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क्या ? अदृश्य नागपाश ने हमें ? घेर के रखा है ?

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क्या…⁉सत्य को और सत्यवादीयों को,अदृश्य… नागपाश ( 🐍 ) ने…घेर के रखा है ???❓⁉
( लेखांक : – २११६ )

विनोदकुमार महाजन
——————————
सत्य का और सत्यवादीयों का रखवाला साक्षात ईश्वर होता है…ऐसा कहते है !
मगर क्या लगभग हर सत्यवादीयों के नशीब में घोर उपेक्षा, अवहेलना, अपमान, मनस्ताप ही लिखा होता है ❓

सोचकर उत्तर देना पडेगा !

क्योंकि साधारणतः देखते है तो… हर सत्यवादीयों को अनेक सालों तक, अनेक जटिल समस्याओं का मुकाबला करना ही पडता है !
शायद सभी सत्यवादीयों को और सत्यप्रेमीयों को मेरी यह बात माननी ही होगी !

सत्यवादीयों को जिस प्रकार से यश युं ही नहीं मिलता है.. ठीक उसी प्रकार से,हर क्षेत्र में भयंकर कडा संघर्ष, घनघोर विपत्तियों का सामना तो करना ही पडता है !

कार्य जीतना महान, संघर्ष भी उतना ही भयंकर करना पडता है ! हर पल संघर्ष ! पग पग पर संघर्ष !
अपनों द्वारा, समाज द्वारा, रिश्तों द्वारा,नियती द्वारा भी… की गई भयंकर उपेक्षा, अपमान, मनस्ताप,अवहेलना लगभग सभी सत्यप्रेमीयों के नशीब में होता ही है !

ईश्वर भी भयंकर कठोर परीक्षाएं लेता है !
अनेक आर्थिक मुसिबतें,अनेक प्रकार की भयंकर बिमारियां, घर के सभी सदस्यों का असहयोग, घर में संघर्ष तथा तनाव की स्थिति, घर के अनेक सदस्यों की बिमारियां, हितशत्रुओं का षडयंत्र, कौटुंबिक कलह अथवा कौटुंबिक आर्थिक समस्या, घर के सदस्यों के मतभेद और मनभेद द्वारा मनस्ताप की ही संभावना …!!!

क्या ऐसा ही होता है हर सत्यवादीयों के नशीब में ? क्या सत्यवादीयों को ही अनेक प्रकार के जहर हर पल हजम करते करते ही…मंजिल तक पहुंचने का रास्ता बनाना पडता है ?

परीक्षा हमेशा राम की होती है,रावण की नही !
मगर एक बात भी सही है की,आखिर भयंकर अग्नीपरीक्षाओं में तपकर, सिध्द होनेवाले… राम के हाथों से ही… रावणवध… भी…होता है !

मंजूर ?

तो अब यह देखते है की,क्या हर सत्यवादी और सत्यप्रेमीयों के ही नशीब में हमेशा भयंकर पीडा,यातना, आत्मक्लेश,मनस्ताप… लिखा होता है ?

अगर हाँ…तो क्यों ???

आजतक के इतिहास में झाँककर देखेंगे तो…यह सत्यवादीयों के साथ का भयंकर आत्मानुभ सत्यप्रमाण ही सिध्द होता है !

तो क्या…
सत्य, सत्यवादी, सत्यप्रेमीयों को अदृश्य जहरीले नागपाश ने घेरकर रखा होता है ?
सत्यवादीयों को आखिरी मंजिल तक पहुंचने में अनेक प्रकार की भयंकर मुसिबतों का,रूकावटों का,मनुष्य रूपी अनेक जहरीले साँपों का मुकाबला करना ही होता है ?
क्या हरपल अदृश्य नागपाश सत्यवादीयों को आगे बढने से रोकता है ?

कितने उदाहरण हम देखते है की…अनेक सत्यवादीयों को भयंकर कडा,अथक संघर्ष करनेपर भी अपनी मंजिल तक पहुंचने का सौभाग्य प्राप्त नही हुवा है !
एक तो आयुर्मर्यादा समाप्त होती है,अथवा अनेक बिमारियां जकड़ लेती है,अथवा अनेक भयंकर आर्थिक समस्याओं का निरंतर सामना करना पड़ता है , या फिर कोई संगीसाथी ही…ऐन मौके पर ( सुभाष बाबू जी का उदाहरण )भयंकर धोखा देता है ! ( नागपाश ? )
सावरकरजी का प्रायोपवेशन, ( नागपाश ? )
श्यामाप्रसाद मुखर्जी, लालबहादुर शास्त्री जी की गूढ़ मृत्यु ( नागपाश ? )
संभाजीराजे, राजेशिवछत्रपती की अकाल मृत्यु ( नागपाश ?)
पृथ्वीराज चौहान, गुरूगोविन्द सिंहजी की मृत्यु ( नागपाश ? )
महाराणा प्रताप का भयंकर जीवन ( नागपाश ? )
अटलजी – प्रमोद महाजन जी के कार्यों में बाधाएं ( नागपाश ? )
करपात्री महाराज जी का जीवन ( नागपाश ? )
बंदा बैरागी ( नागपाश ? )
पेशवा, राणी लक्ष्मीबाई की हार ( नागपाश ? )

तो इस भयंकर, भयानक, अतीभयावह…अदृश्य जालिम, जहरीले नागपाश का अंतीम उत्तर तो ढूंडना ही पडेगा !

⁉❓⁉❓⁉❓

और हम सभी प्रखर राष्ट्रप्रेमी,ईश्वरी इच्छा से ही…
जालिम, जहरीले …
नागपाश का इलाज, हल ढूंढने के लिए ही आये है !

इसीलिए बिल्कुल ठंडे दिमाग से, इसका हल ढूंढेंगे भी…
और जीतेंगे भी !
और हमारे अंतिम मंजिल तक पहुंचकर ही रहेंगे !

मन में है विश्वास !!!
पूरा है विश्वास !!!

संघर्ष करते करते…बीना थके हारे…अंतिम मंजिल तक पहुंचना शायद सभी के नशीब में नहीं होता है !

राम अवतार में भी,साक्षात विष्णु का अवतार होकर भी,मानवसमुह की सहायता के बगैर… बानरों की सहायता लेकर ही…धर्म युध्द करना पड़ा था ! और विजयश्री हासिल करनी पड़ी थी !
तभी सत्य जीता था !
अगर भगवान को भी ऐसी,अंतिम विजय तक पहुंचने के लिए, भयंकर मुसिबतों का हर पल सामना करना पड़ा था…तभी अंतिम जीत हासिल हुई थी !

राजा विक्रमादित्य को यश तो मिला, मगर उससे पहले राजा विक्रमादित्य को भी भयंकर नारकीय जीवन का और घनघोर मुसिबतों का सामना करना ही पडा था !
चंद्रगुप्त मौर्य को भी…आचार्य चाणक्य की तगड़ी रणनीति होने के बावजूद भी… भयंकर पिडादायक जीवन जीना पडा था !

प्रत्यक्ष भगवान श्रीकृष्ण को भी जन्म लेते ही स्थानांतरण करना पड़ा था !वसुदेव देवकी का भयंकर कारागृह अपनी आँखों से देखना पडा था !

साथियों,
यह लेख लिखने का एकमात्र उद्दीष्ट है की…हम सभी सत्यवादीयों को और सत्यप्रेमीयों को ,अपनी दिव्य मंजिल तक पहुंचने के लिए, अनेक भयंकर मुसीबतों का सामना करना ही पडता है !
अनेक अदृश्य साँप,बिच्छू हमारे रास्ते में आयेंगे, डसेंगे भी,जीना मुश्किल भी कर देंगे,पल पल रूलायेंगे भी,कभी मानवरूप में,कभी आर्थिक परेशानियों के रूप में,कभी बिमारियों के रूप में भी !

मगर हम सभी को सभी अदृश्य – दृश्य जहरीले साँप, अजगरों का,जहर के सागर का सामना करते करते ही…आखिरी मुकाम तक, आखिरी पडाव तक पहुंचना ही है !

नियती भी अनेक मुसिबतें खडी करेगी, ईश्वर भी अनेक कठोर परीक्षाएं भी लेगा !

मगर, डंटकर ही हर मुसिबतों का,सामना करना ही है ! और दिव्य मंजिल तक पहुंचना ही है !

हर क्षण आगे ही बढना है !
हौसले बुलंद रखने है !
कभी भी हार नहीं माननी है !
हर क्षण नई उर्जा,नई शक्ति लेकर, आगे जाना ही है !

जब शक्तिशाली मन ठान लेता है…तब अनेक दृश्य – अदृश्य रूप से घेरने वाले,भयंकर जहरीले साँपों की भी हार होगी !
अदृश्य नागपाश भी समाप्त होगा !

अभिमन्यु चक्रव्यूह में फँसकर समाप्त हो गया !
देहरुप से प्रत्यक्ष परमात्मा श्रीकृष्ण साथ होकर भी !

मगर हमें सभी प्रकार के चक्रव्यूह भेदन करके आगे निकलना ही है !
और अंतिम मंजिल तक पहुंचना ही है !

कौनसी मंजिल ?

हिंदुराष्ट्र निर्माण और…
अखंड भारत…

लगे रहो,डटे रहो !

हर हर महादेव !
जय श्रीराम !
🕉🚩🕉🚩🕉🚩🙏👍

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