विश्व स्वधर्म संस्थान
हमारे,
विश्व स्वधर्म संस्थान का
प्रमुख उद्दीष्ट है….
विश्व स्वधर्म सुर्ये पाहो
अर्थात,
जहाँ सुर्य की किरण पहुंचेगी वहाँ
स्वधर्म
अर्थात ईश्वरी धर्म,
मानवता धर्म,
सत्य धर्म,
सत्य सनातन धर्म,
कुदरत का का कानून हो।
असुरी सिध्दातों का नाश हो।
इसी उद्दीष्ट से प्रेरीत होकर मैंने,
पांडुरंग जी के पंढरपूर में 12 साल
तथा संत ज्ञानेश्वर जी की नगरी में 12 साल
खडतर तप:श्चर्या की है।
इसके कार्यसफलता के लिए,
खुद ज्ञानेश्वर जी सहीत, मेरे सद्गुरू, गुरू दत्तात्रेय, माता महालक्ष्मी, मेरी कुलदेवता कालभैरवनाथ,मेरी ग्रामदेवता खंडोबा, हनुमानजी,ज्वाला नारसिंव्ह, शेगाव के गजानन बाबा,सज्जनगड के संत रामदास स्वामीजी के शिष्य कल्याण स्वामीजी,
और अनेक देवीदेवताओं के,
सिध्दपुरूषों के,
आशिर्वाद,
वरदहस्त प्राप्त हो चुके है।
और यह दिव्य संकल्प पूर्ती के लिए हमारा संगठन बन गया है।और तेजीसे हम इसके लिए आगे बढ रह है।
इसकी कार्यसफलता के लिए, खुद ईश्वर हमें पग पग पर सहायता कर रहा है,इसकी दिव्य अनुभूती मुझे हो रही है।
अब इसके लिए हमें,
संपूर्ण विश्व में तथा विश्व के कोने कोने में
गुरूकुल का निर्माण,
गौशाला का निर्माण,
सनातन संस्कृती का महत्त्व बताने के लिए,
चारों तरफ से प्रयास,
संपूर्ण सजीवों को अभय तथा जीवजंतूओं का रक्षण,
पेड जंगलों की रक्षा तथा वृध्दि,
विषमुक्त खेती और ओर्गेनिक खेती के लिए संपूर्ण विश्व का प्रेरित करना,
जैसे अनेक महान उद्दीष्टों की पूर्ति के लिए प्रयास किए जायेंगे।
भविष्य में हम मोदिजी, डोनाल्ड ट्रंप,पुतीन जैसे अनेक देशों के राष्ट्रप्रमुखों को भी इसके लिए आमंत्रित करेंगे और उन सभी की सहायता भी लेंगे।
आप सभी का संगठन बढाने के कार्य के लिए भी आत्मीय सहयोग प्राप्त होगा ऐसी अपेक्षा करता हुं।
हरी ओम्
संस्थापक,अंतरराष्ट्रीय तथा राष्ट्रीय अध्यक्ष,
विनोदकुमार महाजन,
विश्व स्वधर्म संस्थान