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अक्षय तृतीया,आप सभी के जीवन में अक्षय सुखों की बरसात करें !!
✍️ २२४३

विनोदकुमार महाजन

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मुझपर निरंतर प्रेम करनेवाले, मेरे सभी प्यारे मित्रों को, आज के, अक्षयतृतीया की अनेक अनेक शुभकामनाएं !

आप सभी को निरंतर, आजीवन कभी भी नहीं समाप्त होने वाला,अक्षय ( अ – क्षय ) धन,संपदा, आरोग्य, ऐश्वर्य, यश,किर्ती,दिर्घायुष्य प्राप्त हो, ऐसी… मेरे,आप सभी के ,
दयालु, परमकृपालु, परमात्मा परमेश्वर के चरणकमलों पर,विनम्र प्रार्थना !
ईश्वर आप सभी की मनोकामनाएं, त्वरित पूर्ण करें !
आप सभी के जीवन में, सभी प्रकार के सुखों की बहार आये !
आप सभी का जीवन सुजलाम् सुफलाम् बनें !
किसी को भी कोई दुख ना रहें !

हिंदुराष्ट्र निर्माण, अखंड भारत और विश्वगुरू भारत बनाने के हमारे, हम सभी के प्रयासों को,ईश्वर त्वरित गति दें !

मार्कंडेय ऋषि ने, अपने कठोर तपस्या और साधना के बलपर, महामृत्युंजय मंत्र द्वारा, अपना नशीब भी बदला था ! ठीक इसी प्रकार से, हमें,हम सभी को हमारा नशीब भी बदलना है !

ईश्वरी कार्यों के लिए,
ईश्वरी वरदान भी प्राप्त करना है !

मैंने भी,अनेक सालों की,कठोर तप:श्चर्या द्वारा और मेरे सद्गुरु आण्णा की परम कृपा से, मैंने तो…मेरा…
नशीब, प्रारब्ध,कर्म,मार्कंडेय ऋषि की तरह, संपूर्ण रूप से बदल दिया है !

हम सभी का नशीब भी हमें अब बदलना ही है ! और स्वर्णिम भारत निर्माण द्वारा, हम सभी को भी,नवचैतन्य युक्त जीवन जीना है !
यही आज के शुभमुहूर्त पर,सुअवसरपर ,अक्षयतृतीया के दिन हमें संकल्प करना है !

प्रत्यक्ष काल,मृत्यु भी अनेक बार मेरे नजदीक आकर दूर चला गया !
आज मैंने भयंकर काल पर भी विजय प्राप्त की है !
मेरी सोनारी की कुलदेवता,
प्रत्यक्ष ” काल – भैरवनाथ ”
भी मेरे साथ निरंतर है !
सद्गुरु कृपा से, आज्ञाचक्र जागृती द्वारा, ब्रम्हज्ञान की भी प्राप्ति हो गई है !

चमत्कारिक तरीकों से मेरा संपूर्ण जीवन ही बदल गया है !

आज मेरा पुनर्जन्म हुवा है !

अनेक प्रकार की,भयंकर नरकयातनाएं, मुसिबतें, जहर के सागर, परेशानियां,आत्मक्लेश, अपमान, बदनामीयाँ,अपयश, शत्रुपिडा,जहरीले साँपों का चक्रव्यूह, अनेक सालों की भयंकर बिमारीयाँ, आर्थिक परेशानियां,सभी पर मैंने आज विजय प्राप्त की है !

अक्षय विजय !

ईश्वरी कार्य के लिए,
राजा विक्रमादित्य की तरह भयंकर कठोर अग्नीपरीक्षाएं,सत्वपरीक्षाएं मुझे देनी पडी !
एक क्षण भी ,एक साल जैसा लगता था !
अतीभयावह !

अनेक सालों का वनवास !
अनेक सालों का अज्ञातवास !
अनेक सालों तक,मृत्युशैया पर सोया था !
फिर भी हिम्मत से, समाजजागृती लेख लिखता था !
समय बदलने की प्रतिक्षा करता था !
समयचक्र अतीभयावह चल रहा था ! फिर भी मैंने हिम्मत नहीं हारी !
चारों तरफ से आग लगी हुई थी !
मुसिबतों की आग !

और आज,राजा विक्रमादित्य की तरह, मार्केंडेय ऋषि की तरह, मेरा भी कर्म आखिर हार गया !
मेरे सद्गुरु आण्णा जीत गये !
उनकी परम कृपा से, मैं भी जीत गया !
कर्म हार गया !
कर्मगति का भयंकर फेरा, समाप्त हो गया !

अनेक सालों की खडतर तप:श्चर्या स – फल हो गई !
अ – क्षय हो गई !

संपूर्ण ईश्वरी कृपा, ईश्वरी वरदान, अनेक महासिध्दय़ोगीयों के वरदहस्त प्राप्त हो गए !
प्रत्यक्ष मेरी माता –
महालक्ष्मी का वरदान प्राप्त हो गया !

कायाकल्प हो गया !
पुनर्जन्म हो गया !
नवजीवन मिल गया !

दिन बदल गये !

जो चाहिए, वह सबकुछ मिलने का ईश्वरी वरदान प्राप्त हो गया !

अ – क्षय धन की प्राप्ति हो गई !
अ – क्षय सुखों की बरसात हो गई !
लौकिक – पारलौकिक सबकुछ मिल गया !

उमर बढती गई ! मगर फिर भी मैं,कुमार ही रहा !

नवनिर्माण के कार्यों के लिए, संपूर्ण समर्पित जीवन बन गया!

अब हम सभी को मिलकर,
हम सभी का,नशीब भी बदलना है !
सभी को दुखों से मुक्त करता है !

भारतभूमि का भी संपूर्ण रूप से
” नक्शा ” बदलना है !
संपूर्ण रूप से कायाकल्प करना है !

हम सभी के भयंकर दुखों का समय समाप्त करना है !
अब हमें,
आज के अक्षयतृतीया के सुमुहुर्त पर एक शक्तिशाली संकल्प लेकर आगे बढना हे !

एक शक्तिशाली नवराष्ट्र निर्माण !
सुसंस्कृत, संपन्न भारत का निर्माण !
स्वर्णीम भारत का निर्माण !
हिंदवी स्वराज्य निर्माण !
हिंदुराष्ट्र निर्माण !
अखंड भारत निर्माण !
विश्वगुरु भारत निर्माण !

चलो उठो !

संकल्प को सिध्दीयों में बदलनेतक हम,स्वस्थ और शांत नहीं बैठेंगे !

चलो नये युग की ओर !
अ – क्षय सनातन संस्कृति की ओर !
ईश्वर निर्मित,सत्य सनातन धर्म की वैश्विक जीत की ओर !
विश्व हिंदुत्व और विश्व बंधुत्व की ओर !

इस ईश्वरी कार्य को,
क्या आप सभी मुझे,
जी – जान से साथ देंगे ?
निस्वार्थ, निष्कपट प्रेम मुझे दे देंगे ?

जय महाँकाल !
हर हर महादेव !
जय जय श्रीराम !

हरी ओम्

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