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विघ्नसंतोषी लोग !!

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विघ्नसंतोषी लोग ???
✍️ २२०७

विनोदकुमार महाजन
——————————-
विघ्नसंतोषी लोग ?
ना खुद सुख से जियेंगे, ना दुसरों को भी सुख से,चैन से जीने ना देंगे !

तुम आगे बढ रहे हो ?
प्रगती कर रहे हो ?
हर क्षेत्रों में नाम कमा रहे हों ?

तो…???
तुमको, सुखचैन से नहीं जिने देंगे ! पाँवों में पैर अटकाकर निचे गिराएंगे !
और उपर से ?
दादागिरी भी करेंगे !
हँसेंगे भी !
बदनाम भी करेंगे !
दुसरों को ही उल्टा मूर्ख कहलायेंगे !
अध:पतीत समाज बनाने के लिए ही सारी शक्ति लगायेंगे !
जीवनभर के लिए !

विघ्न संतोषी लोग ?

कौन और कैसे ?
हमारे, अपने !
हिंदु भाई !
जिनके लिए, जिनके हितों के लिए, जिनके कल्याण के लिए, हम दिनरात प्रयास कर रहे है…
वहीं !

वही…कृतघ्न लोग,
अहितकारी लोग,
दूसरों का कल्याण होता हुवा देखकर भी ,भयंकर पिडित होनेवाले, दूसरों पर जलनेवाले,दूसरों को हमेशा दुखी देखने वाले,
नतदृष्ट लोग !

कोई ईश्वरी चिंतन कर रहा है,
तपस्या कर रहा है…
उसे भी ?
चौबिसों घंटे रूलानेवाले !
उसके भी विरूद्ध षड्यंत्र करनेवाले !

दूसरों के दुखों में आधार बनने के बजाए, परपीडा देने में ही खुद को धन्य समझने वाले,
इसीसे ही आनंदित हो उठने वाले,
दुसरों के दुखों में उन्हीको ही जादा दुखदर्द पहुंचाने में ही समाधान मानने वाले,आनंद मानने वाले,
समाज विघातक लोग !

कोई आगे बढ रहा है ?
उसे ही गिराओ !
उसे ही अपमानित करो !
उसे ही नरकयातना दो !

ऐसे भयंकर लोग !
और उनकी भयंकर करतुते !

इनको,
किसी का भला हो रहा है ?
नहीं देखा जायेगा !
कोई तरक्की कर रहा है ?
नहीं देखा जायेगा !
सभी के रास्ते का कांटा बनकर, सभी को रूलानेवाले,कृतघ्न लोग !
किसीकी अच्छाई – भलाई सहा नहीं जानेवालें,
भयंकर लोग !

क्या आपको भी ,आप सभी को भी ऐसे लोग मिलें है ? या मिलते है ? आनंदी जीवन का सफर…
दुखदर्द में बदलने के लिए, सदैव प्रयत्नशील रहनेवाले लोग …
आपको भी मिले है ?
प्रेम करनेपर भी,सहयोग करनेपर भी,
बाधा उत्पन्न करनेवाले, विघ्नसंतोषी लोग…
आपको भी मिले है ?

और ऐसे समाज विघातक, दुष्ट – दुर्जनों का इलाज भी क्या है ? और इसका अंतिम उत्तर भी क्या है ?

अंतिम उत्तर है…!!!
जरूर है !

ईश्वरी उपासना !
निरंंतर ईश्वरी साधना !
अखंड नामस्मरण !
अखंड ईश्वरी चिंतन !
और मन की शांति और मौन !
यही एकमेव उत्तर है !

नहीं तो…?
ऐसे लोगों का विरोध करने से भी उनकी शक्ति, हजार गुना बढती है ! और ऐसे लोग और जादा ताकतवर होते जाते है !और जादा आक्रमक भी और जादा उपद्रवी भी !

इसिलिए मौन और शांति से, ईश्वरी चिंतन करते रहना और यथोचित समय का इंतजार करते रहना ही, इसका रामबाण इलाज और उत्तर है !

क्योंकि ईश्वर दिखता नहीं है..
मगर उसके हजारों आँखों से सबकुछ देखता रहता है !
निश्चल होकर !
और जब ऐसे उन्मादी, उन्मत्त,परपीडा देने में ही खुद को धन्य समझने वालें, पापीयों के पापों के घडे भरते ही…
खुद ईश्वर उन्हें कठोर दंडित करता है !
और उसकी,उस ईश्वर की सजा इतनी भयंकर होती है की,किसी को समझने में भी नहीं आता है की,आखिर यह सबकुछ क्या और क्यों हो रहा है !

क्योंकि ईश्वर की लाठी की आवाज आती नहीं है !
बल्कि ईश्वर की अदृष्य लाठी कार्य जरूर करती ही है !

इसिलिए मुसिबतों की भयंकर घडी में ,ईश्वर के चरणों पर सबकुछ समर्पित करके,बडे धैर्य और हिम्मत से, एकेक कदम, दृढतापूर्वक आगे बढाना ही होगा !
संयमपूर्वक !
धीरोदात्त बनकर !

समय – वक्त – कुदरत – नियती और ईश्वर किसी को छोडता नहीं है ! सही समय का इंतजार करता रहता है !
और योग्य समय आनेपर, उन्मादियों को कठोर दंडित भी करता है !

इसिलिए निश्चिंत होकर, दयालु प्रभु परमात्मा के पवित्र चरणकमलों पर,सबकुछ समर्पित करके,ईश्वर के कार्यों में, डटे रहने से ही मन की शांति बनी रहती है !

इसिलिये,
ऐसी धारणा रखते है की,
ईश्वर सबकुछ ठीक करेगा !
बिल्कुल ठीक ही करेगा !इसिलिए,ईश्वर पर अटल विश्वास, श्रद्धा, भक्ति, प्रेम रखकर,हमेशा जीवन में आगे आगे बढते ही रहना चाहिए !
निश्चयपूर्वक !

भक्तों पर हो रहे अत्याचार ईश्वर कभी भी सहता नहीं है !
यह हमारा नहीं, बल्कि दयालु ईश्वर का ही कानून और न्याय है !

इसिलिए…
निश्चिंत होई रे मना !!!
निर्भय होई रे मना !!!
निश्चल होई रे मना !!!

हरी ओम्

🙏🙏🙏🕉🕉

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