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भूलभूलैय्या !
✍️ २२५०

विनोदकुमार महाजन

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दुनिया और दुनियादारी बडी विचित्र होती है !
बडी अजीब !
उपरी दिखावा, भूलभूलैय्या में फँसनेवाली !

कौन कैसे कपडे पहनता है ?
कौन कितना अप – टू – डेट रहता है ?
और कौन कितना पागल जैसा दिखता ?
सबकुछ बाहरी आडंबर ! सब भूलभुलैया !

अब यही देखिए ना !
बंगला, गाडी, नौकर,चाकर का जितना बडा बागडौर रहेगा, दुनिया और दुनियावाले,उसके सामने सदैव झुकते रहेंगे !
धनवान आदमी और धन की करामत बडी विचित्र होती है !

धनवान व्यक्ती चाहे दुर्गुणी भी क्यों न हो,उसके इर्द गिर्द घुमनेवाले,उपरी दिखावा करनेवाले, नौटंकीबाज बहुत मिलेंगे !
उसकी हुजरेगिरी करनेवाले,
हाँ जी हाँ जी करनेवाले बहुत मिलेंगे !

मगर कोई गरीब है,पैसेवाला नही है,धनवान नही है , मगर गुणवान है, सद्गुणी है,
तो ?
साधारणतः उसे कोई भी नही पुछेगा !
अगर ऐसा व्यक्ती मुसिबतों में फँसकर,तडपतडपकर मर भी रहा है ? तो भी उसे कोई भी नही पुछेगा !
उल्टा मुसिबतों के समय में उससे ही सभी दूर भागेंगे !
और पीडा, तकलीफ भी देंगे ?

विशेषता हमारे हिंदु भाई !?

मगर गुणवान मगर धनविहीन व्यक्ती जब धनवान बनेगा तब ?
दुनियादारी का मुखौटा भी बदल जायेगा ! उसे अनेक स्तुती पाठक भी मिलेंगे !

जी हाँ !
यही दुनियादारी है !
बडी विचित्र !!

इसिलिए ?
जो मुसिबतों के समय में काम आता है,वही सच्चा साथी होता है ! वही सच्चा मित्र होता है !
कम से कम मुसिबतों के समय में धैर्य देनेवाला !
मगर ऐसे सच्चे दोस्त, मित्र, साथी,मुसिबतों में कितने मिलेंगे ?
यह भी ढूंढते रहना होगा !

अब तो दुनिया और दुनियादारी भी बडी अजीब और विचित्र हो गई है !
अगर कोई व्यक्ती मुसिबतों में फँसा हुवा देखकर,कोई सह्रदयी व्यक्ती उसको,मानसिक – आर्थिक आधार देता है, उसके परिस्थिती अनुसार,जितना संभव है,उतना सहयोग, सहायता करता है…
उसका आभार मानने के बजाए,
जिसके मुसिबतों के भयंकर क्षणों में यथासंभव सहायता की है….अगर…
वही व्यक्ती, उस सहयोग करने वाले सह्रदयी व्यक्ती को अथवा व्यक्तियों को ही परेशान करता है, भलाबुरा कहता है,मारने की कोशीश करता है,लगातार धमकियाँ देता रहता है,अपशब्द बोलता रहता है,उसे जाल में फँसाकर,बर्बाद करने का षडयंत्र कोई करता है…तो…?
ऐसे भयंकर समय को , और ऐसे भयंकर व्यक्तियों को आप क्या कहेंगे ?

अब समाज में अनेक स्थानों पर,ऐसा ही उल्टापुल्टा देखने को मिल रहा है ! इसीलिए दूसरों को सहयोग भी क्यों और कैसे करें ?

ऐसी अनेक आँखों देखी हकीकतें सामने आ रही है !
यह विषय थोडा हटकर जरूर है ! मगर समाज में ऐसी भी भयंकर घटनाएं होती जा रही है !
क्या यही सामाजिक पतन है ?

और ऐसे भुलभुलैया से हमें सदैव सावधान ही रहना चाहिए !

समाज में, अगर ऐसा होता रहेगा तो ?
किसपर ? कौन ? और कैसे भरौसा भी करेगा ?

इसिलिए हमेशा,भूलभूलैय्या से,नौटंकीबाजों से हमेशा दूर ही रहना चाहिए !

सद्गुण भी जिस दिन शाप बनते है तो ? समझ लेना की,विकृत समाज बनता जा रहा है ! अथवा ऐसा जानबूझकर बनाया गया है !

षड्यंत्र द्वारा !!

अगर कोई धार्मिक बनता है ,
माथे पर तीलक,हाथ में भगवा लेता है तो ?
उसे भी हँसने वालें ,पागल, मुर्ख कहनेवाले भी हमारे ही अनेक लोग मिलेंगे ! ?
उसको सहयोग करने के बजाए, उसे ही हतोत्साहित, अपमानित करेंगे ! तो ?
उल्टी दुनियादारी !
कलियुग का उल्टा न्याय !

पुर्वोइतिहास में, अगर देश के लिए कोई क्रांतिकारी बनकर, हँसकर फाँसी पर लटका जा रहा था, तब भी,हमारे ही लोग,हमारा ही समाज उसे भी मुर्ख, पागल समझता था !

और वह ध्येयवादी क्रांतिकारी ?
अपने ही मस्ती में मस्त, आनंदी रहकर सिध्दातों के लिए, आगे बढते थे !
हँसहँसकर फांसी चढने वाले महान क्रांतिकारी !
कोई पागल कहें ,कोई मुर्ख…
उन महान आत्माओं पर क्या फर्क पडता था ?

भस्मधारी नागा साधुओं को, कोई भलाबुरा कहेगा, तो वही महान आत्माएं, हमारे समाज में फैले हुए,हमारे ही ऐसे कृतघ्न लोगों पर ध्यान देंगे ?

हमारा पुर्वोइतिहास बताता है की,जो भी देश के लिए, समाज के लिए, कार्य करता है, आगे बढता है,तो ?
असली शत्रुओं के बजाए, हमारे ही लोग बाधक होते है ! हमारे ही लोग मुसिबतें डालते है,दुखदर्द पीडा देते है ! हमारे ही गुप्तशत्रु और हितशत्रु !

हमेशा महान आत्माओं को तडपाने वाले हमारे ही लोग ?
और उस महान आत्माओं के मृत्यु पश्चात ?
उसका मंदिर बनाकर पूजा करनेवाले ?

और फिर भी वही महान आत्माएं अपने सिध्दातों पर अडिग रहते है !
अपना कार्य निरंतर आगे बढाते रहते है !

आज भी , धर्म कार्य करते समय भी शायद ,कई बार,हमें ऐसा ही अनुभव मिलेगा !
कोई अहंकारी कहेगा, कोई मुर्ख कहेगा, कोई पागल कहेगा !

साक्षात कृष्णअवतारी महान संत , ज्ञानेश्वर और उनके भाई – बहन को भी हमारे ही समाज ने भयंकर तडपाया था ! ज्ञानेश्वर जी के माँ बाप ने प्राणत्याग करने के बावजूद भी ?
इतना भयंकर क्रूर हमारा ही समाज ?
सत्य की रक्षा करने के बजाए, सत्यवादीयों को ही तडपानेवाला ?
वह भी सातसौ साल पहले ! ?
तो आज का समय कितना महाभयानक होगा ?
सोचिए !

फिर भी हमें सिध्दातों से समझौता किए बगैर, एक एक कदम…हर दिन , हर पल आगे आगे ही बढना है !
ईश्वर को साक्षी रखकर, हर कदम मंजिल की ओर बढना ही है !

ऐसे समाजविघातक भुलभुलैया से बाहर निकलकर,हमें विचार करना होगा की,
” उनका ” ( ?? ) बच्चा बच्चा,
कट्टरता जानता है !
और हमारा बच्चा ?
” आती क्या खंडाला ” गाना गाता है ! ? और माँ बाप इसपर ठहाके लगाकर हँसते है !
उस बच्चे को शाबाशी देते है ! ?

हमारा सुसंस्कृत, आदर्शवादी समाज कहाँ से कहाँ तक पहुंच गया आखिर ?

इसीलिए साथीयों,
परिणामों की फिकिर, चिंता किए बगैर हमें आगे बढना है !
चाहे कोई कुछ भी कहे !
कोई सहयोग करें ना करें !
आगे बढते रहना है !

मैं लगातार समाज जागृती पर लेख लिखता हूं ! मगर कभी यह नहीं सोचता हूं की,
कितने लोग मेरे लेख को पढेंगे ?
कितने सहयोग करेंगे ?

कोई लेख पढे न पढे,कोई सहयोग करें ना करें !
मैं निरंतर छोटासा प्रयास करता रहूंगा !

ईश्वर सबकुछ जानता है !
पहचानता भी है !
भुलभुलैया भी !
असली नकली भी !
और जिसकी चिंता खुद ईश्वर करता है…वह तो अपने ध्येयसिद्धि की ओर लगातार बढता ही रहेगा ना ?

मिले ना कोई संगी – साथी,
हमें आगे बढते रहना है !
जब ईश्वर ही है रखवाला तो,
अकेले को ही आगे निकल जाना है !

बडे निश्चल होकर !!

हर हर महादेव !!

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