Sat. Sep 7th, 2024

जी हाँ ,मैं ब्राह्मण हूं !!

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जी हाँ,मैं ब्राह्मण हूं !!
✍️ २२५१

विनोदकुमार महाजन
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जी हाँ ,मैं ब्राह्मण हूं !
और ब्राह्मण कौन होता है, यह मैं आज बता रहा हूं !

सभी का अखंड कल्याण चाहनेवाला और सभी का अखंड कल्याण ही करनेवाला ब्राह्मण होता है !
संपूर्ण ब्रम्हांड में व्याप्त ईश्वर को खोज निकालकर,ईश्वरी वरदान प्राप्त करके, सभी का कल्याण चाहने वाला ब्राह्मण होता है !

सभी सजीवों में एकसमान आत्मतत्व देखकर, सभी को ईश्वर मानकर, उसको पूजनेवाला,मैं ब्राह्मण हूं !
धधगता ईश्वरी तेज,मैं ब्राह्मण हूं ! ब्रम्ह को भी ढूंढकर,ब्रम्हज्ञानी बननेवाला मैं ब्राम्हण हूं !

अठरा पगड जनजातीयों से,सभी धर्मों से,सभी मथ – पथ – पंथों से निष्पाप, निष्कलंक प्रेम करनेवाला मैं ब्राह्मण हूं !
नफरत का भयंकर जहर हजम करके भी,सभी का कल्याण चाहनेवाला और सभी के कल्याण के लिए, ईश्वर से अहोरात्र प्रार्थना करनेवाला मैं ब्राम्हण हूं !
ब्राह्मण परशूराम का धधगता तेज हूं ,और फिर भी, क्षत्रिय राम और कृष्ण की जी – जान से भक्ति, प्रेम करनेवाला, मैं ब्राह्मण हूं !
सभी दुखितोंको अश्रु पोंछने वाला मैं ब्राम्हण हूं !
आरक्षण ना माँगकर ,खुद के ईश्वरी तेज से ,बुध्दीचातुर्य के बलपर ,आगे आकर सभी पर परोपकार करनेवाला मैं ब्राम्हण हूं !
कभी कभी भिक्षाटन करके और पूजापाठ करके,खुद का और परिवार का भरणपोषण करनेवाला ,मगर भ्रष्टाचार न करनेवाला,मैं ब्राह्मण हूं !

माँ सरस्वती का पूजक,
माँ गायत्री का उपासक,
वेदों का अभ्यासक,
गौमाता, गंगामाता,गीतामाता का पूजारी, मैं ब्राह्मण हूं !

सत्य का रखवाला, सत्य का पूजारी मैं ब्राह्मण हूं !

मुझे ,मेरे सत्य को और मेरे सिध्दातों को किसी ने अगर जमीन में भी गाड दिया,तो भी वहाँ पर भी कठोर तपश्चर्या करके,सभी देवीदेवताओं को प्रसन्न करके,जमीन फाडकर भी उपर आनेवाला,और उपर आकर भी सभी सजीवों का,सभी पशुपक्षीयों का,समस्त मानवसमुह का अखंड कल्याण ही करनेवाला, मैं ब्राम्हण हूं !

धधगता ईश्वरी तेज मैं ब्राह्मण हूं !

ब्राह्मण पेशवा और क्षत्रिय शिवाजी राजे,इनको निरंतर ह्रदय सिंहासन पर बिठाकर, उनके आदर्श सिध्दातों की पूजा करनेवाला मैं ब्राह्मण हूं !

रामायण लिखने वाले,वाल्या कोळी अर्थात वाल्मिकी ऋषि का भी मैं भक्त हूं ! रोहीदास चमार का भी मैं भक्त हूं ! पांडूरंग पांडूरंग ऐसा नीरंतर कहनेवाले सभी संतों का,
ज्ञानेश्वर, एकनाथ,तुकाराम, गोरा कुंभार,सावता माळी,नरहरी सोनार,चोखामेळा जैसे सभी जातीय ,सभी संतों की पूजा करनेवाला,कभी भी भेदभाव नहीं करनेवाला मैं ब्राह्मण हूं !क्योंकि सभी का श्रेष्ठत्व देखकर, उन सभी की पूजा करनेवाला, मैं ब्राह्मण हूं !

सावरकर, टीलक,आगरकर, चाफेकर, राजगुरु ,वासुदेव बळवंत फडके जैसा क्रांतिकारी बनकर, देश के लिए, सभी के कल्याण के लिए, सर्वस्व समर्पित करनेवाला, मैं ब्राह्मण हूं !

जी हाँ दोस्तों, आप सभीपर भी भेदभाव रहीत, पवित्र ईश्वरी प्रेम करनेवाला, आप सभी के अंदर ईश्वर को देखनेवाला,आप सभी का अखंड कल्याण चाहनेवाला, ईश्वर को ऐसी निरंतर प्रार्थना करनेवाला, मैं ब्राह्मण हूं !

इसीलिए दोस्तों,
मैं केवल ब्राह्मण हूं यह देखकर, मुझे केवल और केवल, चौबीसों घंटे, नफरत ही करनेवाला, क्या सचमुच में, इंन्सान कहने के लायक होगा ? मानव कहने के लायक होगा ?
दिनरात, विनावजह मुझे केवल बदनाम ही करनेवाला क्या सच में इंन्सान ही होगा ?

और क्या ऐसे महाभयानक लोगों को, ईश्वर, नियती और समय क्षमा भी करेगा ?

रस्सी को भी,साँप साँप कहकर, सभी को भ्रमित करके,भूमि पर लाठी मारनेवालों का भविष्य भी क्या होगा ?
समय तो इनको नामशेष ही कर देगा ना ?

और आज भी समाज में, ऐसे भ्रमित करनेवाले, कितने प्रतिशत लोग है ? और उनको भी कौन पूछता है ? उनकी झूठी बातों की तरफ कौन ध्यान देता है ? और सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न… ऐसे समाज में संभ्रम निर्माण करने वालों की, संख्या और प्रतिशत भी कितना है ?
शायद ना के बराबर ?
लगभग शून्य के बराबर ?

और इसीलिए खुद के जहर से ही जो नामशेष ही होनेवाला है,उसे ईश्वर भी क्यों और कैसे बचा पायेगा ?
और विनावजह समाज को संभ्रमित करनेवालों की ओर ध्यान भी कौन देगा ?
इन्हें तो श्राप की भी जरूरत नहीं है !!

इसिलिए…कृपया विनावजह कोई सत्य को बदनाम ना करें !

सब मिलकर, एकसाथ तो बोलना ही पडेगा !

जय परशुराम !
जय श्रीराम !
जय श्रीकृष्णा !
हर हर महादेव !

हरी ओम्

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