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कर्जदार नहीं, देणगीदार बनना है !!

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कर्जदार नहीं,देणगीदार बनना है !!
✍️ २२४२

विनोदकुमार महाजन

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हमें कर्जा निकालकर जीवन की समस्याओं को सुलझाने में जादातर दिलचस्पी होती है !
परिस्थिति वश हमें ऐसा करना भी पडता है !
घर,गाडी लेना है, मगर ?
” लोन लेकर ! ”
और जीवन भर ?
हप्ता !

मगर हमारे मन में शायद यह विचार नहीं आते होंगे की,
हमें कर्जदार बनना नहीं है, बल्कि देणगीदार बनना है !

मतलब ?
हम सभी को धनवान बनना है !
हमारी भारतभूमि का इतिहास गौरवशाली है ! स्वर्णिम भी है !
हम सदैव देना जानते थे !
लेना नहीं !

मगर क्रूर, हत्यारे, लुटेरे ,आक्रमणणकारी,मुगल, अंग्रेजों ने हमारी मानसिकता ही गुलामी की बनाई !
अनेक हाथों से हमें लूटा उन्होंने !
और परिणाम ?
हमें देनेवाला हाथ बनाने के बजाए, माँगनेवाला बनाया !

इसिलिए आज हम को सबकुछ बिल्कुल फ्री चाहिए !
बिल्कुल फ्री !
जैसे ?
फ्री बिजली, पाणी, राशन, नौकरी, इत्यादि !

इसिलिए हमारी मानसिकता भी ठीक ऐसी ही बन गई !
राजा बनने के बजाए, भिकारी बनकर , माँगते माँगते जीवन का गुजारा !

इसिलए मोर्चा, भूक हडताल भी होने लगे !
हमें ये चाहिए ! हमें वो चाहिए !

और ?
आ ××× रक्षण ?

कुछ समय तक तो ठीक था !
मगर बाद में ?
ऐसी विनाशकारी निती ने,
भिखारी, कंगाल बना दिया देश को और देशवासियों को !

हमने कभी यह नहीं सोचा, की हमें पंगु बनाने वाली, बैसाखी नहीं चाहिए !
हमारा पुर्वोइतिहास तो वैभवशाली है !
हम माँगनेवालों की संस्कृति में नहीं आते है ,बल्कि देनेवालों की आदर्श संस्कृति में आते है !

क्योंकि यह देश सोने की चिडियावाला देश था !
यहाँ पर हर घर से ,सोने का धूवाँ निकलता था !
हर व्यक्ति धनसंपन्न था !
और ?
संस्कृति संपन्न भी !
छोटे मन वाला नहीं !
बल्कि बडे मन वाला था यहाँपर !

मगर लुटारूओं ने,( कौनसे ? ) आक्रमणकारियों ने संपूर्ण देश की दुर्दशा कर दी !
भूका कंगाल बनाया लगभग सभी को !
इसीलिए ?
हमें ये चाहिए ! हमें वो चाहिए !
हमें ये मिलेगा, तभी ” वोट ” देंगे !
ऐसी लाचारी की मानसिकता ही बनाई गई !

छी छी छी !
कितनी भयंकर मानसिकता बनाई गई हमारे देशवासियों की ?

मन की अमीरी नहीं, बल्कि मन की गरीबी हर जगह देखने को मिल रही है !
मन की संकुचितता !

ऐसा आखिर क्यों हो गया ?
क्योंकि हम हमारे ही आदर्शों को भूल गये !
हम हमारी आदर्श संस्कृति को भूल गये !
हम हमारे आदर्श सिध्दातों को भूल गये !
हम आदर्श ईश्वरी सिध्दातों को भूल गये !
हम हमारे आदर्श सनातन संस्कृति को भूल गये !

और परिणाम ?
हर जगहों पर, राजा बनने के बजाए, भिखारी बनने की होड लग गई !

ये चाहिए ! वो चाहिए !
फ्री में चाहिए !

क्या हो गया मेरे देश को ?
क्या हो गया मेरे देशवासियों को ?

राजा बनकर परोपकार करने का सपना देखने के बजाए, भिखारी बनकर, हाथ में कटोरा लेकर, इधर उधर भटकने की गंदी आदत आखिर हमें क्यों लगी ? किसने लगाई ?
किसने हमें भिखारी बनाया ?
संकुचितता वाद देश में किसने और क्यों फैलाया ?

क्या यही वास्तव है ?
यही कटूसत्य है ?

मगर अब हमें यह सबकुछ बदलना होगा !
बिल्कुल बदलना होगा !
हमें गरीब नहीं रहना है !
हमें धनवान बनना है !
धनवैभव प्राप्त करना है !

हम सभी को !
सभी भारतीयों को !
और सुसंस्कृत भी बनना है !
हमें कर्जदार नहीं बल्कि देणगीदार बनना है !

क्या सभी भारतीयों को मेरा यह कहना मंजूर है ?

याद करों हमारे भगवान श्रीकृष्ण को !
जिसने सोने की द्वारिका बसाई थी !
याद करों हमारे आदर्श राजा विक्रमादित्य को !
जिसने अखंड भारत का निर्माण किया था !
सोने की चिडियावाला भारत देश बनाया था !
सुसंस्कृत, सुजलाम् , सुफलाम्
भारत देश बनाया था !

ईश्वरी वरदान, ईश्वरी कृपा प्राप्त करके,हर एक भारतीयों को धनवान बनाया था !
हर घर से संपन्नता का,वैभव का धूवाँ निकलता था !
हम क्यों भूल गये हमारा यह गौरवशाली इतिहास ?

या किसीने ऐसा जानबूझकर किया ?
हमें भिखारी बनाने के लिए ?
हमें माँगनेवालों की कतार में खडा करने के लिए भी…भयंकर षड्यंत्र रचाया गया था ?
आखिर कौन था वह भयंकर शातिर दिमाग का षड्यंत्रकारी ?
जो हमें संपूर्णता बरबाद करने का ही दिनरात सपना देखता था ?
कौन है ऐसा षड्यंत्रकारी जिसने हमारा गौरवशाली इतिहास भुलाने के लिए हमें मजबूर किया ?

कौन था ऐसा लूच्चा, लफंगा, बदमाश ? जिसने फूट की राजनीति और रणनीति बनाई ?
जिसने हमें धनवान बनाने के बजाए,
फ्री का लालची बनाया ?

क्या समय,ईश्वर
“उस नौटंंकीबाज को …”
क्षमा करेगा ??

क्या देश को बरबाद करने की यह भयंकर साजिश थी ?
आखिर ऐसा क्यों हो गया ?

आजादी से पहले या आजादी के बाद ऐसा भयंकर षड्यंत्र खेला गया हमारे साथ ? जानबूझकर ?
किसने ? कौन जिम्मेदार ?

सोचो,समझो,जानो,जागो !!

अगर हमें फिरसे सोने की चिडियावाला, गौरवशाली, धनसंपन्न, संस्कृति संपन्न देश बनाना है तो ?
आज से ,अभी से हमें हमारी मानसिकता बदलनी पडेगी !

इतिहास को साक्षी रखकर, नई निती बनानी पडेगी !
नये रणनितीयों के तहत कार्य आरंभ करना पडेगा !
ईश्वरी सिध्दातों को,ईश्वरी कानून को फिरसे स्विकारना पडेगा !

हमें,हमारी अगली पिढी को,
कर्जदार नहीं बल्कि देणगीदार बनाने के लिए, हमें हर एक की ऐसी मानसिकता बनानी पडेगी !

हर एक व्यक्ति को उच्च ध्येयवाद से प्रेरित होना होगा !!
प्रयासरत होना होगा !!
कुछ जबरदस्त हासिल करने के लिए, मन की तैयारी करनी पडेगी !
संघर्ष भी करना पडेगा !

राजा विक्रमादित्य को हमें जानबूझकर भूलाया गया !
मगर हमें फिरसे राजा विक्रमादित्य को याद करना होगा !
उसके आदर्श रास्तों से चलना होगा !
केवल ” विक्रम संवत् ”
मनाने से कुछ नहीं होगा !
अंतिम मंजिल मिलने तक,उसी आदर्श रास्तों से और सिध्दातों से चलना होगा !
हर एक भारतीयों की मानसिकता ऐसी बनानी होगी !
विस्तृत प्रयासों द्वारा, विनाशकारी, आत्मघाती मानसिकता बदलनी होगी !

” बैसाखियों का ” सहारा लेना छोडना पडेगा !
” असली भूके – कंगालों के ”
बारे में सोचना होगा !
उनका सहारा बनना होगा !

राजा विक्रमादित्य की शनीदशा में कितनी भयंकर दुर्दशा हो गाई थी ? आपको याद है ना ?
फिर भी राजा विक्रमादित्य ने ईश्वरी कृपा और ईश्वरी वरदान प्राप्त करके,स्वर्णिम इतिहास बनाया !
अखंड भारत बनाया !
सोने की चिडियावाला भारत देश बनाया !
” सिंहासन बत्तीसी ” द्वारा
असंभव को भी संभव बनाया !

अगर,
” नये रूप में राजा विक्रमादित्य बनकर कोई आया है ,देवदूत बनकर कोई आया है, हमारा स्वर्णिम इतिहास फिरसे बनाने के लिए ,अगर कोई आया है…ऐसा दिनरात प्रयास भी कर रहा है, दिनरात, अथक मेहनत भी कर रहा है, सोने की चिडियावाला भारत देश बनाने के लिए, कोई प्रयास कर रहा है….! ”

तो…?
कम से कम ” उस देवदूत का संपूर्ण साथ और सहयोग करने का हमारा दाईत्व भी है ना ? ”

या ” उसका ” भी विरोध करना चाहिए ?
आप ही बताईए !
आप को क्या लगता है ?

मैं नाम तो नहीं लूंगा !
मगर आप सभी वाचक भी ,
” उस आदर्श ,आधुनिक…राजा विक्रमादित्य को पहचान तो गये होंगे ना ? ”

तो दो उसी का साथ !
संपूर्ण साथ !

” सबका साथ , सबका विकास , सबका विश्वास !! ”

जान गये ना ?
जी हाँ !
वहीं !!

चलो नया इतिहास बनाते है !
नया स्वर्णिम युग भी बनाते है !
फिरसे अखंड भारत बनाते है !
सोने की चिडियावाला संपन्न, सुसंस्कृत भारत देश भी बनाते है !

जहाँ पर ना कोई दीन होगा,ना कोई हीन होगा,ना कोई दुखी होगा,ना कोई गरीब होगा !

चलो संपन्न भारत की ओर !
चलो अखंड भारत की ओर !

[ हर घर में मेरा यह लेख आपको पहुंचाना है ! हर भारतीयों तक यह लेख पहुंचाना ! हर एक भारतीयों को धनवान अब हमें बनाना है !
धन से भी अमीर !
मन से भी अमीर !
सभी को बनाना है !! ]

हरी ओम्

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