Tue. Dec 3rd, 2024

ओम्कार ध्यान किजिए और ईश्वरीय दिव्य अनुभूति पाईऐ

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ओम्कार ध्यान और आरोग्य
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*भिन्न भिन्न धर्मों  में  तनाव का  समाधान केवल  मात्र  ॐ कार उपासना से ही है  :: तथा     _निरोग और शान्त चित्त-मन  के लिए करे  ॐ (OM)  का उच्चारण  मिलते है इससे अनेकानेक नैसर्गिक   लाभ  ::_*

सनातन धर्म से जुडा एक अदभुत मंत्र::
*ॐ उच्चारण के शारीरिक व मानसिक  लाभ ::*
*ॐ* : ओउम् तीन अक्षरों से बना है।
*अ उ म्*।
*”अ”* का अर्थ है उत्पन्न होना,
*”उ”* का तात्पर्य है उठना, उड़ना अर्थात् विकास,
*”म”* का मतलब है मौन हो जाना अर्थात् “ब्रह्मलीन” हो जाना।
*ॐ* सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति और पूरी सृष्टि का द्योतक है।
*ॐ* का उच्चारण शारीरिक लाभ प्रदान करता है।

*ॐ* कैसे है स्वास्थ्यवर्द्धक और अपनाएं आरोग्य के लिए ॐ के उच्चारण का मार्ग…

🕉️ *उच्चारण की विधि :: 😌*
*प्रातः उठकर पवित्र होकर ओंकार ध्वनि का उच्चारण करें। *ॐ  का उच्चारण पद्मासन, अर्धपद्मासन, सुखासन, वज्रासन व किसी भी  आसन में  तथा  बीमारी  अवस्था में  लेटकर  या बैठकर कर सकते हैं । मुख्यतः उद्देश्य ही महत्वपूर्ण है  न कि बिधि । ॐ  इसका उच्चारण 5, 7, 10, 21 , 100 , 208 बार अपने समयानुसार व स्वास्थ्य अनुसार  कर सकते हैं ।*
ॐ जोर से बोल सकते हैं, धीरे-धीरे बोल सकते हैं ।
*ॐ* जप माला से भी कर सकते हैं।

*01)  ॐ और थायराॅयडः*
*ॐ* का उच्चारण करने से गले में कंपन पैदा होती है जो थायरायड ग्रंथि पर सकारात्मक प्रभाव डालता है ।

*02)  ॐ और घबराहट ::-*
अगर आपको घबराहट या अधीरता होती है तो *ॐ* के 10 – 20 बार उच्चारण से उत्तम कुछ भी नहीं , अन्य तंत्र मंत्र शास्त्र में अनेकों  प्रकार के  विधि  निषेध है , आगम निगमों  के  बहुत सारे  बन्धन है  ।  जैसे   यह मंत्र  108 बार ही करना  होगा, यह मंत्र  1 लाख बार करना होगा , यह मंत्र 10 लाख बार करना होगा,  भिन्न भिन्न रूपों में भिन्न भिन्न  सामग्रियों की आवश्यकता होती है ।  किन्तु ॐकार उपासना पद्धति,  ॐ मंत्र  जप करने के लिए कोई  बिधि पाबंदियां नही,  केवल मात्र  शुद्ध चित्त मन में  चाहे आप एक बार उच्चारण करों  या  एक लाख बार , आपको  तत्काल प्रभाव से चमत्कार परिवर्तन नजर आने लगेगा ।।

*03) ॐ और तनाव  ::-*
यह शरीर के तमाम  विषैले तत्त्वों को दूर करता है, अर्थात तनाव के कारण पैदा होने वाले रासायनिक  द्रव्यों पर नियंत्रण करता है । शरीर के अन्दर  एन्टीजेन व एन्टी-बोडी  को संतुलित करता है ।।

*04) ॐ और खून का प्रवाहः-*
यह हृदय के धड़कन गतिविधियों  और ख़ून के प्रवाह को संतुलित रखता है ।

*5)  ॐ और पाचनः-*
*ॐ* के उच्चारण से पाचन शक्ति तेज़ होती है,  अमीनो एसिड का  व च्यापचय क्रियाओं को तंदुरुस्त करता है   ।।

*06)  ॐ लाए स्फूर्ति ::-*
इससे शरीर के अन्दर  रसायनिक  क्रिया शुद्ध होने के कारण तमाम बीमारियों से छुटकारा पाने  व तनाव का समाधान होने  में फिर से युवावस्था वाली स्फूर्ति का संचार होता है ।।

*07)  ॐ और थकान ::-*
थकान से बचाने के लिए इससे उत्तम उपाय कुछ और नहीं ।।

*08) ॐ और नींद ::-*
नींद न आने की समस्या इससे कुछ ही समय में दूर हो जाती है ।  रात को सोते समय नींद आने तक बिस्तर पर बैठे  मन में इसको ॐ मन्त्र का उच्चारण  करने से निश्चिंत ही अवसाद दूर होकर शान्तिः मिलती है व  नींद आ जाती हैं  ।।

*09) ॐ और फेफड़े:-*
कुछ विशेष प्राणायाम अभ्यास व ॐ  के साथ इसे करने से फेफड़ों में जमी  तमाम  विकारों को  दूर कर स्वस्थ  मज़बूती आती है ।।

*10)  ॐ और रीढ़ की हड्डी:-*
*ॐ* के साथ विशेष  मुद्राओं की अभ्यस्त  पहले शब्द का उच्चारण करने से कंपन पैदा होती है । इन कंपन से रीढ़ की हड्डी व एक एक वाईटब्रा मनका प्रभावित होती है और इसकी तनाव दूर कर स्वस्थ  क्षमता बढ़ जाती है ।।

*11)  ॐ दूर करे तनावः-*
*ॐ* का उच्चारण करने से पूरा शरीर तनाव-रहित होकर स्फूर्ति दायक बन जाता है ।।

आशा है आप अब कुछ समय जरुर ॐ का उच्चारण करेंगे । साथ ही साथ इसे उन लोगों तक भी जरूर पहुंचायेगे  जिनकी आपको फिक्र है ।
अपना ख्याल रखिये, खुश रहें । बर्तमान समाज में  व्याप्त भिन्न भिन्न प्रकार के  भ्रम, भ्रान्तियाँ, लोकोक्तियां, अन्ध-विश्वास , वैमनस्य,  भेदभाव  मानव मानव के लिए  तनाव से  खतरा  पैदा किया है   ।  समस्त भारतवासी व विश्व समुदाय  यदि यह बात  जान ले तो जाती,  धर्म, वर्ण, सम्प्रदायों  में  वटें तमाम मुसीबतों का  संवैधानिक  जटिलताओं का , सामाजिक सौहार्द व समरसता हेतु यह अभियान मानवीय सभ्यता के लिए  बहुत  जरूरी है ।

ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः
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परमेश्वर के आशीर्वाद आपको है और परिवार के सभी सदस्य को भी । सभी मित्र जनों को  अभिनन्दन एवं  शुभकामनाएँ  !!

ॐ कार साधना का मेरा निजी अनुभव बेहतरीन है।अमृत का वर्णन नही किया जा सकता है।वह चखना पडता है।
आप सभी भी ओम्कार ध्यान धारणा का जरूर अनुभव किजिए तथा दिव्य अनुभूति पाईऐ।

हरी ओम्

विनोदकुमार महाजन

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