संभाजी महाराज , गुरु गोविंदसिंग जैसे महान
आत्माओं ने तडपतडपकर
मरना पसंत किया !
मगर सैतानी शक्तियों के
सामने , दुष्टों के सामने
शरण जाना अथवा झुकना
पसंत नहीं किया !
यह होता है स्वाभीमान !
स्वाभीमान शून्य और लाचार
समाज तथा व्यक्तियों के लिए
यह एक अत्यंत जाज्वलशाली
उदाहरण है !
हिंदुत्ववादी राजकीय पार्टीयों को
छोडकर ” इधर उधर ” भटकनेवाले
स्वाभीमान शून्य ,लाचार और
सत्ता ,संपत्ती के लालची
जयचंदों के लिए यह एक
आदर्श उदाहरण है !
सौ के एक नोट से अपना एक मत बेचनेवाले हिंदुओं अथवा नोटों के बंडलों के लिए अपना इमान बेचनेवाले हिंदुओं
जरा स्वाभीमान से जीना सिख लो !
हिंदुत्व ही हमारी आन – बान – शान है !
हिंदुत्व ही हमारी जान है !
हिंदुत्व ही हमारा जीवन है !
हिंदुत्व की जीत यही हमारे
जीवन का लक्ष है !
सभी हिंदुत्ववादी व्यक्ती ,आध्यात्मिक ,सामाजिक, राजकीय संगठनों का त्रिवार
जयजयकार हो !
हिंदुत्व की अंतिम जीत के लिए ही संपूर्ण जीवन समर्पित है !
विनोदकुमार महाजन