*विश्व स्वधर्म संस्थान का , कार्यविस्तार….*
————————————–
साथीयों,
हमारे, ” विश्व स्वधर्म संस्थान ” ,
व्हाट्सएप ग्रुपपर देशविदेशों से अनेक संन्माननीय सदस्यों की उपस्थिति है।
अब इसीमें से हमें जितना जल्दी हो सके,ग्यारह मान्यवरों का चयन करके एक शक्तिशाली अंतरराष्ट्रीय संगठन बनाकर, कार्य को गती देनी है।
सबसे पहले हमें माता महालक्ष्मी मंदिर निर्माण करके , वैश्विक कार्य के लिए,शक्ति को आवाहन करना है।इसमें सौ लोगों की रहने की संपूर्ण सुविधा उपलब्ध कर दी जायेगी।
क्योंकि माता महालक्ष्मी के बिना कौनसा भी कार्य सफल नही हो सकता।और मैंने इसी कार्यों के लिए अनेक देवीदेवताओं के साथ,कोल्हापुर निवासी, माता महालक्ष्मी की साधना की है।और माता के आशिर्वाद भी प्राप्त किया है।
हमारे वैश्विक संस्कृति पुनर्निर्माण हेतु ,
१) अनेक भाषाओं में इसी विषय को समाज जागृती लाने के लिए तथा सामाजिक सहयोग प्राप्त करने के लिए , अनेक किताबें लिखकर , उसे प्रकाशित करना।
२ ) अनेक आध्यात्मिक, सांस्कृतिक, सामाजिक विश्व स्तर पर अनेक भाषाओं में डबिंग द्वारा अनेक फिल्मों का निर्माण करके विश्व स्तरपर एक जबरदस्त क्रांति की लहर निर्माण करना।
३ ) हमारे विचारों को जादा प्रसिद्धि देने हेतु हमारा स्वतंत्र टिवी चैनल तथा अखबार का आरंभ करना।
४ ) देशविदेशों से फंडिंग के लिए एक निती बनाकर, उसके अनुसार कार्य को आगे बढाना।
इस कार्य को आगे बढाने के लिए ,हमें प्रधानमंत्री संन्माननीय श्री.नरेन्द्र मोदिजी तथा मोदिजी के सहयोगी तथा अनेक राष्ट्रों के प्रमुखों को यह योजना बताकर उन सभी से सहयोग की अपेक्षा है।
ईश्वरी कृपा से और संयोग से हमारे व्हाट्सएप ग्रुपपर मोदिजी की भतीजी संन्माननीय सोनुजी मोदी की उपस्थिति भी है।हमारे आदर्शों को तथा सैध्दांतिक विचारों को मोदिजी तक पहुंचाने में हमें सोनुजी का सहयोग प्राप्त होगा,ऐसी आशा करते है।
इसके साथ ही मोरीशस से हमारे सह्रदयी मित्र , श्री.हेमंत पंड्याजी की भी उपस्थिति है।पंड्याजी के अमीत शाहजी तथा मोरीशस के प्रधानमंत्री सह देशविदेशों के अनेक मान्यवरों के साथ भी बहुत अच्छे रिश्ते है।
इंदौर के दत्त अवतारी आण्णा महाराज जी का भी संपूर्ण आशिर्वाद तथा प्रेम हमें इस वैश्विक ईश्वरी कार्य को मिलेगा ऐसा विश्वास है।
हमारे इस व्हाट्सएप ग्रुपपर देशविदेशों से अनेक भाई बहन की उपस्थिती है,जो हमें संपूर्ण सहयोग देने की अपेक्षा करते है।
” *प्रभुइच्छा बलीर्यसी* ” के अनुसार अगर भगवान ही खुद हमारे कार्य को आगे बढाना चाहता है,तो हमें कौन रोक सकता है ?
इससे संबंधित एक संस्कृत सुभाषित भी है।
” मूकं करोती वाचालं ,पंगूं लंघयतें गिरीं ।
यत्कृपा त्वमहं वंदे परमानंद माधवम् । ”
मतलब,
ईश्वर की कृपा जब होती है तो…
गूंगा भी बोल सकता है और
पंगू भी पर्बत चढ सकता है।
दुसरी बात,
जब तीव्र इच्छा शक्ति होती है,तब सभी असंभव कार्य भी आसान होने लगते है।
एक उदाहरण : – बचपन में चाय बेचने वाले हमारे प्रधानमंत्री का उदाहरण देखिए।और 370 हटाना,राममंदिर निर्माण द्वारा सत्य तथा ईश्वरी सिध्दांतों की जीत…यह उदाहरण भी तीव्र इच्छाशक्ति का ही उदाहरण है।
तो…???
साथीयों, बढते रहो।
दिव्य मंजिल की ओर बढते रहो।
अब संक्षिप्त में कार्य का उल्लेख
१) हर देश में ,हर शहर में संस्कृति निर्माण के लिए एक गुरूकुल तथा गौशाला का निर्माण।
२ ) संपूर्ण विश्व को विषयुक्त खेती से बचाना तथा विषमुक्त अनाज का निर्माण।
३ ) वैश्विक जनसंख्या विस्फोट पर कार्य करना।
४ ) ग्लोबल वार्मींग, हवा – पाणी प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए जादा मात्रा में पेड जंगलों का निर्माण।
५ ) गोमाता सहीत सभी जीवजंतुओं की सुरक्षा तथा सृष्टिसंतुलन के लिए सभी सजीवों को अभय।
मुझे,
आलंदी ( महाराष्ट्र ) के संत ज्ञानेश्वर जी ने उनके ही इस वैश्विक कार्य के लिए आशिर्वाद दिये है।
सातसौ साल पहले उन्होंने
” *ज्ञानेश्वरी “* नाम का ग्रंथ लिखा है।उसमें ” *पसायदान “* भी लिखा है।
उसी पसायदान में एक पंक्ति है,
” *विश्व स्वधर्म* सुर्ये पाहो ”
उसी पंक्ति के अनुसार ही हमारा कार्य आगे बढ रहा है।
इसीलिए संगठन का नाम ही ठीक इसी प्रकार से…
” *विश्व स्वधर्म* संस्थान ”
रखा गया है।
इसके साथ ही शेगांव के गजानन महाराज, सज्जनगढ़ के रामदास स्वामिजी की शिष्य कल्याण स्वामी तथा गुरू दत्तात्रेय सह मेरे सद्गुरु *आण्णा* ने मेरे सरपर वरदहस्त रखा है।मेरे कुलदेवता सोनारी के कालभैरवनाथ,ग्रामदैवत खंडोबा, भानसगांव के हनुमान, कोले नरसिंहपुर के लक्ष्मी नृसिंह सहित अनेक देवताओं ने भी दिव्य दर्शन तथा दृष्टांत दिये है।
हमें सभी सदस्यों के विचारों को गती देने के लिए सभी सदस्यों को अपने विचार रखकर उसे कार्यान्वित करने के लिए प्रोत्साहित करना भी हम सभी का दाईत्व है।
” *वसुधैव कुटुम्बकम ” के* अनुसार हम सभी सदस्य हमारे अंदर की ईश्वरी शक्ति जागृत करके हम कार्य को आगे बढाने की लगातार और विना थकेहारे कोशिश करेंगे ऐसी आशा करता हुं।
कार्य सफलता के लिए मैंने पंढरपुर में बारा साल तथा आलंदी में बारा साल की खडतर तपश्चर्या की है।अभी तक अठारह कोटि जाप पूरा किया है।अनेक देवीदेवताओं के आशिर्वाद भी प्राप्त किये है।
अपेक्षा करता हुं ,
आप सभी का पवित्र ईश्वरी प्रेम इस वैश्विक कार्य के लिए प्राप्त होगा।और कार्य को गती देने के लिए जीवनभर के लिए , संपूर्ण सहयोग भी मिलेगा।
हरी ओम्
————————————-
*विनोदकुमार महाजन,*
संस्थापक,
विश्व स्वधर्म संस्थान