*हे श्रीकृष्ण …तेरा हिंदू ??*
लेखांक ✍️ २६७७
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हे श्रीकृष्ण
तेरा सनातनी हिंदू
इतना तेजोहीन क्यों हो गया ?
भगवत् गीता का वह श्रेष्ठ आचरण कैसे भूल गया ?
वैसे तो हिंदू धर्म में और आदर्श हिंदू संस्कृति में जन्म लेने के लिए भी पुण्यसंचय होना चाहिए ! और सौभाग्य से हम सभी हिंदू कितने परम सौभाग्यशाली है ? जो अनेक देवीदेवताओं के , महात्माओं के ,साधुसंतों के , ऋषीमुनीयों के , दिव्य पुरूषों के ,चमत्कारी सिध्द पुरूषों के सनातन हिंदू धर्म में पैदा हुए ?
खुद के आत्मा को यह प्रश्न जरूर पूछना चाहिए !
मगर हे श्रीकृष्ण
तेरा हिंदुही यह मूल सिध्दांत ही कैसे भूल गया !?
सनातन संस्कृति में पैदा होना …मतलब ?
हम सभी तेजस्वी ईश्वर पुत्र ही होते है !
जी हाँ !
मगर हम तेजस्वी ईश्वर पुत्र है यही महत्वपूर्ण बात ही हम भूल गये है और उन्मादी, हाहाकारी समाज में फँसकर खुद का ही सर्वनाश कर रहे है !?
याद किजिए
संपूर्ण धरती पर केवल और केवल सनातन हिंदू धर्म का ही राज था !
संपूर्ण ब्रम्हांडीय रचना भी तो आखिर सनातनी ही है !
मतलब ? संपूर्ण ब्रम्हांड ही ईश्वर निर्मित है !
और हम उसका एक अंश है , भागीदार है !
निराकार रूप से हम सभी सजीव उस ब्रम्हांडीय शक्ति से निरंतर जुड़े हुए है !
क्योंकि हमारी निराकार श्वास और निराकार आत्मा ही उस तेजोमय चैतन्यशक्ती
से निरंतर जुड़ी हुई है !
जनम जनम तक !
युगों युगों से लेकर
युगों युगों तक हमारा यह सफर जारी है !
मगर अज्ञान वश हम हमारा यह मूल सिध्दांत ही भूल गये है ! और इसिलिए तेजोहीन बनकर व्यर्थ का , तेरामेरा के चक्कर में फँसकर व्यर्थ जीवन गँवा रहे है !
वैदिक सनातन संस्कृति और हिंदू धर्म का प्रचार प्रसार करने के लिए , वैसा उच्च आचरण करने के लिए ही हम सभी हिंदू ईश्वरीय इच्छा से ही पैदा हुए है !
मंजूर है या नहीं ?
और कुछ गिनेचुने पापात्माएं , राक्षसी शक्तियां , अज्ञान वश ऐसे महान संस्कृति को ही हमेशा गाली देने में ही खुद के जन्म का सार्थक समझते है !
ऐसे लोगों से क्या संवाद करना !?
संपूर्ण विश्व पर आदर्श सनातन धर्म का सूर्योदय जब होगा तो ऐसे अज्ञानकारी छोटे छोटे दिये का क्या महत्व रहेगा ?
आज अधर्म के अंधकार में ऐसे दिये सूर्य होने का आभास निर्माण करते है !
खैर… यह हमारा विषय नही है !
इसीलिए फिरसे दोहराता हुं मेरे सनातनी हिंदू साथियों
युगों युगों से लेकर
युगों युगों तक हमारा यह सफर जारी है !
यह मेरा लेख कुछ गिनेचुने सनातनीयों की ह्रदय तक और आत्मा तक पहुंचेगा !
वहीं पुण्यात्माएं साथ देंगे तो धरती का स्वर्ग बनने में समय नहीं लगेगा !
और दुर्दैव से हम हमारी यही गुणवत्ता , यही संस्कृति , यही मूल सिध्दांत ही भूलते जा रहे है !?
और आक्रमणकारी विनाशकारी संस्कृति को गले लगा रहे है !
इसिलिए हम सभी हिंदुओं का यह भी दाईत्व है की ,
केवल हिंदूराष्ट्र अथवा अखंड भारत बनाना ही हमारे जीवन का उद्दीष्ट और दाईत्व नहीं है बल्कि संपूर्ण धरती को ही फिरसे सनातन संस्कृति को जोडना ही हमारे जन्म का मूल उद्देश्य और मूल सिध्दांत भी है !
और हर हिंदू का ऐसा सिध्दांत भी होना चाहिए !
यह केवल घोषणा बाजी का नहीं बल्कि एक जबरदस्त शक्तिशाली रणनीति बनाकर चौतरफा यशस्वी होने का समय है !
वैसे तो मेरा जन्म भी विजयादशमी की नौवीं रात्रि
सिध्दीदात्री और नौ दुर्गाओं की विषेश कृपा के दिन का और विशेषत : माँ सिध्दीदात्री अर्थात भगवती आदीशक्ती जगदंबा माता महालक्ष्मी की विषेश कृपा के दिन का है !
इसीलिए मेरी परम कृपालु, परम दयालु माई , माता महालक्ष्मी ही मेरे हाथों द्वारा सनातन धर्म का कार्य करने के लिए मुझे निरंतर प्रेरणा देती है !
साक्षात जगदंबा ही मेरी माँ है !
आप सभी की भी यही शक्तिदायिनी , आदिशक्ति ,भगवती माता जगदंबा ही माता है !
मेरी माँ मेरे साथ सपनों में अतिशय गूढ , गुप्त तथा महत्वपूर्ण बातें करती रहती है !
उसका संवाद क्या बताऊँ ?
शब्द ही नहीं है !
और इसीलिए मेरे अंदर निरंतर उसका तेज , धधगती आग , अन्याय के विरूद्ध की ज्वाला जागृत रहती है !
प्रत्यक्ष भगवती ही मेरी माँ है तो चिंता किस बात की ?
( मेरी माँ साक्षात महालक्ष्मी भी मुझे यही कहती है….
” कशाला रडतोस ? कशाला काळजी करतोस ? कशाला चिंता करतोस ? मी आता तुझ्या घरी रहायला आलेली आहे ! ” )
और आप सभी मेरे सनातनी हिंदू मेरे भाई ही हो !
तो आपके अंदर भी यही ज्वाला यही आग निरंतर जागृत होनी चाहिए !
आप सभीपर भी भगवती माता महालक्ष्मी की कृपा होनी चाहिए !
क्योंकि हम सभी आदर्श सनातनी तथा जागृत तथा तेजस्वी ईश्वर पुत्र ही है !
तो चिंता किस बात की ?
तो वहीं ईश्वरी तेज जगाकर चलो आगे बढते है !
हिंदुराष्ट्र निर्माण ,
अखंड भारत और
सनातन मय विश्व के लिए
संपूर्ण जीवन ही झोंक देते है ! इसिलिए तो हम सभी पैदा हुए है ! हमारा मूल सिध्दांत भी यही है !
एक शक्तिशाली तथा यशस्वी रणनीति बनाकर उसी दिशा में आगे बढते है !
जीवन का सुखदुख , जीवन की लडाई भले ही अकेले लडनी पडती हो , मगर सनातन धर्म की लडाई हम सब मिलकर साथ लड सकते है !?
और सिध्दांतों की लडाई हमेशा सर्वश्रेष्ठ होती है !
चाहे हमें सैतानी शक्तियां भलाबुरा कहें !?
राम और कृष्ण को भी भलाबुरा कहने वाले औरों के साथ हमारे हिंदू भी मिलेंगे !
याद रखिए हम धरती पर पैदा हुए है और यह मृत्युलोक है !
हरेक का वापिस जाने का तिकट कंन्फर्म तिकट है !
इसिलिए वापिस स्वर्ग जाने से पहले कुछ तो बडा कार्य ? कुछ तो भी सनातन धर्म का, ईश्वर का वैश्विक कार्य करते है !
वापिस स्वर्ग में जानेपर भगवान श्रीकृष्ण को माँ भगवती को हम क्या मुंह दिखाएंगे ?
ईश्वर हमें पुछेगा
” मैंने तुझे धरती पर केवल सनातन धर्म का कार्य करने के लिए ही भेजा था ,
और तुने व्यर्थ जन्म गँवाया ?”
ऐसा ईश्वर पुछेगा तो क्या जवाब देंगे ?
चार पैसा कमाया , चार बच्चे पैदा किए , चार बंगले बांधे , सौ एकड जमीन खरीदी , बडा कारखाना बनाया ,खाया पिया ऐश किया ,और एक दिन किडेमकौडे की तरह मर भी गया ?
क्या इसिलिए केवल हमारा मनुष्य जन्म है !?
चार पैसों के लिए आपस में लडाई झगड़ा करने के लिए , जातिवाद के भयंकर जहर में फँसकर आपसी कलह करने के लिए , हमारा जन्म नहीं है !
जागो मेरे प्यारे सभी सनातनी भाईयों , ईश्वर ने तुम्हे कुछ अच्छा कार्य करने के लिए ही धरती पर भेजा है ! किडेमकौडे जैसा जिने के लिए हम पैदा नहीं हुए है !
पैदा होना और मर जाना !?
बल्कि भगवान का महत् कार्य करने के लिए ही , भगवान श्रीकृष्ण के भगवत् गीता का कार्य करने के लिए , माँ भगवती जगदंबा का कार्य करने के लिए ही हम सभी सनातनी पैदा हुए है !
हम सभी की माँ वह शक्तिदायिनी साक्षात शक्ति का रूप माँ भगवती है !
वो ही हमें हमारे कार्यों में निरंतर शक्ति, यश देती रहेगी !
कोई देहाती हो ,शहरी हो , अठरा पगड जन जातियों में फैला हो , शिक्षित हो अशिक्षित हो , अमीर हो गरीब हो ,
हम सभी तो उसी ईश्वर की परम भाग्यशाली , परम वैभवशाली सनातनी संतान है !
जागो मोहन प्यारे !
मैं तुम्हें जगाने आया हूँ !
विनोद महाजन इस देह का नाम है , आत्मा का नहीं !
हम सभी का यह देह तो केवल निमित्त मात्र है !
इसी देह में रहकर ही हिंदुत्व का , सनातन धर्म का बडा कार्य करना है !
ईश्वर से भी संवाद करना है !
और निरंतर आगे आगे ही बढते रहना है !
बहती नदी की तरह !
बिना रूके बिना हारे निरंतर आगे बढना है !
चलो सनातनीयों एक नया इतिहास बनाते है !
नया युग बनाने के लिए , ईश्वर से प्रेरणा लेकर , मानव जन्म का उद्दीष्ट साध्य करते है !
वैदिक सनातन हिंदू धर्म की त्रिवार जयजयकार करने के लिए संपूर्ण विश्व में क्रांति की लहर लाते है !
चौतरफा क्रांति !
क्रांति से शांति !
जिन्होंने संपूर्ण लेख पढा है उनका आभार !
नहीं पढने वालों का भी आभार !
प्रेम करनेवालों का भी आभार !
पीडा देनेवालों का भी आभार !
! विश्व स्वधर्म सुर्ये पाहो !
! हरी ओम् तत् सत् !
! हरी ओम् !
! रामकृष्णहरी !
🚩🚩🪷🪷🙏
*विनोदकुमार महाजन*