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सुख और दुख एकसमान

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ॐ शिवगोरक्ष योगी आदेश

१२-६-२०२२

मानव जीवन निरंतर चलायमान और परिवर्तन शील रहता है,
श्रष्टि का नियम है जो रुक जाता है वो नष्ट हो जाता है ।

सुख-दुःख तो दिन और रात के समान है,
दिन है तो रात भी आएगी, सुख है तो दुःख भी होगा ।

मनुष्य जीवन कर्म प्रधान है,
इष्ट-गुरु को साक्षी मान कर सदैव सद्कर्म करते रहिए,
मार्ग में रुकावट तो आएगी किन्तु एक दिन सफलता अवश्य प्राप्त होगी ।

हमने जो भी कर्म किये है अच्छे या बुरे,
इस जन्म में या पिछले जन्म में किये उनका परिणाम भोगना ही पड़ेगा ।

कर्म-फल से कोई नही बचा चाहे श्रष्टि रचयिता, पालनहार, संहारक त्रिदेव ही क्यों ना हो ।

समय का सब खेल है अपने ही कर्मो की है ये सब माया,
जो आज मेरा है वो कल था किसी ओर का था कल किसी ओर का हो जाएगा ।

धन, संपत्ति, नाम सब पुण्य कर्मों का ही परिणाम है ।
इसलिए यथा संभव अच्छे कार्य ही करना चाहिए ।।

अपने आज के दुख से ना डरो तुम पगलु,
ना ही अपने वर्तमान के सुख में अभिमान करो ।
जो तेरा आज है वो कल भी तेरा ही होगा ज़रूरी तो नहीं,
खुद पर ना ये झूठा गुमान करो ।।

विधर्मियों का पूर्ण वहिष्कार करे ।।

शिवगोरक्ष कल्याण करे ।
शिवशक्ति भक्ति, शक्ति, मुक्ति, सद्बुध्दि दे ।
भैरव उस्ताद सदा सहाय ।।

आदेश😌

 

सौजन्य :- अमीत भारद्वाज

संकलन : – विनोदकुमार महाजन

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