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प्राण जाये मगर सिध्दांत ना जाये,सिध्दांतों के लिए मर मिटने वालों के लिए

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**प्राण जाये मगर सिद्धांत न जाए।**

*कोई अगर कहें कि सिद्धांत छोड़ दो मैं तुम्हें दस करोड़ या अनगिनत संपत्ति दूंगा।नहीं।नामुमकिन है यह सब।क्यों??क्योंकि सिद्धांत के लिये मरमिटना ही बेहतर होता है।कोई किसिको कहें की मैं तुम्हारी गरीबी मिटा दूंगा,तोभी सिद्धांत नहीं छोडने चाहिए।अमिरी गरीबी तो भूलभुलैया और माया का खेल है।हमारे अनेक विद्वान क्रांतिकारीओं ने मृत्यु को गले लगाया मगर सिद्धांत नहीं छोडे।क्यों?रामजी ने बनवास अपनाया।राजऐश्वर्य तक छोड़ दिया।क्यों?सिद्धांत के लिये।और हम रामजी के वंशज भी इसी आदर्श रास्ते से चलते आ रहे है।सिद्धांत के लिये हम हमेशा मर मिटने को भी तैयार रहते है।क्यों?क्योंकि यही नरदेह का सार्थक है।कोई कहेगा दस बीस करोड़ देता हूं,सिर्फ एक बार दारु पि ले,जुगाड खेल,चोरी कर।या फिर बुरा बर्ताव कर ले।तोभी सिद्धांत के आदर्श रास्ते पर चलने वाले कभी भी मोह माया के चपट में नहीं आ सकते।क्यों??क्योंकि उनके आदर्श संस्कार बुरा कर्म करने नहीं देते।यही महान सिद्धांत से हमारी संस्कृति बनीं हुईं हैं।और पुरखों से हम इसका पालन करते आये हैं।चाहे आखरी मंजिल मिले नहीं मिले,यश मिले ना मिले,सुख संपत्ति मिले नहीं मिले,हम सिद्धांत कभी भी,हरगिज नहीं छोडते।इसीलिए मेरा हिंदुस्तान महान है।हमारी सभ्यता,संस्कृति महान है।ऐसे महान संस्कृति में हम पैदा हुए इसका मुझे अभिमान है।हमारी संस्कृति हमेशा शांति का संदेश देती है।प्रेम का संदेश देती है।पशु पक्षियों पर,प्राणियों पर,इन्सानियत पर हमेशा के लिए प्रेम ही करते है।इसीलिए मेरा देश महान है।मेरी संस्कृति महान है।और इसे बनाने वाला साकार निराकार ईश्वर महान है।ॐॐॐ**

*विनोद कुमार महाजन।

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