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मोदिजी, सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास… कैसे संभव होगा ???

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मोदिजी,
सबका साथ,सबका विकास, सबका विश्वास…बिल्कुल असंभव है !
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मोदिजी,
आप जब मेरा यह लेख पढेंगे, तो आपको भी मेरे शब्दों पर ,मैं जो लिख रहा हुं इसपर विश्वास करेंगे ही !

मैं फिरसे मेरे वाक्य दोहरा रहा हुं,

मोदिजी,
सबका साथ,सबका विकास, सबका विश्वास संपूर्णता असंभव है।

क्योंकि हमारे देश में कुछ ऐसे ही बेईमान, गद्दार, नमकहराम लोग रहते है,जिनको….
परोपकार, दया,क्षमा चिज मालूम ही नही है ! इनका कितना भी कल्याण करने का प्रयास करेंगे, इनकी झोलियाँ भरभर कर इन्हे दे देंगे,इनको सोने का राजमहल बनाकर भी आप देंगे,तो भी आपके लिए यह हैवानियत भरे…सैतान कभी भी मानवता का,इंन्सानियत का नाता नही रखेंगे !

आपका विश्व व्यापक कार्य इनके लिए आदर्श नहीं है,बल्कि इनकी जलन है !

और जीवन भर यह हैवान ऐसे ही जलते रहेंगे !
साँप,बिच्छू, बाघ,सिंह भी ईश्वरी सिध्दांतों पर चलते है !
साँप,बिच्छू जहरीले होकर भी विनावजह किसीको दंश नही करते है ! अथवा बाघ,सिंह हिंसक होकर भी,विनावजह की हिंसा कभी भी नहीं करते है !
मगर यह हैवान विनावजह दंश भी करेंगे, हिंसा भी करेंगे ! और उन्माद ही फैलायेंगे ! अगर आप इनपर सच्चा प्रेम भी करेंगे.. तो..ऐसे महाभयानक सैतान
विश्वासघात ही करेंगे !

जी हाँ…इतिहास साक्ष है ! अनेक उदाहरण है !

दुर्योधनी वृत्ति का उत्तर क्या है ?
महाभारत से हमें क्या सिखने को मिलता है ?

भगवान श्रीकृष्ण प्रत्यक्ष परमात्मा होकर भी,विष्णु का आंठवा अवतार होकर भी,प्रत्यक्ष परमेश्वर होकर भी…
अनर्थ टालने के लिए, जब दुष्टात्मा दुर्योधन के पास…

कृष्णशिष्टाई

करने के लिए गये थे,तब दुष्ट दुर्योधन ने क्या किया था ?
परमात्मा भगवान श्रीकृष्ण को ही धमकियां दे रहा था !
उन्मत्त, उन्मादी, हैवानियत भरे,सैतानों को कभी भी प्रेम की भाषा नहीं समझती है !
इसीलिए परमात्मा श्रीकृष्ण खुद बंसीधर होकर,प्रेम से सभी का मन जीतने वाले मनमोहन होकर भी…
खुद भगवान को भी कठोर ह्रदय बनाकर हाथ में सुदर्शन लेकर, अनेक उन्मत्त पापीयों का सुदर्शन चक्र द्वारा शिरच्छेद ही करना पडा था !

मोदिजी तो आचरण भी भगवत गीता के अनुसार ही करते है ! इसीलिए जिस देश में जाते है वहाँ भगवत गीता ही भेंट देते है !

मगर मोदिजी फिर भी मैं कहता हुं की,
जितना जल्द हो सके उतनी जल्दी एक ऐसा सख्त कानून बनाईये की,
बेईमान, नमकहराम, उन्मत्त, उन्मादियों को सबक मिलें !
गलती से भी इनके मन में देशद्रोह का विचार न आयें !

क्योंकि दुष्टों को प्रेम की भाषा कभी भी नही समझती है !
जी हाँ नही समझती है !
कठोर शासन ही ऐसे हैवानों को इंन्सान बना सकते है !

मोदिजी,
छोटा मूंह बडी बात की ! मगर यही वास्तव है,असलियत है,सच्चाई है ! जबतक देशद्रोही ताकतें देश में सक्रिय रहेगी, तबतक देश का विकास नही होगा ! और तबतक देश का भयंकर षड्यंत्रकारी अराजक भी समाप्त नहीं होगा !

आपको तो देश के अराजक के साथ साथ वैश्विक अराजकता की भी समाप्ति करनी है !
इसिलिए अब समय का इंतजार नहीं…
बल्कि, सैतानों को,इनके भयंकर षड्यंत्रकारी दिमाग को,सैतानी ताकतों को,

जोर का झटका, धीरे से लगे…
यह निती बनानी ही पडेगी !

यह कुछ कर दिखाने का समय है !

हरी ओम् तत् सत्

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विनोदकुमार महाजन

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