जोडिए।
तभी जीवन जरूर सुखमय होगा।और ना ही दिलदार, दिलवाने लोग ढुंडने की जरूरत होगी।
प्रभुप्रीति में पागल होंगे…
तो प्रभु भी तुम्हारे लिए पागल होगा,और दिनरात तुम्हारी सेवा भी करेगा… इसे ही आत्मानुभूति कहते है।
मतलब की दुनिया रे सारी,
दिलवाला कोई न होय।
प्रभु से प्रित करले रे बंदे,
जनम जनम तक प्रभु तो साथ में होय….।
बेरहम दुनिया से नाता तोडके
ईश्वर से नाता जोड रे प्यारे।
दिलवाले व्यक्तियों की…
इस मोहमई,मायावी,मतलब की दुनिया में…
सही मायने में किमत नगन्य ही होती है।अथवा शून्य के बराबर।
इसिलए अगर सुखी जीवन जीना है तो…
कोमल ह्रदयी अर्थात दिलवाले बनकर जीना व्यर्थ है।
जितना इंन्सान पाषाण ह्रदयी…
पत्थर दिलवाला हो…
उतना ही जादा सुखी रहता है।
और बेचारा दिलवाला दुखी ही रहता है।
संवेदनशील व्यक्ति दुखी और संवेदनशून्य व्यक्ति मस्त मजें में रहता है।
मगर ईतीहास तो संवेदनशील व्यक्ति ही बनाते है।
और संवेदनशून्य व्यक्ति जींदा रहकर भी व्यर्थ जीवन गंवाते है।
दिलवाला व्यक्ति सदैव दुसरों की चिंता करता रहता है।और पत्थर दिलवाला हमेशा आत्मकेंद्रित रहता है।
दुनिया गई..भाड में…
यह पत्थर दिल अर्थात पाषाण ह्रदयी व्यक्तीयों की धारणा होती है।
उल्टा…
सभी का कल्याण हो।दुनिया में कोई दिनदुखी न रहे…कोई भूका,कंगाल ना रहे,
ऐसी धारणा…
दिलवाले व्यक्तीयों की होती है।
और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है की….
पाषाण ह्रदयी व्यक्ति हमेशा सुखी होता है।और कोमल ह्रदयवाला हमेशा दुखी।
भाईयों,
आप कौनसे व्यक्तीयों में आते है ???
दिलवाले… या पत्थरदिल ?
उत्तर आपके दिल को
अर्थात खुद के ह्रदय पर हाथ रखकर खुद के ह्रदय को ही प्रश्न पुछीए।
अगर आप दिलवाले है तो आपको फँसाने वाले भी जादा मिलेंगे।
मगर ईश्वर चौबिसों घंटे आपके साथ रहेगा।
और अगर आप पत्थर दिल हो तो ….आपको कोई फँसाएगा भी नही,और मतलब के लिए ही लोग आपके पास आयेंगे।
और ईश्वर भी आपसे हमेशा दूर ही रहेगा।
पत्थर दिल व्यक्तीयों पर चाहे कितना भी प्रेम करो…
उस प्रेम की किमत पत्थर दिल व्यक्तीयों के सामने….
शून्य होती है।
इसीलिए दोस्ती भी दिलदार लोगों से ही समाधानकारी होती है।और आनंददायक भी।
ऐसी अजब गजब की दुनिया बनाने वाला…
ईश्वर और ईश्वर की लीला भी अगाध है।
हरी ओम्
———————————
विनोदकुमार महाजन