Thu. Sep 19th, 2024

हिंदु शब्द वेदों में भी उल्लेखनीय रहे है

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*हिन्दू कौन है , क्या आप जानते है, नहीं जानते हैं तो पढ़ें…*
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*” हिन्दू ” शब्द की खोज -*
*” हीनं दुष्यति इति हिन्दूः से हुई है ।”*

*अर्थात : जो अज्ञानता और हीनता का त्याग करे उसे हिन्दू कहते हैं ।*

*’ हिन्दू ‘ शब्द, करोड़ों वर्ष प्राचीन, संस्कृत शब्द से है !*

यदि संस्कृत के इस शब्द का सन्धि विछेदन करें तो पायेंगे ….

*हीन + दू = हीन भावना + से दूर*

*अर्थात : जो हीन भावना या दुर्भावना से दूर रहे , मुक्त रहे , वो हिन्दू है !*

हमें बार – बार, सदा झूठ ही बतलाया जाता है कि हिन्दू शब्द मुगलों ने हमें दिया , जो ” सिंधु ” से ” हिन्दू ” हुआ l

*हिन्दू शब्द की वेद से ही उत्पत्ति है !*

*जानिए , कहाँ से आया हिन्दू शब्द और कैसे हुई इसकी उत्पत्ति ?*

कुछ लोग यह कहते हैं कि हिन्दू शब्द सिंधु से बना है औऱ यह फारसी शब्द है । परंतु ऐसा कुछ नहीं है !
ये केवल झुठ फ़ैलाया जाता है ।

हमारे ” वेदों ” और ” पुराणों ” में हिन्दू शब्द का उल्लेख मिलता है । आज हम आपको बता रहे हैं कि हमें हिन्दू शब्द कहाँ से मिला है !

“ऋग्वेद” के ” ब्रहस्पति अग्यम ” में हिन्दू शब्द का उल्लेख इस प्रकार आया हैं :-

“ *हिमालयं समारभ्य*
*यावद् इन्दुसरोवरं ।*
*तं देवनिर्मितं देशं*
*हिन्दुस्थानं प्रचक्षते ।”*

*अर्थात : हिमालय से इंदु सरोवर तक , देव निर्मित देश को हिंदुस्तान कहते हैं !*

*केवल ” वेद ” ही नहीं, बल्कि ” शैव ” ग्रन्थ में हिन्दू शब्द का उल्लेख इस प्रकार किया गया हैं :-*

*” हीनं च दूष्यतेव् हिन्दुरित्युच्च ते प्रिये ।”*

*अर्थात :- जो अज्ञानता और हीनता का त्याग करे उसे हिन्दू कहते हैं !*

इससे मिलता जुलता लगभग यही श्लोक ” कल्पद्रुम ” में भी दोहराया गया है :

*” हीनं दुष्यति इति हिन्दूः ।”*

अर्थात : जो अज्ञानता और हीनता का त्याग करे उसे हिन्दू कहते हैं ।

” पारिजात हरण ” में हिन्दू को कुछ इस प्रकार कहा गया है :-

” *हिनस्ति तपसा पापां*
*दैहिकां दुष्टं ।*
*हेतिभिः श्त्रुवर्गं च*
*स हिन्दुर्भिधियते ।”*

अर्थात :- जो अपने तप से शत्रुओं का , दुष्टों का , और पाप का नाश कर देता है , वही हिन्दू है !

” माधव दिग्विजय ” में भी हिन्दू शब्द को कुछ इस प्रकार उल्लेखित किया गया है :-

*“ ओंकारमन्त्रमूलाढ्य*
*पुनर्जन्म द्रढ़ाश्य: ।*
*गौभक्तो भारत:*
*गरुर्हिन्दुर्हिंसन दूषकः ।”*

अर्थात : वो जो ” ओमकार ” को ईश्वरीय धुन माने , कर्मों पर विश्वास करे , गौ-पालक रहे , तथा बुराइयों को दूर रखे, वो हिन्दू है !

केवल इतना ही नहीं , हमारे “ऋगवेद” (8:2:41) में हिन्दू नाम के बहुत ही पराक्रमी और दानी राजा का वर्णन मिलता है , जिन्होंने 46,000 गौमाता दान में दी थी ! और “ऋग्वेद मंडल” में भी उनका वर्णन मिलता है l

बुराइयों को दूर करने के लिए सतत प्रयासरत रहने वाले , सनातन धर्म के पोषक व पालन करने वाले हिन्दू हैं ।

” *हिनस्तु दुरिताम*
जनमानस को अवगत कराएं
*साभार*
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संकलन : – विनोदकुमार महाजन
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