शक्तीशाली योजना चाहिए।
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अपनी मंजील तक पहुंचने के लिए,उत्तुंग ध्येयपुर्ती के लिए, दृढ निश्चय और अथक प्रयत्नवाद तो चाहिए ही मगर इसके साथ भी मंजील तक पहुंचा देनेवाली सशक्त योजना भी तैयार होनी जरूरी होती है।
जैसे की राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय संगठन बनाना और उसमें कामयाबी हासिल करना हो,
या फिर कोई उद्योग व्यावसाय बनाना हो,
या फिर देश जब मुसीबत की घडी से गुजर रहा होता है तब…
बिल्कुल ठंडे दिमाग से,शांती से क्रांति के मार्ग पर चलकर,
धिरे धिरे योजना के तहत मंजिल तक पहुंचने के सदैव प्रयासों की शिकस्त करना।
क्या आज भी देश को और संपूर्ण विश्व को शांती से क्रांति की जरूरत आ गई है?
अहिंसा के मार्ग से,शक्तिशाली मार्ग से …
“विश्वपरीवर्तन”,
करना मुमकिन हो जायेगा?
कंधे से कंधा मिलाकर, कदम कदम आगे बढेंगे तो…?
सभी असंभव भी संभव होगा।
हरी ओम।
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— विनोदकुमार महाजन।