जापान में सुनामी आने के बाद एक रिसर्च हुवा था
बहोत सारी माथा पचि के बाद जापान के वैज्ञानिक की टीम ये निष्कर्ष पर पहोंची थी
की जब कोई भी पशु पक्षी की कत्ल होती है और उनकी चीख जो ब्रह्मांड में जाती है उससे एक नेगिटिव एनर्जी चारो और फैलती है और कत्ल खाने में उनकी खून की नदियां बहती है उससे धरती पे भी बुरा प्रभाव पड़ता है और वो खून और हड्डियां का ढेर में से खून जमीन में अंदर तक जाता है जो पाताल तक जाता है
ये सारी नेगिटिव एनर्जी मिलकर प्रलय की वजह बनती है
समुंदर में खाने के शौकीनों की वजह से जलचर प्राणी जिसमे मछलियों और दूसरे समुंदर के प्राणियो का आधुनिक तरीके से पकड़कर वध किया जाता है उससे पानी का बहाव धरती की और यानी किनारे की और तेजी से आता है और वो भरती के मौजे 150 से 400 मीटर की ऊंचाई तक उछलकर किनारे में बसे लोगो की कॉलोनी और बस्तियो को तबाह करता है
कुदरत के कानून से बहोत ज्यादा छेड़खानी खाली मानव जाति के लिए ही नही समग्र जीव श्रुष्टि को तकलीफ दायक हो जाती है
अभी भी इसमे वक्त है कानून उसमे मदद करेगा लेकिन सेल्फ डिसिप्लिन यानी स्वयं शिस्त से जन आंदोलन बदलाव हो सकता है
शुरू खुद से करेंगे तो पीछे बहोत सारे लोग जुड़ जाएंगे
अहिंसा परमो धर्म ये होता है
संकलन : – विनोदकुमार महाजन