हिंदुत्व ही क्यों?
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जी हाँ दोस्तों,हिंदुत्व।जहाँ सबसे जादा आबादी हिंदुओं की है वहाँ पर हिंदुत्व ही राष्ट्रीयत्व होगा ना?बात तो सिदी सी है।है ना?
तो फिर यहाँपर तथ्यहीन समाजवाद, निधर्मीवाद,साम्यवाद किसने और क्यों थोपा?
क्या इसी बहाने से देश को फिर से खंडीत बनाने का किसी का षड्यंत्र था सचमुच में?अगर हाँ तो क्यों और किसका?
विश्व पटल पर आज भी हिंदु संस्कृती, सभ्यता, शालीनता,संस्कार,देवी देवताओं की पूजा श्रेष्ठ समझी जाती है।
सभी प्राणीयों का कल्याण, भूतदया, पंचमहाभूत,आत्मतत्त्व, परमात्मतत्व,ब्रम्हांड ,जन्म-मृत्यु-पुनर्जन्म का रहस्य, पिशाच योनी,आयुर्वेद, प्राणायाम, योगा,अध्यात्म, अनेक शास्त्रों का अभ्यास हिंदु धर्म सिखाता है।इसिलए विश्व-कल्याण, विश्व-मानवता कि जीत,पशुपक्षियों पर प्रेम, भाईचारा, वसुधैव कुटुंबकम, सभी पर प्रेम-आत्मीयता हिंदु धर्म का प्राण है।फिर भी हमारे ही कुछ भूले-भटके लोग,हमपर-हमारी संस्कृति पर हमले क्यों करते है?
यहाँ तो देवी देवताओं की, मंदिरों की,संस्कृति की,संस्कारों की सभ्यता की पूजा की जाती है।
यहाँ तो सच्चाई, अच्छाई, नेकी की पूजा की जाती है।यही सत्य है।और यही सत्य अनेक काल से चलता आ रहा है।
इसिलए यहाँ का प्राण हिंदुत्व ही है।यही राष्ट्रीयत्व भी है और इसीमें ही सभी का,सभी प्राणियों का,पशुपक्षियों का,सृष्टी का,सभी जाती धर्मों का कल्याण भी है।
इसिलए भाईयों, देश में सिर्फ और सिर्फ हिंदुत्व ही चलेगा।समाजवाद, साम्यवाद, निधर्मीवाद यहाँ पर कभी भी न चलेगा, न फुलेगा,न फलेगा।
और इसीलिए ही यहाँ हिंदुराष्ट्र ही चाहिए।
बाकी सब बकवास है।
सभी प्रश्नों का उत्तर भी एक ही है-वह है-
“हिंदुराष्ट्र।”
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— विनोदकुमार महाजन